Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Apr 22, 2010

काम रखो बस काम से


मेरे इस ग़ज़ल पर डॉ. डंडा लखनवी जी कुछ सुधार किये हैं ! इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ ! उनके द्वारा बताये हुए संसोधन को मैं इसमें शामिल कर रहा हूँ ... मुझे यकीन है कि इससे इस ग़ज़ल में और निखार आ गया है .... सभी बड़ों एवं बुजुर्गों से निवेदन है कि जब भी मौका मिले इसी तरह से मार्गदर्शन करते रहे ...


यही दौर चल रहा शाम से ।
टकराया है जाम जाम से ॥

अगर नहीं है दिली मोहब्बत !
क्या सलाम क्या एहतिराम से॥

बात वो लिख डाली ग़ज़ल में !
चुभ रही थी जो कल शाम से !!

बंद बस कर ले आँखों को !
बेफिक्र हो जा आराम से !!

जिस दर को मैं भूल चुका था !
आया है ख़त उस मुकाम से॥

सब है पता खरीद्दार को!
बिकता है कौन किस दाम से !!

सोचता है जो औरों के लिए !
डर है क्या उसे अंजाम से ?

राम हो तुम या फिर रहीम हो !
पढता है फर्क क्या नाम से ?

मत ऐसे सवाल करो सैल !
तुम बस काम रखो काम से !!

22 comments:

  1. oh! Wah! Phir ekbaar sashakt rachana!

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  2. mere best friend ka naam bhi indranil bhattacharjee hai :) what a coincidence :) glanced through your blog. will come back later after going through it. couldnt stop myself after seeing you comment on my blog.

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  3. jab mann snehsikt na ho to har baat vyarth hai....bahut badhiyaa

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  4. गज़ब, कमाल एक दम!बेहतरीन ख्याल,कमाल का लफ़्ज़ों का इस्तेमाल.

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  5. achha likhte hain aap ... jaari rakhen...


    arsh

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  6. bahut hi khubsurat rachna...
    achha laga aapko padhkar...
    yun hi likhte rahein...
    ----------------------------------------
    mere blog par is baar
    इंतज़ार...
    jaroor aayein...
    http://i555.blogspot.com/

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  7. सुन्दर प्रस्तुति,बधाई हो।

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  8. बेहद ही खुबसूतर लफ्ज़ .... जो चुभन थी शाम से लिख डाली गजल में क्या बात है यार ..... याद रहेगी ...

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  9. तबियत गुलाब गुलाब हो गयी .बहुत अच्छे .
    लिखते रहो लिखाते रहो
    यूँ ही हमें सुनाते रहो

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  10. बेहद ही खुबसूतर लफ्ज़ ....

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  11. kaam rakho kaam se .....bahut sahi aur bahut khoobsurat

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  12. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....काम से काम रखो...

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  13. बेहद ख़ूबसूरत और लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने जो प्रशंग्सनीय है! आपकी लेखनी को सलाम!

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  14. bahut khoob...sarkar dil khush ho gaya...
    baat wo likh daali gazal me...
    jo chubh rahi hai sham se....
    in panktiyon ne dil jeet liya...

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  15. डा. डंडा लखनवी जी तो मेरे भी प्रिय हैं...

    ग़ज़ल प्रभावशाली कही आपने.

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  16. "राम हो तुम या फ़िर रहीम हो
    पढ़ता है फ़र्क क्या नाम से?"

    बहुत खूब।
    आभार आपका इतनी अच्छी प्रस्तुति पर।

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  17. बहुत खूब!! अब डॉ डंडा लखनवी जी का आशीर्वाद है तो क्या बात है..सौभाग्यशाली हैं आप!!

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  18. sundar koshish hai badhai. abhi to bahut sadhanaa kareani hai aur main dekh rahaa hu, ki aap taiyaar bhi hai, yah achchhi baat hai. bhaile logon ki, vidvaano ki salaah le karaage chalate rahe, shubhkaamanaye.

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  19. खूबसूरत गज़ल, बधाई.

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  20. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल...
    आपका अंदाज़ अच्छा लगा...और अगर बड़ों का आशीर्वाद भी है, आपके साथ तो फिर कौन रोकेगा भला आपको ....आपकी लेखनी दिन दुनी रात चौगुनी नयी मंजिलें पाती रहे...
    शुक्रिया....

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  21. बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है ... हर शेर खिलता हुवा गुलाब है ... रोजमर्रा की भाषा में इतनी लाजवाब ग़ज़लें कम ही पढ़ने को मिलती हैं ... बधाई कबूल करें ...

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