कुछ स्वाद बदलने के लिए और कुछ इस ब्लॉग जगत के बारे में कहने के लिए लीजिये ये रचना प्रस्तुत है; उम्मीद है ठेठ ब्लॉगर भाई लोग बुरा नहीं मानेंगे:
किसने कहा जो लिखी है मैंने वो ग़ज़ल है ।
मैं भी लिखूं, तुम भी लिखो, कथा-हास्य-काव्य ।
है ये ब्लॉग जगत यहाँ हर कोई प्रबल है ॥
क्यूँ रोते हो, जो हो गया उच्च रक्त चाप ।
रात भर जाग ब्लॉग्गिंग का ही तो ये फल है ॥
यहाँ डायरी, समाचार, गद्य और कविता ।
दिलकश रंगीन बड़ा इस देवी का आँचल है ॥
ये अनन्त आदिगंत, कोई ना इस जैसा ।
यही सूर्य, यही चन्द्र, यही अस्ताचल है ॥
(इस पंक्ति की जगह ये भी लिखी जा सकती थी “यही घोडा, यही गधा, यही अस्तबल है)
यही सत्य है जगत में, इसीका सहारा ।
बाकि मिथ्या माया है, सब रिश्ते नाते छल है ॥
हर कोई समान, नहीं इसमें भेद भाव ।
'सैल' तुमसा गरीब भी बनाता महल है ॥
चित्र साभार गूगल सर्च
किसने कहा जो लिखी है मैंने वो ग़ज़ल है ।
नया फैशन है सब कुछ चलता आजकल है ॥
मैं भी लिखूं, तुम भी लिखो, कथा-हास्य-काव्य ।
क्यूँ रोते हो, जो हो गया उच्च रक्त चाप ।
रात भर जाग ब्लॉग्गिंग का ही तो ये फल है ॥
यहाँ डायरी, समाचार, गद्य और कविता ।
दिलकश रंगीन बड़ा इस देवी का आँचल है ॥
ये अनन्त आदिगंत, कोई ना इस जैसा ।
यही सूर्य, यही चन्द्र, यही अस्ताचल है ॥
(इस पंक्ति की जगह ये भी लिखी जा सकती थी “यही घोडा, यही गधा, यही अस्तबल है)
यही सत्य है जगत में, इसीका सहारा ।
बाकि मिथ्या माया है, सब रिश्ते नाते छल है ॥
हर कोई समान, नहीं इसमें भेद भाव ।
'सैल' तुमसा गरीब भी बनाता महल है ॥
चित्र साभार गूगल सर्च
यही घोड़ा, यही गधा, यही अस्तबल है !!
ReplyDeletehmmm...badhiya rachna... aap ki shanshodhanatmak tippani mili...aapne sahi kaha hai .zara si fer badal se vakya sanrachan bhi sahi hui ..aur pankti kilay par bhi prabhav nahi pada..shuqriya.. aap ki yah hazal numaan rachna achhi lagi..lay aur behtrar ho sakti thi ..aisa laga..
ReplyDeletewaah.........bilkul sahi kaha.
ReplyDeleteYahi qissa har jagat ka hai..!
ReplyDeleteवाह .. बढिया !!
ReplyDeleteवाह, बढिया विचार और सुन्दर प्रस्तुति,मैं गर कह्ता तो शायद कुछ एसे:
ReplyDeleteमेरे दिल जो आया लिख डाला,
इसके माने निकाले और कोई,
जो भी अच्छा लगेगा कह दूंगा,
चाहे माने न माने और कोई।
स्वप्निल जी आपने सही कहा ... थोडा और ध्यान देता तो लय बेहतर हो सकती थी ... अचानक दिमाग में बात आ गयी और मैंने लिख दी ... खैर, सोच कर देखूंगा कि कैसे सुधर लाया जा सकता है !
ReplyDeleteबहुत खूब सैल जी,
ReplyDeletein lieu of वाली लाईन तो बहुत ही बढ़िया है।
वाह वाह क्या बात है! बहुत बढ़िया! बिल्कुल सही फ़रमाया है आपने!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteAapki gajal kya kamal hai
ReplyDeleteblogging ka likh diya poora hal hai .
alag hatker jo likha hai,wah tareefe kabil hai, swatantra vichaaron ka swagat sab karenge
ReplyDeleteyahin ghoda,yahin ghodi,yahin astbal hai.
ReplyDeleteis se achchha ho hi nahin sakta hai. Ram Ram.
mukhda bahut badhiya laga.
ReplyDeleteकिसने कहा जो लिखी है मैंने वो ग़ज़ल है ।
ReplyDeleteनया फैशन है सब कुछ चलता आजकल है ॥
dekhiye kaisa laga.
वाह्!क्या बात है! मन आनन्दित हुआ.....
ReplyDeleteवाह , बहुत बढ़िया अवलोकन कर रचना गढ़ी है...सुन्दर ग़ज़ल...
ReplyDeleteहल्केफुल्के ढंग से भारी भरकम बात कह दी
ReplyDelete.बहुत शानदार...
ReplyDeleteसही बात कही सब एक ही अस्तबल में आ गये है
ReplyDeleteअरे हम जैसे गधों के लिए भी एक अलग से अस्तबल तो होना माँगता है ना भाई
है कि नहीं ///...
यही घोड़ा यही गधा यही अस्तबल है
सही है जी सही है
.
ReplyDeleteGrrreat !
Great flight of thoughts !
बेहतरीन!! घोड़ा गधा अस्तबल ही ठीक रहता..हा हा!!
ReplyDeleteवाह सुंदर भावाभिव्यक्ति साधुवाद
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य की शानदार प्रस्तुति ! बधाई स्वीकारें !
ReplyDeleteप्रेम जी ! सुझाव के लिए शुक्रिया ... आपने सही लिखा है ... थोडा शब्द अदल बदल कर देने से बेहतर लग रहा है ... मैंने आपकी सुझाई हुई पंक्ति लगा दी है ...
ReplyDeleteसमीर लाल जी, शुक्रिया ! पहले तो घोडा गधा ही लगाने का सोचा ... पर फिर सोचा की ज्यादा गुस्ताखी शायद ठीक नहीं होगी ... इसलिए उस पंक्ति को "side hero" के तौर पर रख दिया !
वीनस जी, गधों के लिए अलग से अस्तबल तो बनने से रहा, इसलिए गधे घोड़े एक ही अस्तबल में रहे तो बेहतर है ... हम जैसे गधे भी घोड़ों की भीड़ में शामिल होकर अपना काम चला लेते हैं, और किसीको पता भी नहीं चलता ...:)
ब्लागजगत के हाल का चित्र खींचा आपने
ReplyDeleteसुमन कहे कि सैल जी बात कहने में सफल है
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut khub
ReplyDeletebadhai is ke liye aap ko
बहुत खूब! चकाचक!
ReplyDeleteबहुत खूब ।
ReplyDeletebahut khub...
ReplyDeleteachhi rachna.....
yun hi likhte rahein....
regards
http://i555.blogspot.com/
हैं तो इसका मतलब इस ब्लोग्गर बाबा का देसी नाम "अस्तबल" है जिसमें हम सब बंधे हुए बिलबिलाए और हिनहिनाए जा रहे हैं ,,,ओहोहो क्या सुरूर चढा है आज तो । छा गए गुरू छा गए
ReplyDeleteअहा!
ReplyDeleteअदभुत
हल्के फुल्के तरीके से लिखी सशक्त बात ..... जो कहना चाहते हैं बाखूबी कह दिया है ...
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