ये खबर पढ़ लो, ये खबर गर्म है !
हादसों से अभी ये शहर गर्म है !!
नादान सही पर इतनी तो है समझ!
इस दिल में ठंडक है, ये नज़र गर्म है !!
रह गए जमकर ये लम्हात वहीँ पर !
तन्हाई की जो ये दोपहर गर्म है !!
अभी से तो न मुझ पर लिखो मर्सिया !
अभी तो रगों में ये ज़हर गर्म है !!
देख लो लगाकर हाथ एकबार 'सैल' !
जहाँ पर दफ़न है वो कबर गर्म है !!
मर्सिया - शोक काव्य
अपनी कुछ कवितायेँ, कुछ ग़ज़ल, कुछ बात रख रहा हूँ ............... मेरी ज़िन्दगी के कुछ एहसासात रख रहा हूँ
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Indranil Bhattacharjee "सैल"
दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!
अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!
अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...
Mar 13, 2010
Mar 11, 2010
चाहत हंसने की
कहते हैं, कि ग़म से ही
होता है ख़ुशी का एहसास !
पर करो बंद मुट्ठी
तो रेत की तरह
फिसल जाता है !!
लेकर चाहत हंसने की,
रोते रोते आये,
ज़िन्दगी के आँगन में;
हंसा हंसा कर,
रुलाती है !
अब, डर लगने लगा है,
ख़ुशी की आहट से !
न जाने कितने ग़म छिपे होंगे
उसके आँचल में !!
ख़ुशी की चाहत में,
हर सितम सह रहे हैं !
अँधेरी रात के बाद
आता है,
आयेगा,
सवेरा !
बस यही उम्मीद है !!
होता है ख़ुशी का एहसास !
पर करो बंद मुट्ठी
तो रेत की तरह
फिसल जाता है !!
लेकर चाहत हंसने की,
रोते रोते आये,
ज़िन्दगी के आँगन में;
हंसा हंसा कर,
रुलाती है !
अब, डर लगने लगा है,
ख़ुशी की आहट से !
न जाने कितने ग़म छिपे होंगे
उसके आँचल में !!
ख़ुशी की चाहत में,
हर सितम सह रहे हैं !
अँधेरी रात के बाद
आता है,
आयेगा,
सवेरा !
बस यही उम्मीद है !!
Mar 10, 2010
रुला गया मौसम ये हँसी का
ज़िन्दगी तू करले कितना भी सितम
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
गैरों से कैसा गिला
किसीसे भी क्या मिला
मिला है तो बस केवल ही रंजो ग़म
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
तरीका ना जाना मै ज़माने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
करता रहा नादानी
होशियारी ना जानी
शौक था यूँ शराफत दिखाने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
बुरा कभी चाहा ना मै किसीका
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
मेरी बातें है झूठी
ऊँगली मुझपर उठी
रुला गया मौसम ये हँसी का
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
गैरों से कैसा गिला
किसीसे भी क्या मिला
मिला है तो बस केवल ही रंजो ग़म
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
तरीका ना जाना मै ज़माने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
करता रहा नादानी
होशियारी ना जानी
शौक था यूँ शराफत दिखाने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
बुरा कभी चाहा ना मै किसीका
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
मेरी बातें है झूठी
ऊँगली मुझपर उठी
रुला गया मौसम ये हँसी का
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
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Mar 7, 2010
आजकल
आजकल वो यूँ ही जानकर गाफिल1 रहते हैं !
ज़माने के साजिश में वो भी शामिल रहते हैं !!
ज़माने के साजिश में वो भी शामिल रहते हैं !!
किसको काटे किसे रखे ये तो पानी पर है !
दोनों बाज़ू वरना एक से साहिल2 रहते हैं !!
दोनों बाज़ू वरना एक से साहिल2 रहते हैं !!
अजब हालत है ज़माने की अब तो हर कोई !
अधूरापन में भी अक्सर वो कामिल3 रहते हैं !!
अधूरापन में भी अक्सर वो कामिल3 रहते हैं !!
आज यहाँ पर ज़माने की ये हालत है कि !
ज़हीनो4 के सर पर सवार जाहिल5 रहते हैं !!
ज़हीनो4 के सर पर सवार जाहिल5 रहते हैं !!
कहाँ गई वो ख़ुशी जो थी कभी चेहरे पर !
आजकल वो काम के मारे काहिल6 रहते हैं !!
आजकल वो काम के मारे काहिल6 रहते हैं !!
क्या बतलाऊँ तुझको मै कि बड़ा मशरूफ हूँ !
दिलो दिमाग में कितने मसाइल7 रहते हैं !!
दिलो दिमाग में कितने मसाइल7 रहते हैं !!
इन्ही बातों पर अजीब उलझन में है 'सैल'!
कि इस तरह सारी बातें मुकाबिल8 रहते हैं !!
कि इस तरह सारी बातें मुकाबिल8 रहते हैं !!
1. गाफिल – बे फिक्र ; 2. साहिल – किनारा ; 3. कामिल – मुकम्मल, whole, complete ; 4. ज़हीन – intelligent ; 5. जाहिल - अनपढ़, गंवार ; 6. काहिल - सुस्त, थका हुआ, tired ; 7. मसाइल – matter, मसलें ; 8. मुकाबिल - opposite
Mar 1, 2010
बड़ी देर तक
काफिला गुज़र गया, उडती रही धूल बड़ी देर तक !
राह में उनके फिर भी पड़े रहे फूल बड़ी देर तक !!
हमभी तडपे थे बहुत उनकी गफलतो बेवफाई पर !
पछताए होंगे वो भी देख अपनी भूल बड़ी देर तक !!
(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)
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