भारत में तकनिकी विकास के साथ साथ नैतिक और सामाजिक अधःपतन एक विकराल रूप धारण कर चूका है । आदमी जितना शिक्षित होते जा रहा है उसमें उतना ही नैतिक गिरावट परिलक्षित हो रही है । पहले अनपढ़ लोगों में भी व्यवहार कुशलता होती थी, पर आज के ज़माने में उच्च शिक्षित लोगों में भी अहंकार और कुंठा बहुतायत में देखने को मिल रहा है । वहीँ बृहत्तर समाज में भ्रष्टाचार एक भयंकर समस्या के रूप में उभरा है । खासकर राजनैतिक क्षेत्र में अब ईमानदारी लगभग लुप्त हो चुकी है । जिस खादी के दम पर गांधीजी स्वाधीनता का संग्राम लढे थे, वही खादी आज भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चूका है । सच्चे समाज सेवक भले ही अनशन करते हुए मर जाएँ पर इन भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को कोई फर्क नहीं पड़ता है । जिस जनता के वोट से वो सत्ता में आये हुए हैं उसी जनता को लूटने में व्यस्त हैं । इन्ही विचारों से सजी यह ग़ज़ल पेश है आप सबके लिए ।
उजले कपड़ो में ढका है तन देखो ।
विष का प्याला भी भरा है मन देखो ॥
कितना शिक्षित हो गया है हर कोई ।
बस्ती बस्ती बन गया है वन देखो ॥
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
उसने है मुझपर उठाया फन देखो ॥
हाथों को जोड़े खड़े हैं नेतागण ।
खादी में लिपटा है काला धन देखो ॥
भ्रष्टाचारी ना मिटेंगे राष्ट्र से ।
अनशन करते मिट गया जीवन देखो ॥
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
ReplyDeleteउसने है मुझपर उठाया फन देखो ...
सच कहा है ... आज हर कोई नाग बन रहा है ... समाज का पतन हो रहा है ... सटीक लिखा है ...
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
ReplyDeleteउसने है मुझपर उठाया फन देखो ॥
yahi hota hai , aur jab hota hai to vyakti yun bhi mar jata hai
भ्रष्टाचारी ना मिटेंगे राष्ट्र से ।
ReplyDeleteअनशन करते मिट गया जीवन देखो ॥
सच है जब बात उठती है दो दिन बहुत हो हल्ला करते है बाद में सब शांत हो जाते है ........
Sail bhai sundar Ghazal kahi hai. Badhayi.
ReplyDelete............
तीन भूत और चार चुड़ैलें।!
14 सप्ताह का हो गया ब्लॉग समीक्षा कॉलम।
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
ReplyDeleteउसने है मुझपर उठाया फन देखो ॥
duniya ki sachchai dikhane ki sarthak koshish !
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
ReplyDeleteउसने है मुझपर उठाया फन देखो
लाज़वाब..हरेक शेर बहुत सार्थक और कटु सत्य को उजागर करता हुआ..
जिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
ReplyDeleteउसने है मुझपर उठाया फन देखो ॥
ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं सर!
सादर
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (12-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
सुन्दर कविता, मन को भा गयी।
ReplyDeletebahut acchi rachna...
ReplyDeleteयह कोई कविता हुई , नेताओं की सच्ची कहानी,जनता शर्म से पानी पानी , भाई मजा आ गया मुबारक हो
ReplyDeleteबहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार
ReplyDeleteवाह...बेहतरीन भावाभिव्यक्ति......आभार !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाव व्यक्त किये हैं आपने शुभकामनायें !!
ReplyDeleteकविवर मनोज अबोध कहते हैं:-
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कहावत है, जुबां पर सत्य की ताला नहीं देखा।
मगर हर शख्स को सच बोलने वाला नहीं देखा॥
-मनोज अबोध
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उनकी बात को अगर पैमाना माने तो आप सच्चाई का दामन पकड़े हुए हैं। आप इसे मजबूती से पकड़ें मैं आपके साथ हूँ। धीरे-धीरे यह मुहिम एक कारवाँ बन जाएगी।
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteहाथों को जोड़े खड़े हैं नेतागण ।
ReplyDeleteखादी में लिपटा है काला धन देखो...
It is really unfortunate for our nation .
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भ्रष्टाचारी ना मिटेंगे राष्ट्र से ।
ReplyDeleteअनशन करते मिट गया जीवन देखो
सटीक रचना ..
भ्रष्टाचारी ना मिटेंगे राष्ट्र से ।
ReplyDeleteअनशन करते मिट गया जीवन देखो ॥
Sahi baat hai!
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ReplyDeleteजिसको पाला था जिगर के टुकड़ों से ।
उसने है मुझपर उठाया फन देखो...
This is the irony , we are often misunderstood by our own folk.
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bahut badhiya vyang!!
ReplyDeleteभ्रष्टाचारी ना मिटेंगे राष्ट्र से ।
ReplyDeleteअनशन करते मिट गया जीवन देखो ॥
वर्तमान दशा का आकलन करती यथार्थवादी रचना।
bilkul sahi...sach ka aaina dikhati rachna...
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