खिजां भी देखी है मैंने तो, देखी है बहार भी !
मैदाने जंग में देखी है जीत भी है हार भी !!
मैदाने जंग में देखी है जीत भी है हार भी !!
रूक रूक के आँखों से कैसे टपकता है अश्के ग़म !
पानी देखा है ठहरा हुआ, देखी है धार भी !!
कहीं ईद-होली है तो कहीं गोधरा-बाबरी !
कहीं नफरत पनपते देखा, कहीं दिल में प्यार भी !!
उससे मुझे रूठना है या मनाना है उसको !
वो मेरे ग़म का सबब है वो मेरा ग़मख्वार1 भी !!
वो मेरे ग़म का सबब है वो मेरा ग़मख्वार1 भी !!
उलझन में हूँ पहले कौन सी बात मैं करूँ उससे !
दिल में मेरे कई सवाल, शिकवे हैं हज़ार भी !!
दिल में मेरे कई सवाल, शिकवे हैं हज़ार भी !!
उनके आने का वादा है झूठा ये है पता हमें !
दिल में शक है लेकिन ‘सैल’ थोड़ा है ऐतबार2 भी !!
दिल में शक है लेकिन ‘सैल’ थोड़ा है ऐतबार2 भी !!
- ग़मख्वार - हमदर्द, sympathiser
- ऐतबार - विश्वास, trust
अच्छा बयां है आपकी रचना में!मज़ा आया पढ कर! "सच में" पर आने और वख्त देने के लिये आप का तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूं, और दोबारा आमद का मुन्तज़िर! सादर!
ReplyDelete_Ktheleo
aapki yeh khoobsurat uljhan bahut psand aayi
ReplyDelete-Shruti
bahut accha likhte hain aap..
ReplyDeleteaccha laga aapko padhna..
har sher behad umda, jazbaaton ki khubsurat bayaangi, daad kubool karen.
ReplyDeletenice......it is too good....
ReplyDeletebahut hi badhiyaa.......
ReplyDeleteBehad achha likhte hai aap...harek alfaaz jaise gadha gaya ho!
ReplyDeleteबहुत खूब...असमंजस की स्थिति को बखूबी बयां किया है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगा! लाजवाब प्रस्तुती! बहुत बहुत बधाई!
ReplyDeletebahut khoob dost.Badhai!!
ReplyDeletekhijan bhi dekhi hai maine to dekhi hai bahar bhi
ReplyDeletejang mein jeet bhi dekhi hai to dekhi hai haar bhi
ruk ruk ke aankhon se kaise tapkata hai ashke gam
paani bhi dekha thahra hua to dekhi hai dhaar bhi
ye sher mujhe bahut pasand aaye hain puna Badhai!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteउस से मुझे रूठना है, या मनाना है उसे
ReplyDeleteवो मेरे गम का सबब है वो मेरा गमखार भी
बहुत जानदार शेर बन पडा है
रचना में दिल की गहराई झलकती है
आभार .
सत्यम शिवम् सुन्दरम ................... ओर क्या कहूं आखिरी शेर कमाल का लगा मजा आ गया एक एक शेर संग्रहनीय
ReplyDeletewow, indranil ji..
ReplyDeleteaaj mauka laga apke blog par aaane ka..
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Thanks
Yogesh
WAH JANAB..AAP TO CHHUPE RUSTAM...NIKLE ..DIL KO CHHOO LENE WALI RCHNA...UTTAM
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteआप सभी को मेरा तहे दिल से शुक्रिया !
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