Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Jul 7, 2010

दर्द के फूल

29 comments:

  1. Rachana bahut sundar hai. Kewal ek iltija hai..."Maajee" ko "maazee" karen tatha,"khusboo"ko "khushboo"karen...wartani me sudhar laake yah rachana aur adhik sundar hogi.

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  2. क्षमा जी, बहुत बहुत शुक्रिया इन गलतियों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए .... टाईप करने में गलती हो गई थी...अब सुधार दिया है ... शायद अब ठीक है ...

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  3. लगभग हम सभी के पास ऐसी एक ना एक किताब तो जरूर होगी ही !
    बहुत बढ़िया रचना !

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  4. इस बेहतरीन और भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई...
    नीरज

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  5. यादों की तह मे दबे दर्द के फूल कब मुरझाते हैं जब ज़रा सा पलट कर देखो गुबार सा छा जाता है और हर तरफ़ सिर्फ़ यादों का मंज़र ही नज़र आता है………………आपने बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है…………………दिल मे उतर गयी।

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  6. नीरज जी, शिवम जी और वंदना जी, आप सबको बहुत धन्यवाद जो इस रचना को आप सबने सराहा ....

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  7. her kisi ki kitaab me yah phool mil hi jata hai

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  8. बहुत खूब ... मांझी की कुछ यादें हिस्सा बन जाती हैं जीवन का .... उम्दा रचना है ...

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  9. jehan ke hisaar me qaid ye fool nikalte kahan hain
    kuchh gulaab baagon ke ishq me fikrana hue jaate hain.

    bahut khubsurat lagi in foolon ki khushboo

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  10. रश्मि जी, नासवा जी और अविनाश जी, आप सबको शुक्रिया हौसला अफजाही के लिए ...

    @ अविनाश
    दरअसल यहाँ तो बात ही कुछ और हैं ... यहाँ गुलाब बाग के इश्क में नहीं, बल्कि बाग ही उस गुलाब के इश्क से कायल है ...

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  11. which one is better, you post or your comment @ avinash ji? very difficult to decide.

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  12. hehehe, ye bhi sahi..

    nahi, ye hi sahi :)

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  13. रचना भी सुन्दर है और उसकी प्रस्तुति भी.....बहुत पसंद आई...

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  14. इन्‍द्रनील जी यादों की किताब को इस तरह याद करना बहुत भाया। प्रस्‍तुतिकरण बहुत भाया। मेरे हिसाब से इसमें दो संशोधन आवश्‍यक हैं। कृपया देखें-यादों के तहों की जगह यादों की तहों होना चाहिए। इसी तरह कुछ अश्‍कों के बूंद मैंने गिराए उन पर के स्‍थान पर कुछ अश्‍कों की बूंदें मैंने गिराईं उन पर होना चाहिए। विचार करें।

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  15. राजेश जी, बहुत धन्यवाद, आवश्यक संशोधन कर दिए गए हैं !

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  16. कमाल का लिख डाला है आपने.
    आपको बधाई.

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  17. kamaal ki rachna...
    badhai......

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  18. सूखे फूलों में लिपटा दर्द जब क़ितबों का हिस्सा हो जाए तो वह सदा बहार हो जाता है।

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  19. Bahut kuchh yaad aaya.....
    Kitni hee koshish kariye yaado ko mitane kee, wo nahin jaati!

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  20. बहुत खूब .....!!

    प्रस्तुति ने मन मोह लिया ....किताबों में रखे ये फूल अक्सर यादों के निशाँ छोड़ जाते हैं .....!!

    कुछ स्त्रीलिंग पुल्लिंग की गलतियां हैं सुधार लें ....!!

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  21. हरकीरत जी, कृपया वो स्त्रीलिंग-पुल्लिंग की गलतियां कौन सी हैं ये भी बता दें ...

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  22. After reading this poem, i opened my diary and lovingly touched the petals kept there..

    beautiful creation !

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  23. bahut achha likha...bahut hi badhiya

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  24. yadon ki kitab paltana bhi himmat ka kam hai.

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  25. बहुत खूब.... यादें यूँ ही दिल के जीवित होने का एहसास कराती रहतीं हैं.

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  26. जज़्बातों को बखूबी लफ्जों मे उकेरा है आपने
    बहुत सुन्दर रचना.......

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  27. इस बेहतरीन और भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।

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