अभी रात के बारह बजे हैं , और मैं ये कविता लिखने बैठा हूँ ! वैसे तो माँ को याद करने के लिए कोई खास दिन की ज़रूरत नहीं होती है । माँ हर पल दिल में होती है । फिर भी आज जब घर से बहुत दूर हूँ, माँ को देखे बहुत दिन हो गया, तब, बहुत जी करता है की बस सब कुछ छोड कर माँ के पास जाऊं और उनके गोद में सर रखकर सो जाऊं । माँ के बारे में कुछ भी लिखो कम है ... फिर भी बस अपने दिल में कुछ बातें थी जो बाहर आ गयी ...
जब संकट सामने होता है
जब झंझाबात घिर आता है
जब चारों तरफ अँधेरा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब खुशी से पागल होता हूँ
जब मुस्कुराना चाहता हूँ
जब हर तरफ उजियारा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब रात नींद नहीं आती है
बचपन की यादें सताती है
जब घर से दूरी खलती हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब अकेला लगने लगता है
क्या करूँ समझ नहीं आता है
जब भी कोई दुविधा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
हर पल हर दिन बस ऐसे हो
हर सुख दुःख जाने कैसे हो
पर तू याद बहुत आती है
हाँ तू याद बहुत आती है
जब झंझाबात घिर आता है
जब चारों तरफ अँधेरा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब खुशी से पागल होता हूँ
जब मुस्कुराना चाहता हूँ
जब हर तरफ उजियारा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब रात नींद नहीं आती है
बचपन की यादें सताती है
जब घर से दूरी खलती हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
जब अकेला लगने लगता है
क्या करूँ समझ नहीं आता है
जब भी कोई दुविधा हो
तब, माँ, तेरी याद आती है
हर पल हर दिन बस ऐसे हो
हर सुख दुःख जाने कैसे हो
पर तू याद बहुत आती है
हाँ तू याद बहुत आती है
चित्र साभार गूगल सर्च
अति उतम रचना के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteलाजबाब ।
ReplyDeletemaan yaad karo na karo yaad aati hai...
ReplyDeleteउम्दा रचना।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteवन्दे मातरम !!
ReplyDeleteवाकई माँ बहुत याद आती है
ReplyDeleteसुंदर रचना... मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
ReplyDeletemaa ! wah har ghadi apne aanchal ki chhanw, uske aashish, uske hauslon, uski nemton ke saath hoti hai, maa bachchon ki jaan hoti hai
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! मात्री दिवस पर उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeleteजी नमस्ते ..... एक अच्छी प्रस्तुति ....सुन्दर रचना ../माँ पर कुछ भी लिखो कम ही लगता है ..फिर भी आपने बहुत सुन्दर लिखा है ...बस इसे पढ़ कर इतना ही कहूँगा की दुनिया की हर माँ को शत-शत नमन ....'माँ ' शब्द अपने आप में महान है /// और इसी महान शब्द पर हमने भी कुछ लिखने की कोशिश की है ....उसे भी अपनी टिपण्णी में ही शामिल समझे ....आपके सुझाव सादर आमंत्रित है
ReplyDeletehttp://athaah.blogspot.com/2010/05/blog-post_08.html
माँ के प्रति समर्पित आपकी अच्छी रचना...
ReplyDeleteमा तो शायद हर पल ही साथ रहती है ... चाहे हम उसे किसी ख़ास मौके पर ही याद करें .... बहुत ही संवेदनशील लिखा है ...
ReplyDeleteसंसार की समस्त माताओं को नमन
ReplyDeleteइन्द्रनील जी माँ पर कुछ भी उसे सम्मान देता है .....!!
ReplyDeleteमाँओं का आशीष यूँ ही बना रहे .....!!
बहुत सुन्दर, भावपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteindraneel babu..in short aap ye kah rahe hain ki ..maa har waqt yaad aati hai .. :) bahut achhi rachna lagi aap ki .. :)
ReplyDeleteमां अपने आप में परिपूर्ण शब्द है. फिर भी जितना लिखा जाये, कम ही लगता है...कविता सुन्दर है...मां को विभिन्न देशों में पुकारे जाने वाले संबोधन की ज्ञानवर्धक जानकारी के लिये शुक्रिया.
ReplyDeletema vo hai jo har ek ka dukh dard samajhti hai
ReplyDeletema vo hai jo har ek ko pyar deti hai
ma vo hai jo sabhi dukho ko sahti hai
ma vo hai jiske pairo ke neeche jannat hai
ma vo hai jise sabhi pujte hain
ma vo hai jise mai barambar naman karta hu