Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Oct 9, 2010

राही तू बस चलता चल

राही तू बस चलता चल 

कलका देखना तू कल 

गांव, शहर और मफ्सल 

पीछे छोड़, आगे बढ़ चल 

कोई सोये या जागे 

सर पे धुन है बढ़ आगे 

राही पथ पे कितने छांव 

फिरभी न रुकते हैं पांव 

पर्वत या नदीया नाले 

पैरों में पढते छाले 

लेकर साथियों को बढ़ 

सामने नज़रों को गढ़ 

धरती उठेगी थर्रा 

रोशन हो ज़र्रा ज़र्रा 

बाज़ी पे लगा दे जान 

छोड़ क़दमों के निशान 

राही ना मंज़िल कोई 

आँखें थकी न सोई 

गर्मी, सर्दी या बरसात 

शाम, सुबह या दिन रात 

पग में चुभते है कांटे 

किस्मत ने है दुःख बांटे 

करके बाधाओं को पार 

सहके नाकामी की मार 

राही चलना अपना काम 

रुकना कहाँ, क्या मुकाम 

नभ हो, स्थल हो, या के जल 

राही तू बस चलता चल ...
राही तू बस चलता चल 


29 comments:

  1. सुंदर रचना...बढ़िया भाव से सजाया है आपने इस रचना को..बधाई

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  2. राही तू बस चलता चल
    रे राही ,रे राही रे
    धीरे चल
    पायेगा तू हर आसमां
    दर कदम दर चल
    Sahi raah Chalte-chalte manjil mil hi jaati hai..
    Bahut sundar...

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  3. राही तू बस चलता चल । सच है अगर चलेंगे नहीं, तो मंजिल कैसे मिलेगी भला....
    बहुत ही खुबसूरत रचना...
    मेरे ब्लॉग पर इस बार
    सुनहरी यादें ....

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...........प्रेरणादायक

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  5. प्रेरणा देती अच्छी रचना ..

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  6. किस्मत ने है दुःख बांटे ॥
    करके बाधाओं को पार ।
    सहके नाकामी की मार ॥
    राही चलना अपना काम ।
    सुन्दर जीवन सूत्र ..
    बेहतरीन रचना

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  7. चलना ही जीवन की निशानी है ..इसलिए चलता ही चाल ..
    प्रेरक कविता ...!

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  8. बहुत खूब।
    चलना ही जिन्दगी है।
    ’सफ़र’ फ़िल्म में मन्ना डे साहब का गाना - तुझको चलना होगा - same sentiments.
    well said, Indranil ji.

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  9. नदिया चलती रहती है तभी नदिया है अगर रुक जाये तो तालाब। बहुत सुन्दर प्रेरक रचना है। बधाई।

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  10. बहुत प्रेरक .... सच है अपना कर्म करते जाना चाहिए ...

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  11. बहुत ही प्रेरणा देती हुई पंक्तियां हैं इंद्रनील भाई ..शुभकामनाएं

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  12. Aap to antardhan ho gaye the indraneel babu..badhiya rachna hai rachnatmak urja liye...navratri ki shubhkamnayen

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  13. राही तू बस चलता चल....Just follow this thought !

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  14. इन्द्रनील, आप्के भीतर प्रतिभा है लेकिन उसका पूरा उपयोग आप नही‍ कर रहे है‍. थोडी मेहनत और करे‍.

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  15. इन्द्रनील, आप्के भीतर प्रतिभा है लेकिन उसका पूरा उपयोग आप नही‍ कर रहे है‍. थोडी मेहनत और करे‍.

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  16. संजय जी, आपका सुझाव ध्यान रखूँगा ... शुक्रिया !

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  17. bahut hi prerak avam prabhavshali kavita.atyant hi utsah vardhak.

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  18. बहुत सुंदर सकारात्मक और प्रेरणादायी पोस्ट

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  19. energetic creation ..well done sir ji

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  20. बहुत ही प्रेरणादायी प्रस्तुति


    www.srijanshikhar.blogspot.com पर ' क्यों तुम जिन्दा हो रावण '

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  21. बस चलता चल - बहुत सुंदर!

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  22. बहुत सुन्दर कविता !

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  23. आप सबका आभारी हूँ ... उत्साह वर्धन के लिए शुक्रिया !

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