अपनी माँ के लिए मेरी बेटी द्वारा बनाई गई कलाकृति (उस पोस्ट पे जाने के लिए यहाँ क्लिक करें) |
मैं भी प्यार करता हूँ माँ
नहीं दिखा पाता हूँ
मैं भी करता हूँ परवाह
नहीं बता पाता हूँ
कितने अच्छे थे वो दिन
जब तू लोरी सुनाती थी
अपनी गोदी में बिठाकर
प्यार से खाना खिलाती थी
तेरी ममता के छांव में
निश्चिन्त मैं पला बड़ा
तुने बनाया इस लायक
हूँ अपने पैरों पर खड़ा
पास तू नहीं है फिर भी
सर पर तेरा आशीष है
तपते जीवन में तेरी
स्नेह-ममता की बारिश है
सुन्दर भाव ..
ReplyDeleteतेरी ममता के छांव में
ReplyDeleteनिश्चिन्त मैं पला बड़ा
तुने बनाया इस लायक
हूँ अपने पैरों पर खड़ा
बहुत ही खूबसूरत शब्द दिए हैं आपने.
सादर
पास तू नहीं है फिर भी
ReplyDeleteसर पर तेरा आशीष है
तपते जीवन में तेरी
स्नेह-ममता की बारिश है.
बहुत खूबसूरत रचना. माँ का आशीष है ही ऐसा. शुभकामनायें.
वन्दे मातरम !
ReplyDeleteभगवान राम ने शिव-धनुष तोंड़ा, सचिन ने क्रिकेट में रिकार्ड तोड़ा, अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ा, प्रदर्शन-कारियों रेलवे-ट्रैक तोड़ा, विकास-प्राधिकरण ने झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ा। तोड़ा-तोड़ी की परंपरा हमारे देश में पुरानी है। आपने कुछ तोड़ा नहीं अपितु माँ की ममता से समाज को जोड़ा है। इस करुणा और ममता को बनाए रखिए। यह जीवन की पतवार है। आपकी रचना का यही सार है। साधुवाद!
ReplyDelete=====================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
माँ को याद करती एक खूबसूरत कविता ...शुभकामनायें आपको !
ReplyDeleteSach! Kabhee nahee lautte wo guzare zamane! Bahut sundar rachana!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना, शुभकामनायें...........
ReplyDeleteसुन्दर कृतियाँ! पिता पुत्री दोनों ही कलाकार हैं। मदर्स डे की शुभकामनायें!
ReplyDeleteतपते जीवन में तेरी
ReplyDeleteस्नेह-ममता की बारिश है
बहुत ही सुन्दर
@ संगीता जी, यशवंत, रचनाजी, शिवम जी, सतीशजी, क्षमा जी, सुनील जी, अनुराग जी, और anonymous
ReplyDeleteआप सबको धन्यवाद !
@ डॉक्टर लखनवी जी,
आपको अनेक धन्यवाद जो आपने रचना को सराहा, दरअसल माँ की ममता ही एक ऐसी चीज़ है जो हमें बचपन से प्रेम और स्नेह करना सिखाती है ... हमें इंसान बनाती है ...
मैं भी प्यार करता हूँ माँ
ReplyDeleteनहीं दिखा पाता हूँ
मैं भी करता हूँ परवाह
नहीं बता पाता हूँ
...
hmmm kai bachche aisi vivashta me hote hain per maa ko to ehsaas hona hi chahiye , wah to dhadkanon se judi hoti hai, her vivashtaaon ko samajhti hai
aur chitra behad pyaara laga , bitiya ko pyaar
ReplyDeleteदीदी, आपको बहुत सारा धन्यवाद !
ReplyDeleteदीदी भी तो माता समान होती है ... आपका प्यार पाके अच्छा लगता है !
Hmmm bata pana sabke vash me nahi hota... bade ho k himmat nahi rehti waise mujhe to bachpan se nahi aata...khair.. sundar kavita :)
ReplyDeleteबहुत संदर, मां के प्रति समर्पित भावनाएं।
ReplyDeleteपास तू नहीं है फिर भी
ReplyDeleteसर पर तेरा आशीष है
तपते जीवन में तेरी
स्नेह-ममता की बारिश है...
नील जी , भावुक कर दिया आपने। माँ की यादें बहुत तडपाती हैं अक्सर।
.
माँ से बड़ा कोई नहीं हो सकता. mothers day ki badhai.
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर स्वागत है
दुनाली
माँ की ममता तो हमेशा साथ रहती है ... सुंदर रचना ... माँ से बड़ा कोई नहीं ...
ReplyDeleteनिश्चय ही माँ का आशीष सबसे बड़ा हथियार होता है.
ReplyDeleteमैं भी प्यार करता हूँ माँ
ReplyDeleteनहीं दिखा पाता हूँ
मैं भी करता हूँ परवाह
नहीं बता पाता हूँ
कितने अच्छे थे वो दिन
जब तू लोरी सुनाती थी
अपनी गोदी में बिठाकर
प्यार से खाना खिलाती थी
तेरी ममता के छांव में
निश्चिन्त मैं पला बढा
तुने बनाया इस लायक
हूँ अपने पैरों पर खरा
पास तू नहीं है फिर भी
सर पर तेरा आशीष है
तपते जीवन में तेरी
स्नेह-ममता की बारिश है
bahut pyaari rachna...
@ मोनाली जी, मनोज जी, दिव्या जी, मलखान जी, नासवा जी,
ReplyDeleteआप सभी का आभार आप लोगों ने रचना को सराहा
@ निशांत और विजय जी, आप दोनों को धन्यवाद !
ReplyDeleteतेरी ममता के छांव में
ReplyDeleteनिश्चिन्त मैं पला बड़ा
तुने बनाया इस लायक
हूँ अपने पैरों पर खड़ा...
बिल्कुल सही ! बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! माँ के बारे में जितना भी कहा जाए कम है!
माँ
ReplyDeleteसिर्फ एक शब्द नहीं है
इक भावना है
और इस पावन भावना से जुड़े रहना
सच में पुन्य का काम है
आभार स्वीकारें .
bahut sundar...maa se badhkar bhla kaun.....
ReplyDeletebahut khoob ...bahut achhi rachna..maa ki barabari koi nahi kar sakta ..vo sabse upr hai...
ReplyDelete@ बबली जी, दानिश जी, मानव जी और सुमन जी,
ReplyDeleteआप सबको बहुत बहुत शुक्रिया !