Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Aug 30, 2011

कुछ तस्वीर ... आप सबके लिए !

बचपन से पेंटिंग का बहुत शौक था । खासकर पोर्ट्रेट पेंटिंग का । आयल पेंट से पोर्ट्रेट बनाता था । कई लोगों का पोर्ट्रेट बनाया था, जैसे कि मेरे पिताजी का, दादाजी का, और कई यशस्वी व्यक्तिओं का जैसे कि जे आर डी टाटा, स्वामी विवेकानंद इत्यादि । कई बार किसी के कहने पर भी पोर्ट्रेट बना देता था । जैसे कि एकबार मेरे एक दोस्त की माताजी का देहांत होने के बाद उसके अनुरोध पर मैंने उसकी माताजी का एक पोर्ट्रेट बना दिया था जो आज भी उसके घर के दीवार पर लगा हुआ है ।
जैसे जैसे करिअर में आगे बढ़ता गया, समय कम मिलता रहा । फिर नौकरी, शादी और एक सुन्दर सी, प्यारी सी बेटी का बाप बन गया, और अब तो पेंटिंग करने की फुर्सत बिलकुल नहीं रही । लेकिन अब एक और शौक ने उसकी जगह ले ली है ... फोटोग्राफी ।
अब कैमरा को ही अपना ब्रश बनाकर प्रकृति के सौंदर्य और अपने आसपास के दृश्यों को कैद करते रहता हूँ । कोई सुन्दर सा फोटो लेने के बाद एक अजीब सा सुकून का एहसास होता है । किसी सुन्दर से पल को कैमरे में कैद कर पाऊं तो खुद पर गर्व होता है कि सही समय पे फोटो ले पाया । अपनी ही ली हुई बेटी की किसी तस्वीर को बारबार देखता हूँ और सोचता हूँ कि किस तरह वो बड़ी हो रही है ।
तो सोचा आज क्यूँ न आप सबके साथ कुछ ऐसे फोटो सांझा करूँ जो मैंने अपने कैमरे से लिया है और मेरी क्षुद्र समझ से अच्छा ही लिया है ।
किसी चीज़ की तस्वीर को बहुत पास से लिया जाय तो उसे मैक्रो (Macro) फोटोग्राफी कहते हैं । और कोई चीज़ दूर में हो और उसकी तस्वीर उतारा जाय तो उसे ज़ूम (Zoom) फोटोग्राफी कहते हैं । मैंने मैक्रो द्वारा कई फूलों के सौंदर्य को तस्वीर में कैद करने की कोशिश की है तो कई बार कोई पंछी की तस्वीर ली जो दूर किसी पेड़ की डाली पर बैठकर कलरब कर रहा था ।

ओ फूलों की रानी, बहारों की  ....

ये नीली नीली आँखें ...

म्हारे हिवड़ा में नाचे मोर ...

फूलों के रंग से...

एक था गुल और ...

इस फूल को पहचानिये तो ...

White-breasted Waterhen (Amaurornis phoenicurus)

Brahminy Myna (Sturnus pagodarum)

Black-winged Kite (Elanus caeruleus)

Aug 22, 2011

अन्ना तेरो नाम ...


एक मजबूत लोकपाल बिल के लिए अन्‍ना हजारे का आन्दोलन ज़ारी है । 


भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए इस आंदोलन को देशभर में व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। लोग हजारों के तादाद में सड़कों पर उतर आए हैं। घबराई केंद्र सरकार अन्ना को गिरफ्तार करने जैसी बचकानी हरकत भी कर चुकी है । पर आखिर उनको तिहार जेल से रिहा करना पड़ा । मज़े की बात ये है कि रिहा करने के बाद भी अन्ना जेल में जमे रहे जब कि उनको अनशन करने की अनुमति न मिली । अब वो रामलीला मैदान में अपने साथियों के साथ अनशन पर बैठे हैं उनका वजन ५ किलो घट चूका है । कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह उनसे बात करना चाहते हैं । अन्ना ने कहा है कि बात करने के लिए वो भी तैयार हैं पर किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा । इधर ये भी सुनने में आ रहा है कि देशभर में जनता अपने इलाके का सांसद या विधायक के घरों के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे है, चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, भाजपा, कांग्रेस, सपा या फिर बसपा

इसमें कोई शक नहीं है कि अन्ना का यह आन्दोलन केवल एक प्रांतीय आन्दोलन न रहके एक राष्ट्रीय आन्दोलन बन चूका है ।

