1.
सिरहाने चांदनी रखकर
सो गया था मैं,
रातभर ...
सोने नहीं दिया
ख्वाबों के उजाले ।
2.
बहुत उदास होकर
आँखें बंद कर ली मैंने,
जैसे थक गई हो आँख
उजालों के शोर से ।
3.
तुम जो कल
ख्वाबों में आ गई थी,
मेरी अँधेरी रात के बदन पर
लग गए थे
कुछ उजालों के दाग ।
सिरहाने चांदनी रखकर
सो गया था मैं,
रातभर ...
सोने नहीं दिया
ख्वाबों के उजाले ।
2.
बहुत उदास होकर
आँखें बंद कर ली मैंने,
जैसे थक गई हो आँख
उजालों के शोर से ।
3.
तुम जो कल
ख्वाबों में आ गई थी,
मेरी अँधेरी रात के बदन पर
लग गए थे
कुछ उजालों के दाग ।