ये चित्र मेरा अपना लिया हुआ है ! |
आज फिर आप सबके लिए एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मैंने "मुफायलुन् मुफायलुन्" बहर में कहने की कोशिश की है ... बताइए ज़रूर कि आपको कैसी लगी मेरी ये कोशिश ...
ये जिंदगी, पता है क्या ?
न खत्म हो, सज़ा है क्या ?
है आँख क्यूँ भरी भरी ?
किसी ने कुछ कहा है क्या ?
दिखाते हो हरेक को ।
ज़ख़्म अभी हरा है क्या ?
नसीब फिर जला मेरा ।
कि राख में रखा है क्या ?
है रंग फिर उड़ा उड़ा ।
मेरी खबर सुना है क्या ?
सज़ा तो मैंने काट ली ।
बता दे अब खता है क्या ॥
रगड़ लो हाथ लाख तुम ।
लिखा है जो मिटा है क्या ?
समझ गया पढ़े बिना ।
कि खत में वो लिखा है क्या ॥
जो टूटे वो जुड़े नहीं ।
ज़ख़्म कभी भरा है क्या ?
खुदा है वो पता उसे ।
कि दिल की अब रज़ा है क्या ॥
ज़रा सा गम मिलाया है ।
ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
समझ सका न “सैल” ये ।
अजीब सिलसिला है क्या ॥
आपकी गज़ल तो सुन्दर है ही मगर उस से ज्यादा सुन्दर आपका चित्र लगा…………गज़ब का लिया है आपने शुरु कर दीजिये फ़ोटोग्राफ़ी
ReplyDeleteवन्दना जी, शुक्रिया ... फोटोग्राफी का तो हमेशा से ही शौक रहा है मुझे ... आजकल डिजिटल फोटोग्राफी होकर काम आसान हो गया है ... मैं अपने फेसबुक एकाउंट में अपने लिए हुए फोटो लगाते रहता हूँ ...
ReplyDeleteसच बोलने में कष्ट हो रहा है इतनी अच्छी गज़ल बहुत दिनों से नहीं पढ़ी बहुत बहुत मुबारक हो
ReplyDeleteसज़ा तो मैंने काट ली ।
ReplyDeleteबता दे अब खता है क्या ॥
रगड़ लो हाथ लाख तुम ।
लिखा है जो मिटा है क्या ?
tasweer ke pichhe ke dhundhalke gazal suna rahe hain , donon ko sun rahi hun dekhte hue
जो टूटे वो जुड़े नहीं ।
ReplyDeleteज़ख़्म कभी भरा है क्या ?
खुदा है वो पता उसे ।
कि दिल की अब रज़ा है क्या ॥
फोटो तो बहुत अच्छा लिया है सर! साथ ही यह गज़ल पढ़ कर बहुत अच्छा लगा.
सादर
ग़ज़ल और फोटो दोनों बहुत सुन्दर लगीं| धन्यवाद|
ReplyDeleteसैल जी क्या बात है!!
ReplyDelete"सज़ा तो मैंने काट ली ।
बता दे अब ख़ता है क्या ॥"
यह तो हर दिल की बात कह दी आपने. ग़ज़लगोई का करिश्मा हो गया यह तो.....
भूषण जी, आपने इतनी बड़ी बात कह दी ...:) धन्यवाद !
ReplyDelete..पूरी गज़ल सुन्दर है, पर ये शेर क्या बात है! वाह!
ReplyDeleteसमझ गया पढ़े बिना ।
कि खत में वो लिखा है क्या
रगड़ लो हाथ लाख तुम ।
ReplyDeleteलिखा है जो मिटा है क्या ?
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..हरेक शेर लाज़वाब..
सैल भाई, छोटी बहर में आपने बहुत कुछ कह दिया।
ReplyDelete---------
गुडिया रानी हुई सयानी...
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
बहुत अच्छे, ऐसा ही होना चाहिए, गजल के साथ जानदार चित्र,
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteसुंदर शब्दों के साथ बहुत सुंदर चित्र...
ReplyDeleteअच्छी ग़ज़ल...
दिखाते हो हरेक को ।
ReplyDeleteज़ख़्म अभी हरा है क्या ?
