आज मैं आप सबके समक्ष एक ऐसी पोस्ट पेश करने जा रहा हूँ जो मेरे अब तक के सारे पोस्ट से थोडा 'हट के' है । मैं आज एक पिता-पुत्री संवाद के बारे में लिखूंगा जो काल्पनिक भी हो सकता है और सच भी । ज़रूरी यह नहीं है की यह संवाद काल्पनिक है या सच, ज़रूरी है इसका निहितार्थ । उम्मीद है इसके द्वारा कहीं न कहीं मैं आप सब के मन का calling bell दबा पाऊँ ... :)
दूरदर्शन में दिखाई जा रही द्वितीय विश्व युद्ध के दृश्य देखते हुए पुत्री अपने पिता से प्रश्न करती है -
पुत्री: बाबा, ये क्या हो रहा है ?
पिता: बेटी, ये युद्ध का दृश्य दिखाया जा रहा है ।
पुत्री: ये युद्ध क्या होता है ?
पिता: जब दो देश लढाई झगडा करते हैं तो युद्ध होता है ।
पुत्री: पर ये टीवी पर क्या दिखा रहे हैं ?
पिता: देखो किस तरह दुश्मन के हवाई जहाज से बम गिर रहा है और फुट रहा है ।
पुत्री: तो क्या इससे लोग मर जाते हैं ?
पिता: हाँ, अगर बम उनके ऊपर आकर गिरे तो वो कैसे बचेंगे?
पुत्री: ओहो, इससे तो बहुत लोग मर जाते होंगे ... कितनी तकलीफ होती होंगी ...
पिता: हाँ बेटी, हजारों लोग मर जाते हैं, लाखों लोग घायल हो जाते हैं, बेघर हो जाते हैं...
पुत्री: फिर ये लोग युद्ध क्यूँ करते हैं बाबा?
पिता: क्यूंकि उनमे झगडा हो जाता है बेटी ।
पुत्री: क्यूँ झगडा होता है ?
पिता: अब झगडा तो किसी भी बात पे हो सकता है, है न ? जैसे की तुम्हारे दोस्त के साथ कभी कभी झगडा हो जाता है ...
पुत्री: हाँ, वो तो है ....... पर ....... पर ...
पिता: पर क्या बेटी?
पुत्री: पर हम एक दुसरे को मारते नहीं है बाबा । अगर हम झगडा करते हैं तो, वो मुझसे बोलती नहीं है, मैं उससे नहीं बोलती हूँ । फिर कुछ देर बाद हम फिर से दोस्ती कर लेते हैं । एक झगड़ने वाले देश अपने अपने देश में क्यूँ नहीं रहते, फिर बाद में जब गुस्सा कम हो जाय तो फिर से दोस्ती कर सकते हैं, है न ?
अब पिता के पास जवाब देने के लिए कुछ नहीं बचा था ... बस इतना ही कह पाया ...- काश ये सोच हर इन्सान के दिमाग में होती बेटी ... काश ....
चित्र साभार गूगल सर्च