Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Mar 13, 2010

ये खबर गर्म है

ये खबर पढ़ लो, ये खबर गर्म है !
हादसों से अभी ये शहर गर्म है !!
नादान सही पर इतनी तो है समझ!
इस दिल में ठंडक है, ये नज़र गर्म है !!
रह गए जमकर ये लम्हात वहीँ पर !
तन्हाई की जो ये दोपहर गर्म है !!
अभी से तो न मुझ पर लिखो मर्सिया !
अभी तो रगों में ये ज़हर गर्म है !!
देख लो लगाकर हाथ एकबार 'सैल' !
जहाँ पर दफ़न है वो कबर गर्म है !!

मर्सिया - शोक काव्य

Mar 11, 2010

चाहत हंसने की

कहते हैं, कि ग़म से ही
होता है ख़ुशी का एहसास !
पर करो बंद मुट्ठी
तो रेत की तरह
फिसल जाता है !!

लेकर चाहत हंसने की,
रोते रोते आये,
ज़िन्दगी के आँगन में;
हंसा हंसा कर,
रुलाती है !

अब, डर लगने लगा है,
ख़ुशी की आहट से !
न जाने कितने ग़म छिपे होंगे
उसके आँचल में !!

ख़ुशी की चाहत में,
हर सितम सह रहे हैं !
अँधेरी रात के बाद
आता है,
आयेगा,
सवेरा !
बस यही उम्मीद है !!

Mar 10, 2010

रुला गया मौसम ये हँसी का

ज़िन्दगी तू करले कितना भी सितम
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
गैरों से कैसा गिला
किसीसे भी क्या मिला
मिला है तो बस केवल ही रंजो ग़म
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम

तरीका ना जाना मै ज़माने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
करता रहा नादानी
होशियारी ना जानी
शौक था यूँ शराफत दिखाने का
नाम मुझको मिला दीवाने का

बुरा कभी चाहा ना मै किसीका
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
मेरी बातें है झूठी
ऊँगली मुझपर उठी
रुला गया मौसम ये हँसी का
सज़ा मिली मुझे आज इसीका

(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)

Mar 7, 2010

आजकल

आजकल वो यूँ ही जानकर गाफिल1 रहते हैं !
ज़माने के साजिश में वो भी शामिल रहते हैं !!
किसको काटे किसे रखे ये तो पानी पर है !
दोनों बाज़ू वरना एक से साहिल2 रहते हैं !!
अजब हालत है ज़माने की अब तो हर कोई !
अधूरापन में भी अक्सर वो कामिल3 रहते हैं !!
आज यहाँ पर ज़माने की ये हालत है कि !
ज़हीनो4 के सर पर सवार जाहिल5 रहते हैं !!
कहाँ गई वो ख़ुशी जो थी कभी चेहरे पर !
आजकल वो काम के मारे काहिल6 रहते हैं !!
क्या बतलाऊँ तुझको मै कि बड़ा मशरूफ हूँ !
दिलो दिमाग में कितने मसाइल7 रहते हैं !!
इन्ही बातों पर अजीब उलझन में है 'सैल'!
कि इस तरह सारी बातें मुकाबिल8 रहते हैं !!
1. गाफिल – बे फिक्र ; 2. साहिल – किनारा ; 3. कामिल – मुकम्मल, whole, complete ; 4. ज़हीन – intelligent ; 5. जाहिल - अनपढ़, गंवार ; 6. काहिल - सुस्त, थका हुआ, tired ; 7. मसाइल – matter, मसलें ; 8. मुकाबिल - opposite

Mar 1, 2010

बड़ी देर तक

काफिला गुज़र गया, उडती रही धूल बड़ी देर तक !
राह में उनके फिर भी पड़े रहे फूल बड़ी देर तक !!
हमभी तडपे थे बहुत उनकी गफलतो बेवफाई पर !
पछताए होंगे वो भी देख अपनी भूल बड़ी देर तक !!
(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)

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