Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Dec 23, 2010

दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे



फिर हाज़िर हूँ आप सबके सामने एक और छोटी सी ग़ज़ल लेकर .... बहर वही ''फायलातुन, फायलातुन, फायलुन' ... 

दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे
इस तरह वो हर सितम ढाते रहे

राह में तो मुश्किलें आती रहीं
साथ जो थे छोड़कर जाते रहे

याद जो आये थे पीछे छोड़कर
उस को अब हर मोड़पर पाते रहे

वो किया न फिर यकीं हम पर कभी
अपने सर की हम कसम खाते रहे

‘सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले
याद उतनी वो हमें आते रहे

48 comments:

  1. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
    aankhen band ker ise dhun mein daala hai
    gungunane ki khwaahish poori hui
    bahut badhiya gazal

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  2. राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
    साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
    xxxxxxxxx
    सच्चाई को सामने लाती पंक्तियाँ ..पर जीवन यूँ ही चलता है ...बहुत खूब ...शुक्रिया

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  3. अरे वाल, सैल भाई आपतो बढिया गजल कहते हैं। बधाई।

    ---------
    मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्‍स।

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  4. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
    Wah ! Kya baat hai!

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  5. आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।

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  6. @ दीदी,
    अगर आप गुनगुना पाई तो उसका मतलब मेरा लिखना सार्थक रहा ...

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  7. @केवल राम जी, जाकर जी, क्षमा जी और संजय भास्कर जी
    आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपको मेरी रचना पसंद आई ...

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  8. याद जो आये थे पीछे छोड़कर ।
    उस को अब हर मोड़पर पाते रहे ॥

    बहुत खूब कहा...ये यादें कभी पीछा नहीं छोड़तीं

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  9. अच्छा कहा है. आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.

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  10. जितनी दूर उनसे हो चले ।
    याद उतनी वो हमें आते रहे ॥
    सैल जी बहुत ही गहरे जज्बात है ग़ज़ल में ........बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल
    सृजन शिखर पर -- इंतजार

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  11. सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
    याद उतनी वो हमें आते रहे ॥
    शायद इसी बहाने हम भी तो जिए जाते हैं
    वाह!!!! बेहतरीन ग़ज़ल

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  12. वाह...कमाल का गज़ल लिखा है .

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  13. इस ग़ज़ल के शे’र्ने मन मोह लिया।

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  14. Unki kasam khate to shayad bharosa ho paata.. unka mann bhi janta hoga k aap khud se zyada unhe ajeez maante hain :)

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  15. बहुत खूब गज़ल है,धन्यवाद।

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  16. @ मोनाली जी
    ऐसे कैसे उनके सर की कसम खा लेते, कसमें झूठे भी तो होते हैं ... हैं न ? खैर, ये शेर उस स्थिति के लिए है जब किसी को ठेस पहुँचती है और दिल का विश्वास टूट जाता है ...
    @ सुरेन्द्र जी,
    अजी ये तो इस बात पे है कि कसम कौन खा रहा है ... :)

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  17. .

    @-राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
    साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ....

    यही होता है । जो साथ चल सकें उम्र भर ऐसा कोई होता नहीं। जाने वाले को चले जाने देना ही बेहतर। अपना होगा तो वापस मिल जाएगा किसी मोडपर। नहीं तो दूर हो जाना ही बेहतर।


    .

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  18. सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
    याद उतनी वो हमें आते रहे ॥
    दूर हो जाने से क्या होगा, जो मन में हमेशा हों ...

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  19. वास्तविकता का चित्र भी उपस्थित करती है ये ग़ज़ल.

    सादर

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  20. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥

    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ...बधाई इस बेहतरीन गजल के लिये ।

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  21. राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
    साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
    ... bahut khoob !!!

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  22. राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
    साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥

    अच्छा शेर

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  23. राह में तो मुश्किलें आती रहीं,
    साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ।

    ये पंक्तियां ख़ास तौर से पसंद आईं।
    पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है।

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  24. याद जो आये थे पीछे छोड कर---- लाजवाब शेर है। पूरी गज़ल ही बहुत अच्छी लगी। शुभकामनायें।

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  25. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
    बेहद संगीतमय पंक्तियाँ है और जबान पर चढने वाली भी ! सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई !

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  26. लोग आते रहे. लोग जाते रहे
    हम खुद को खोते रहे, पाते रहे

    सैल साहब, देर से पहुंचने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ, बहर की समझ नहीं है, कुछ चीजें अच्छी लग जाती हैं, जैसे आपकी ये गज़ल।

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  27. सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
    याद उतनी वो हमें आते रहे ॥

    यादों की विडम्बना तो यही है...

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  28. आपको क्रिस्मस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  29. आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

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  30. क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
    आशीषमय उजास से
    आलोकित हो जीवन की हर दिशा
    क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
    जीवन का हर पथ.

    आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

    सादर
    डोरोथी

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  31. बहुत सुन्दर नज़्म...
    बस यूँही, एस अहि कुछ गुनगुनाने का मन हो रहा था... और आपकी ग़ज़ल मिल गयी...
    शुक्रिया...

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  32. दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे ।
    इस तरह वो हर सितम ढाते रहे ॥
    वाह,क्या बात है !

    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  33. अच्छा लिखते हैं आप और बेहतर हो सकती हैं आपकी रचनाएं थोड़ा सा और ध्यान दें।

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  34. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे

    बहुत अच्छा शेर है ...यूं कहूं कि पूरी ग़ज़ल ही बहुत अच्छी है...

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  35. वाह बहुत खूबसूरत नज़्म है और बहुत ही सुन्दर उसके भाव.

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  36. वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
    अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
    वाह! बहुत खूब शेर कहा है!
    अच्छी लगी ग़ज़ल .

    नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं

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  37. नव वर्ष 2011
    आपके एवं आपके परिवार के लिए
    सुखकर, समृद्धिशाली एवं
    मंगलकारी हो...
    ।।शुभकामनाएं।।

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  38. indraneel ji,
    naye saal ki badhayi sweekar karein...

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  39. आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.

    ReplyDelete
  40. आप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .

    ReplyDelete
  41. आपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें...स्वीकार करें

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  42. याद जो आये थे पीछे छोड़कर ।
    उस को अब हर मोड़पर पाते रहे ...

    khoobsoort gazal है sail जी ... lajawaab har sher .....

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  43. apki ghazle bhot hio sundar h,,, main bhi likhne ka shauk rakhta hu meri likhi huyi ghazal,,,,


    जब मेरी मेहनत मेरे जज्बे में रहती है,,
    नाकामी फिर क्यों मेरे हिस्से में रहती है,,

    मेरे खुश होने पे बढा देती है गम मेरे,,
    मैं हंस न पाऊं जिंदगी इस मौके में रहती है,

    मेरे गम मुझे अब ख़ुशी देने लगे है ,,
    न जाने जिंदगी किस धोखे में रहती है ,,,

    बड़े होते ही न जाने खो जाती है कहाँ ,,
    मासूमियत जो एक बच्चे में रहती है ,,,

    मैं अब भी उसको भीड़ में पहचान लेता हूँ ,,
    ये और बात है क़ि वो बुरखे में रहती है ,,,,

    मेरे अरमानो की जो ईमारत गिर गयी थी ,,
    जिंदगी आज भी उसके मलवे में रहती है ,,vishwanath singh

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  44. meri likhi hui ek or ghazal

    बात क्या है जिंदगी
    लग रही है मुझसे कुछ, खफ़ा-खफ़ा सी जिंदगी
    कुछ तो कह बता ज़रा कि बात क्या है जिंदगी

    आ ज़रा तू पास आ, बैठकर बातें करें
    ...क्यों है इतना फासला कि बात क्या है जिंदगी

    शिकवा नही मुझे है कुछ तेरी बेवफ़ाई का
    क्यों है इतनी बेवफा, कि बात क्या है जिंदगी

    एक मौका दे मुझे, मैं माना लूँगा तुझे
    क्यों है इतनी तू ख़फा, कि बात क्या है जिंदगी

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