अद्भुत! मानवीय संबंधों को आपने बेहद आत्मीय शैली में सुनाया है।
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति.. काफी अच्छा लगा इस ग़ज़ल को पढना.. यूँ ही और बेशुमार गजलें देते रहे...
ReplyDeleteसुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार
तस्वीर और गजल दोनों सुन्दर हैं.
ReplyDeleteदिखाते हो हरेक को ।
ReplyDeleteज़ख़्म अभी हरा है क्या ?
नसीब फिर जला मेरा ।
कि राख में रखा है क्या ?
गज़ल पढ़ने में जो मज़ा आया बयान करना मुश्किल. बहुत खूबसूरत.
कमाल की अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteनसीब फिर जला मेरा ।
ReplyDeleteकि राख में रखा है क्या ?
बहुत ही शानदार रचना,
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
रगड़ लो हाथ लाख तुम ।
ReplyDeleteलिखा है जो मिटा है क्या ?
वाह,खूब.
प्यारी ग़ज़ल.
समझ गया पढ़े बिना ।
ReplyDeleteकि खत में वो लिखा है क्या ॥
जो टूटे वो जुड़े नहीं ।
ज़ख़्म कभी भरा है क्या ?
वाह क्या बात है! बहुत ही सुन्दर, शानदार और ज़बरदस्त ग़ज़ल लिखा है आपने ! आपकी लेखनी को सलाम!
bahut khoob .badhai
ReplyDeleteसज़ा तो मैंने काट ली ।
ReplyDeleteबता दे अब खता है क्या ॥
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है... हर एक शेअर दा`द के काबिल...
प्रेमरस.कॉम
सज़ा तो मैंने काट ली ।
ReplyDeleteबता दे अब खता है क्या ॥
kya baat hai sail bhaiyaa...mazedaar likhe ho ekdum direct dil se..!!
सज़ा तो मैंने काट ली ।
ReplyDeleteबता दे अब खता है क्या ॥
लाजवाब बाकमाल शेर...भाई वाह गज़ब की ग़ज़ल कही है आपने...दाद कबूल करें
नीरज
सज़ा तो मैंने काट ली ।
ReplyDeleteबता दे अब खता है क्या ..
क्या बात है सैल साहब ... लाजवाब ग़ज़ल है और ये शेर तो कतल है .... बहुत उम्दा ...
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ReplyDeleteसज़ा तो मैंने काट ली ।
बता दे अब खता है क्या ॥
Wow ....Awesome !
Very nice creation Neel ji.
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बेहद खूबसूरत ग़ज़ल ......
ReplyDeleteज़रा सा गम मिलाया है ।
ReplyDeleteग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
wah bahut khoob!
--devendra gautam
bahut sundar sahib
ReplyDeleteरगड़ लो हाथ लाख तुम ।
ReplyDeleteलिखा है जो मिटा है क्या ?
तस्वीर के साथ यह पंक्तियां
बेहतरीन प्रस्तुति ।
गज़ल के कायदों का तो नहीं मालूम लेकिन पढ़कर मजा आ गया। बहुत खूब लगी आपकी यह गज़ल।
ReplyDeleteवाह वाह हर एक शेर मुकम्मल है गहरा है और खूबसूरत है.
ReplyDeleteभावनाओं से परिपूर्ण प्रभावी रचना . आभार.
ReplyDeleteपढ़ा है जब से 'सैल' को
ReplyDeleteबताऊँ मैं ,'पढ़ा' है क्या.
कि ज़िन्दगी के फलसफे
सिवा न कुछ दिखा यहाँ .
हरेक शेर में वजन
हरेक शेर फलसफा
बहुत हसीन दर्द भी
है शेर में छुपा हुआ.
रौ भी है , रवानी भी
ग़ज़ल पे मैं फ़िदा हुआ
कि जब से सैल को पढ़ा
बिना पीये नशा हुआ.
है आँख क्यूँ भरी भरी ?
ReplyDeleteकिसी ने कुछ कहा है क्या ?
लाजवाब
वाह ....बहुत ही खूबसूरत शब्द ...बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteजिन्दगी का यूँ रंग भी बदला बदला है क्या ?
खूबसूरत शब्द
ReplyDeletehttp://shayaridays.blogspot.com