सवाल ये हैं कि इस आन्दोलन का नतीजा क्या निकलने वाला है पिछले ३-४ सालों से लगातार बड़े बड़े घोटालों की खबर से त्रस्त जनता देश में बदलाव चाहती है । पर गणतंत्र में हम सरकार पूरे ५ साल के लिए चुनकर लाते हैं । और जो चुनकर आये हैं, उनमें से ही कुछ अगर घोटालों में लिप्त हो, तो ज़ाहिर है कि वो आसानी से अपनी गद्दी तो नहीं छोड़ेंगे । आखिर कौन बेवक़ूफ़ अपने ही हाथों अपनी मौत का फरमान लिखना चाहेगा ।

पासवान और राजा को कुछ समय के लिए तिहार जेल में रखा गया है ।  पर भ्रष्टाचार के आरोप क्या केवल इन दोनों के ऊपर ही है । शायद ही कोई ऐसा राजनेता होगा जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप न हो । अब तो बड़ा राजनेता बनने के लिए ये ज़रूरी हो गया है कि आपके नाम पर कई करोड के घोटाले का आरोप हो । वरना आपको राजनीती के दंगल में कोई पूछेगा ही नहीं । अब देखिये न, अगर लालू प्रसाद यादव या फिर करूणानिधि के नाम पे कई सौ करोड रुपये के घोटालों का आरोप नहीं होता तो क्या उन्हें कोई सम्मान देता ? कांग्रेस सरकार भी तो उन्ही को बचाने में अपना दिन-रात एक करते रहती है जिनके नाम पे बड़े बड़े घोटालों का आरोप हों । 


अन्ना का आन्दोलन सही दिशा में जा रहा है या नहीं या फिर आन्दोलन से हम अन्ना को ज्यादा महत्व दे रहे हैं या नहीं इस बारे में बहसबाजी शुरू हो गई है । ये तो वही बात हुई कि एक लंबे काले घने रात के बाद जब सुबह की किरण आती हो, तो कुछ लोग इस बहस में जुट जाते हैं कि इस किरण का रंग कैसा होना चाहिए । मुझे तो लगता है कि ये सब व्यर्थ की बहस हैं । ज़रूरी ये है कि एक देश-व्यापी आन्दोलन हो और इतने बड़े पैमाने पर हो कि मौजूदा भ्रष्ट तंत्र की जड़ें हिल जाय । देश और समाज की हर परत में भ्रष्टाचार इस कदर घर कर गया है कि भ्रष्टाचार को मिटाना मतलब शरीर से गन्दा खून को निकालना जैसा है । ये इतना आसान नहीं है

लोकपाल  बिल एक शुरुआत है । यदि लोकपाल बिल संसद में पारित भी हो जाय, जो होना बहुत मुश्किल लग रहा है, फिर भी भ्रष्टाचार सम्पूर्ण रूप से खतम नहीं होगा । आगे और काम करना होगा । 

भ्रष्टाचार को मिटने के लिए समाज में बदलाव ज़रूरी है । और ये बदलाव तभी संभव है जब हम सब अपनी मानसिकता में बदलाव लायेंगे । अन्यथा समाज में कोई बदलाव नहीं आ सकता और हालत फिर वही हो जायेगी जो अभी है । 

कहीं न कहीं हमारी मूलभूत मानसिकता और सोच में परिवर्तन लाना ज़रूरी है । हम जिस तरह से सोचते हैं, जिस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं वो बदलना होगा । और इसके लिए हमें कुछ मानसिक त्याग स्वीकार करने होंगे । 
क्या हम इसके लिए तैयार हैं ?
क्या हम सामाजिक उन्नति को धर्म, प्रांतीयता या जाती से ज्यादा महत्व दे पाएंगे ?
क्या हम जब वोट देने जायेंगे तो उस उम्मेदवार का धर्म या उसकी जाती के बारे में सोचना छोड़ पाएंगे ?
क्या हम धार्मिक इंसान से ज्यादा एक परिपक्व इंसान बन पाएंगे ?


मैं ये सवाल केवल हिंदुओं से नहीं बल्कि, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन, और सभी धर्म के लोगों से पूछ रहा हूँ । क्या आप सब केवल धार्मिक किताबों में लिखी बातों को ही समझ पाए है, या फिर इंसानियत भी सीख पाए हैं ?

