Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Nov 29, 2010

लीजिए, आनंद लीजिए !

इससे पहले के पोस्ट में मैंने जो ग़ज़ल दी है वो जिस ग़ज़ल से प्रेरित है अब आप उसका लुत्फ़ उठाइए ... बहुत ही बेहतरीन और खुबसूरत ग़ज़ल है ...  जिसे लिखा है राजेश रेड्डी जी और उसे खुबसूरत ढंग से गाया है जगजीत सिंह जी .... सुनिए ये ग़ज़ल जगजीत सिंह जी के एल्बम "आईना" से ...


घर से निकले थे हौसला करके
लौट आए खुदा खुदा करके
दर्द ए दिल पाओगे वफा करके
हमने देखा है तजुरबा करके
जिंदगी तो कभी नही आई 
मौत आई है ज़रा ज़रा करके
लोग सुनते रहे दीवारो की बात
हम चले दिल को रहनुमा करके
किसने पाया सकून दुनीया में
जिंदगानी का सामना करके


22 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर्।

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  2. अच्छा .....तो ये ग़ज़ल थी....

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  3. बेहतरीन गजल. अच्छा लगा सुनकर

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  4. tareefekabil hai pasand... abhi sun rahi hun, lyrics dekar jaan ko pukhta ker diya

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  5. इसे हमने कभी नहीं सुना था. बहुत प्यारी लगी. आभार.

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति....सुंदर ग़ज़ल

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  7. Bahut sunder ....shabd aur awaz.... meri pasandida gazalon me se ek hai.... bahut dhanywad

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  8. वाह्! बहुत ही बढिया बात...बेहतरीन्!

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  9. दोनों ग़ज़लों को पढ़ा. आपकी ग़ज़ल के शे'र ज्यादा पसंद आए. जगजीत सिंह की गायकी सुनाने के लिए धन्यवाद.

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  10. @ भूषण जी
    क्यूँ शर्मिंदा कर रहे हैं ...:)

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  11. ये तो अपना वन ऑफ द फेवरिट है ही...आपने जो गज़ल दी थी, वो भी अच्छी लगी...

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  12. बेहतरीन गजल. अच्छा लगा सुनकर

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  13. इस अद्भुत आनंद को दिलाने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया...वाह..

    नीरज

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  14. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार ग़ज़ल ! बेहतरीन प्रस्तुती!

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  15. shukriya is ghazal ko share karne ke liye indraneel babu.. jagjeet jee ki gayi pasandeeda gazlon men se hai ....

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  16. बहुत अच्छी ग़ज़ल का चयन किया है आपने।
    जगजीत सिंह की रेशमी आवाज़ का जादू ग़ज़ल के भावों को द्विगुणित कर रहा है।
    आभार आपका।

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  17. गजलों की बहुत शौक़ीन हूँ। आभार इस बेहतरीन ग़ज़ल को सुनवाने के लिए।

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