इस बार कविता की जगह एक तस्वीर पेश है । वैसे मेरा मानना है की एक अच्छी तस्वीर किसी कविता से कम नहीं होती है । आप जब कविता पढते हैं, तो आपके जेहन में कुछ बातें आती हैं जो शायद आपको सोचने पर मजबूर करती है, या फिर एक ऐसी तस्वीर आपको दिखाती है जो आपको अच्छी लगे । ठीक उसी तरह, एक अच्छी तस्वीर भी आपके दिल में छाप छोड सकती है । अब यह तस्वीर अच्छी है या नहीं यह तो आप ही बेहतर बता पाएंगे ।
दिल्ली की एक गली में मेरे सामने जब यह दृश्य आया तो मेरा हाथ अपने आप मेरे कैमरा की तरफ चला गया । आगे मैं आप सबकी प्रतिक्रिया सुनना चाहता हूँ -
दिल्ली की एक गली में मेरे सामने जब यह दृश्य आया तो मेरा हाथ अपने आप मेरे कैमरा की तरफ चला गया । आगे मैं आप सबकी प्रतिक्रिया सुनना चाहता हूँ -
तस्वीर बोल रही है!!
ReplyDeleteTASVIRE KAHTI HE
ReplyDeleteSAHI HE
SHEKHAR KUMAWAT
Bahut kuchh bol jati hai yah tasveer,
ReplyDeleteKisi majboorka afsana hai,yah tasveer..
लदने वाला भारतीय जनता है और लादने वाला वित् मंत्री !:)
ReplyDeletekhaamoshi zindagi kee kahani kah rahi hai......
ReplyDeleteमस्त एकदमतस्वीर ही नहीं,आपका स्टाइल भी!आप तो खामोश होकर ही बहुत कुछ कह गए,और हमे मजबूर कर दिया अपने हालात बताने के लिए.....!
ReplyDelete"सेवा ही हमारा धर्म है"
कुंवर जी,
इतना बोझ लादेगा तो जीवन बीमा करवाना ही पड़ेगा।
ReplyDeleteविज्ञापन के साथ फ़ोटो भी बोल रही है।
आभार
मस्त एकदमतस्वीर ही नहीं,आपका स्टाइल भी!
ReplyDeleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeleteइस पर तो क्विज़ रखनी चाहिए थी..शायद सबसे अच्छा शीर्षक होता..."जनता",जो इसकी तरह ही महंगाई से दबी पड़ी है...
ReplyDeleteबढ़िया चित्र !
ReplyDeletevigyapan ,photo ,sandesh sabhi to bol rahe hain aur mook rahkar jo kaha jata hai wo jyada asardar hota hai.
ReplyDeleteआपने तो बोलती हुई तस्वीर के माध्यम से सब कुछ कह दिया है! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeletebechara gadha..!!!!!!!!!!!!!!!1
ReplyDeleteवाकई में तस्वीर बोल रही है....
ReplyDelete"सेवा ही हमारा ध्येय है"(इसीलिये लद रहे हैं)
ReplyDelete(मेवा उसका ध्येय है जो लाद रहा है) :)
बहुत खूब
ReplyDeleteगोदियाल जी से सहमत
aadmi ko bojh to uthana hi hai ..chahe aadmi ban kar..chahe gadha.. achhi tasveer
ReplyDeleteतस्वीर बोल रही है.
ReplyDeleteजिंदगी ..
गधे पर अपना
बोझ तोल
रही है...
गधा सोच रहा है
काश पढ़ना आता
तो,
जीवन बीमा
ज़रूर कराता .... :):)
मेरा गधा गधों का लीडर, कहता है ये दिल्ली जाकर
ReplyDeleteमैं मांगें अपनी आज सभी मनवाकर आऊँगा.
नहीं तो घास न खाउँगा...
पर ये क्या धंदा शुरू कर दिया यार!!
सच में तस्वीर बोल रही है ... देखने वाले की सोच बोल रही है.....
ReplyDeletemaan gaye bhaai .....http://athaah.blogspot.com/
ReplyDeleteमेरा भारत महान!
ReplyDeleteयहाँ पर गधे सबसे पहेलवान!
उन्हें लादने वाले नेता बेईमान!
गधे= हम और आप, और कौन?
gadha ka vyathaa
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