Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Aug 8, 2010

मौन के तीन रंग



जाते जाते एक पोस्ट ... क्यूंकि एक महीना ब्लॉग जगत से दूर रहूँगा काम के सिलसिले में ऐसी जगह जाना पड़ रहा है जहाँ इंटनेट तो छोड़िये फोन कवरेज भी नहीं है ....
देखिये भूल मत जाइयेगा ... अब एक महीने बाद ही मिलते हैं ....
कहने को तो
बहुत कुछ था
पर जवाब तुमने,
सिर्फ हाँ या ना
में माँगा था,
इसलिए चुप रहा ।
मैंने उससे पुछा
कैसी हो ?
शिकायत भरी नज़रों से,
मेरी तरफ देखकर,
वो कह गई
बहुत कुछ ।
दफ्तर से लौटकर,
मैंने उससे पुछा -
‘और बताओ
आज का दिन कैसा गया’
सोयी बच्ची कि तरफ
इशारा करके उसने कहा
शशशह्ह्ह्ह्ह्ह्ह  

चित्र गूगल सर्च से साभार ली गई है !

Aug 4, 2010

करेगा फिर पाप पर कुठाराघात परशुराम


कमज़ोर न्याय हुआ, ताकतवर भ्रष्टाचार
फैला है चारों तरफ आज कैसा अन्धकार
पूछते हैं जाति फिर हाथ मिलाते हैं अब
पानी मिले ना मिले शराब पिलाते हैं अब
अब तो रिश्तों के भव्य महल सारे ढह गए
भरोसे की छत रही, बस ये बाड़े रह गए
आतंक के साये तले अपराधी पल रहे
मज़हबी उन्माद से अब देशवासी जल रहे
एकता का गान अब कैसे कोई गायेगा
दिल में देशभक्ति का जज़्बा कौन लाएगा
सारे जहाँ से अच्छाकैसे बनेगा ये फिर
कब जगेगी आत्मा, निडर कब उठेगा सिर
अवतरित जाने कब होगा कृष्ण या के राम
करेगा फिर पाप पर कुठाराघात परशुराम
अब तो राख से ही चिनगारी निकालेंगे हम
अपना गरम श्वास से कोहरा हटाएंगे हम
राह दिखे ना दिखे कदम चलाते रहो
दिल में उम्मीद का एक दीप जलाते रहो 
है घना अँधेरा पर आयेगा सूरज कभी
जोड़कर दरारें फिर बनेगा महल तभी

चित्र साभार गूगल सर्च

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...