मित्रगणों .... आइये आज आप सबको हम अपने देश का एक महान व्यक्तित्व से मिलाते हैं ... निमोक्त चरित्र चित्रण मैंने नहीं लिखा है .... यह मुझे मेरे एक दोस्त ने ईमेल द्वारा भेजा है ... मुझे यह चरित्र इतना अच्छा लगा कि मैं इसे अपने ब्लॉग पर लगाने का लोभ संवरण नहीं कर सका ....
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उनके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाले थे .
2. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उन्हें अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उन्होंने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहते तो गर्दन भी काट सकते थे . पर उनके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उनके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उनका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझते थे . बसन्ती को पकड़ने के बाद उनके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उन्होंने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ते थे .
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उन्होंने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उन्होंने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उनमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उन्होंने उन तीनों को खूब हंसाये थे. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' थे .
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उन्होंने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और ही करता.
7. भिक्षुक जीवन: उन्होंने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाये थे . रामपुर और अन्य गाँवों से उन्हें जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करते थे, सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उन्होंने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करते थे . सैकड़ों माताएं उनका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उनपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखी थी. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होते तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.
उपरोक्त महानायक का चित्र गूगल से साभार लिया गया है ....