जाते जाते एक पोस्ट ... क्यूंकि एक महीना ब्लॉग जगत से दूर रहूँगा । काम के सिलसिले में ऐसी जगह जाना पड़ रहा है जहाँ इंटनेट तो छोड़िये फोन कवरेज भी नहीं है ....
देखिये भूल मत जाइयेगा ... अब एक महीने बाद ही मिलते हैं ....
१
कहने को तो
पर जवाब तुमने,
सिर्फ हाँ या ना
में माँगा था,
इसलिए चुप रहा ।
२
मैंने उससे पुछा
कैसी हो ?
शिकायत भरी नज़रों से,
मेरी तरफ देखकर,
वो कह गई
बहुत कुछ ।
३
दफ्तर से लौटकर,
मैंने उससे पुछा -
‘और बताओ
आज का दिन कैसा गया’
सोयी बच्ची कि तरफ
इशारा करके उसने कहा
शशशह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
चित्र गूगल सर्च से साभार ली गई है !
आपका कार्य सफलता पूर्वक पूरा हो और आप जल्द ही वापस आयें, शुभकामनाएं !
ReplyDeleteरहा सवाल पोस्ट का तो वह तो बेहद उम्दा लगी ! बहुत थोड़े से शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने !
कविताएं ही बहुत कुछ कह देती हैं। पर उनके साथ के चित्र उन्हें कमजोर बना रहे हैं।
ReplyDeleteकविताएँ बहुत अच्छी हैं...इस बार छुट्टी की बात बताकर अच्छा किया!!
ReplyDeleteअच्छी पंक्तिया लिखी है !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं ....जैसे हर लम्हे को समेट लिया हो ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता!.... मै भी छुट्टी पर जा रही हूं!... फिर मिलेंगे!
ReplyDeleteआप सभी सुधिजनों को अनेक धन्यवाद जो आपने रचना को सराहा ...
ReplyDeleteवाह! सुन्दर है!
ReplyDelete"सच में" आपको मिस करेगा!
Good One!!!
ReplyDeleteLove and Regards
Chandar Meher
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
मर्मस्पर्शी रचना बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteसद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
......................
निज व्यथा को मौन में अनुवाद करके देखिए।
कभी अपने आप से संवाद करके देखिए।।
जब कभी सारे सहारे आपको देदें दग़ा-
मन ही मन माता-पिता को याद करके देखिए।।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
कविताएं तीनों ही बहुत बढिया हैं.....छोटी सी कविता में गहरी बात!
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता! गूढ़ अर्थ परन्तु सीधी और सरल
ReplyDeleteशानदार!!
ReplyDeleteइन्तजार रहेगा वापसी का.
khoobsoorat Sail bhai...
ReplyDeleteसभी को मेरा शुक्रिया ... आपसब हौसला बढ़ाते रहिये तो इधर भी कलम/कीबोर्ड चलती रहेगी :)
ReplyDeleteशानदार!!
ReplyDeleteइन्तजार रहेगा वापसी का...!
वाह अच्छी भंगिमाएं हैं
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं .
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
बेहद ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत किया है आपने! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं।
ReplyDeletekamaal ki panktiyan...just beautiful!
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .
ReplyDeleteBahut achhi hai hai..padhklar hansi bhi aayi aur mazaa bhi aaya
ReplyDeleteअद्भुत तीन रंग.
ReplyDeletekamaalkar diya!
ReplyDeleteआपका अन्दाज निराला लगा .जय हिन्द
ReplyDeleteऐसे भावो को शब्द देना इतना सरल भी नहीं.
ReplyDeleteसुंदर लिखा है. बधाई.
वाह ... खामोशी खामोशी में ही इतनी बात हो गयी ..... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteखामोशी को
ReplyDeleteखूबसूरत अलफ़ाज़ की ज़बां दे दी आपने तो
जब कुछ न कह पाएं
तो भी लगता है क सब कुछ कह दिया है
सुन्दर भावपूर्ण काव्य !!
तीनों रचनाएं बेहद पसंद आयीं...
ReplyDeleteऔर हाँ,
चित्र इन्हें कमजोर नहीं कर रहे....
और भी असरदार बना रहे हैं.....
तीनों रचनाएं बेहद पसंद आयीं...
ReplyDeleteऔर हाँ,
चित्र इन्हें कमजोर नहीं कर रहे....
और भी असरदार बना रहे हैं.....
सुन्दर.देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर.
ReplyDeleteरक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
ReplyDeleteलाजवाब...
ReplyDeleteजनाब-ए-आली,
ReplyDeleteआदाब!
मुझसे मौन ना रहा गया! बेहद उम्दा! बधाई स्वीकार करें!
आशीष
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish
मैंने उससे पुछा
ReplyDeleteकैसी हो ?
शिकायत भरी नज़रों से,
मेरी तरफ देखकर,
वो कह गई
बहुत कुछ ।
क्षणिका शानदार और धारदार है....मगर ये एक महीने के लिए कहाँ जा रहे हैं...बहरहाल इन्तिज़ार रहेगा.
bahut badiya....
ReplyDeleteMere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
http://asilentsilence.blogspot.com/
http://bannedarea.blogspot.com/
ek Music Blog ka link share kar rahi hun hope you like...
Download Direct Hindi Music Songs And Ghazals
ek mahine to ho gaye....
ReplyDeleteअपनी रचना वटवृक्ष के लिए भेजिए - परिचय और तस्वीर के साथ
'
सुन्दर क्षणिकाएँ!!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteAbsolutely Great work!
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