मुझे जवाब देने की ज़रूरत नहीं है । खुदसे पूछिए । खुदको जवाब दीजिए । खुदको समझिए

स्वर्ग  में कोई हूर-परी आपका इंतज़ार नहीं कर रही है । कोई स्वर्ग आपका इंतज़ार नहीं कर रहा है । आपको स्वर्ग यहाँ इस धरती में बनाना होगा । ये आपके हाथ में है कि आप इस धरती को स्वर्ग बनाये या फिर नरक

जो भी है आप ही को भुगतना है । या आपके आने वाली पीढ़ी को

अन्ना  और उनके समर्थक अपना रास्ता चुन चुके हैं । उनको अपने आने वाली पीढ़ी को एक स्वर्ग देकर जाना है और वो भी इसी धरती पर । इसी समाज मे, इसी देश में । उ सके लिए वो जी-जान लगाकर लढ रहे हैं । तकलीफ सह रहे हैं । 


पर अकेला चना भार नहीं फोड़ सकता उनको पूरे देश का समर्थन चाहिए । आपका समर्थन चाहिए । अब निर्णय आपके हाथ है 

आप अपने बच्चों के लिए क्या रख जाना चाहते हैं ? स्वर्ग या नरक ?

Aug 18, 2011

राष्ट्रपति का दौरा

एक महीने के लिए भारत छुट्टी पे गया था । वहाँ से लौटने के बाद भी बिलकुल समय नहीं मिल रहा था कि ब्लॉग पर कुछ लिखूं । आज फिर आ गया अपने दोस्तों से मिलने ।
भारत से लौटने के बाद यहाँ हमारे माननीय राष्ट्रपतिजी श्रीमती प्रतिभाताई पाटिल का दौरा हुआ । उनके साथ करीब तीस लोगों का व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी आया हुआ था जिनका नेतृत्व मानस एड्वैजोरी के श्री भूतलिंगम जी कर रहे थे । इसके अलावा विदेश मंत्रालय के कई अफसर भी आये थे । राष्ट्रपतिजी के टोली में आदिवासी मामलों के राज्य मंत्री श्री खंडेला जी और सांसद श्रीमती तिरिया भी उपस्थित थे
Chinggis Khaan हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति श्रीमती पाटिल का स्वागत करने के लिए मोंगोलियाई विदेश मंत्री श्री Zandanshatar और भारत में मंगोलियाई राजदूत श्री Enkhbold आये हुए थे । उसके बाद यहाँ उलानबातर स्थित सुख्बातर चौक पे मोंगोलियाई राष्ट्रपति श्री एल्बेग्दोर्ज और उनकी पत्नी द्वारा हमारे राष्ट्रपति का स्वागत किया गया
२७ से २९ जुलाई तक के दौरे में राष्ट्रपतिजी  यहाँ के प्रधान मंत्री, यहाँ के महिला राजनेत्री का एक दल और यहाँ के व्यापारिक संगठन से भी मिले
मेरा  सौभाग्य था कि उस समय मैं यहीं उपस्थित था और राष्ट्रपतिजी के उपस्थिति तथा सम्मान में आयोजित व्यापार मंच में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ वहां पर मुझे कई स्वनामधन्य और प्रतिष्ठित उद्योगपतियों से मिलने का मौका मिला
२८ तारीख को उलानबातर में स्थित महात्मा गाँधी के पुतले पर फूल चढाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में माननीय राष्ट्रपतिजी के सामने अन्य भारतीयों के साथ मिलकर "रघुपति राघव" गाने का अवसर भी प्राप्त हुआ  
राष्ट्रपतिजी जब गांधीजी के पुतले को फूल चढ़ाके लौट रहे थेमेरी पत्नी तृप्ति को उनसे आमने सामने बात करने का सुवर्ण अवसर प्राप्त हुआ । राष्ट्रपतिजी अपने हाथों से मेरी बेटी चिन्मयी को एक चोकोलेट का डब्बा भी उपहार स्वरुप दिए । इसके बारे में आप यहाँ देख सकते हैं
आप  सबके लिए आज मैं उन्ही क्षणों की कुछ तस्वीर प्रस्तुत कर रहा हूँ । उम्मीद है आप सबको अच्छा लगेगा । बहुत जल्दी आप सबके लिए मैं फिर से कविता इत्यादि लेकर हाज़िर हो जाऊंगा
तब तक के लिए नमस्कार

माननीय राष्ट्रपति जी के साथ व्यापार मंच के दौरान. 
महात्मा गाँधी के पुतले पर फूल चढ़ाती माननीय राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल 
महात्मा गाँधी के पुतले के पास अन्य भारतीयों के साथ
माननीय राष्ट्रपति जी से बात कर रही है तृप्ति
मेरी बेटी चिन्मयी को उपहार देती हुई माननीय राष्ट्रपति

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