Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Aug 1, 2014

रोटी कपड़ा और मकान


1
अपने हिस्से की रोटी
बच्चे को खिलाकर,
तकती रही माँ
अधजली चाँद की तरफ;
मिट गई भूख ।

2
कितनी खुश थी वो,
पाकर नए कपड़े ।
कितने खुश थे हम,
उसे देकर अपने
कपड़े पुराने ।

3
जब तक बनती रही
ऊँची इमारत,
उसके छाँव तले
सलामत रहे
मजदूरो के झोपडे ।

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...