क्यूंकि दुखी हूँ मैं,
और उदास है मन मेरा
चलो मुस्कुराते हैं ...
और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को
चलो मुस्कुराते हैं ...
क्यूंकि थका हूँ मैं
और घायल है रूह मेरी
चलो कुछ करते हैं
कुछ काम से मिटाते हैं थकन को
चलो कुछ करते हैं
क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे
चाहता नहीं है कोई मुझे
चलो प्यार करते हैं
इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
चलो प्यार करते हैं
क्यूंकि मिलता है धोखा
और टूटते हैं सपने मेरे
चलो दीप जलाते हैं
आशा की अग्निशिखा आँखों में
चलो दीप जलाते हैं
चित्र साभार गूगल सर्च
सैल भाई, आशा की यह अग्निशिखा, दिल को भा गई।
ReplyDeleteऔर हॉं, चित्र तो सचमुच कमाल का है।
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त्रिया चरित्र : मीनू खरे
संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।
Behad sundar! Hamesha aashaki agnishikha jalti rahe!
ReplyDeleteबहोत ही सुन्दर रचना ......................
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| आभार|
ReplyDeleteउम्मीद का दामन हमेशा थामे रखना चाहिये।
ReplyDelete"चलो दीप जलाते हैं" बहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भावों से सजी यह अग्निशिखा ....
ReplyDeleteek koshish chalo karke dekhte hain
ReplyDelete"चलो मुस्कुराते हैं ...
ReplyDeleteऔर हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को
चलो मुस्कुराते हैं ."
बहुत खूब लिखा है आपने.
बहुत ही सुंदर कविता. मन में ताजगी भर गयी. उम्मीद जिंदा रहनी चाहिए एही ख्याल आ रहा है..
ReplyDeleteआशा का दामन न छोड़ना शक्ति देता है. आपकी रचना भा गई.
ReplyDeleteआशा की अग्निशिखा आँखों में
ReplyDeleteचलो दीप जलाते हैं
वाह! अच्छा लगता है,आशावान भावों का अवतरित होना इस युग में जहाँ अंधेरा और निराशा, भेष बदल कर छल रही है!
जीवन को राह दिखाना ही होगा.
ReplyDeleteयूँ बैठे रहने से तो काम नहीं चलता
@ kthe leo
ReplyDeleteजब चारों ओर अँधेरा हो, निराशा हो, तभी जलाना है दीप मेरे भाई
सुंदर रचना भाई.. पसंद आयी
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है ...
ReplyDeleteदिल को छू लेने वाली प्रस्तुती!
ReplyDeleteसादर
"aasha ki agnisikha"... a powerful phrase!
ReplyDeletesundar rachna!
बड़ी जल्दी काबू कर लेते हो अपने आप पर ...बधाई !
ReplyDeleteयाद है वह गाना
दीप से दीप जलाते चलो
प्यार की गंगा बहाते चलो
अरे ...
ReplyDeleteसब जगह ढूंढ लिया ...:-(
फालोवर नहीं चाहिए ...
कमाल के आदमी हो अभी ब्लागर नहीं बन पाए लगता है ?
चलो तुम्हे पढने का कोई और "जुगाड़" करता हूँ !
बढ़िया लिखते हो यार ...
सक्सेना जी, ढूँढना क्या है ... हम तो आप ही के ब्लॉग में हैं ... ज़रा फोलोअर लिस्ट के तरफ ध्यान दीजिए ..:)
ReplyDeleteऔर अच्छा ब्लॉगर बनने के गुढ़ तो आप जैसे बरिष्ठ ब्लॉगर से ही सीखना है .... कुछ ज्ञान बांटेंगे तो कृपा होगी ..
सराहने के लिए धन्यवाद !
खूब लिखते हो आप . उम्दा अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है.......
ReplyDeleteबढ़िया प्रयास ! आज ही कर के देखते है
ReplyDeleteBahut Sunder ...Skaratmak aur Ashawadi kavita
ReplyDeleteचलो दीप जलाते हैं
ReplyDeleteआशा की अग्निशिखा आँखों में
चलो दीप जलाते हैं
क्या बात है.दीप जलाना और अँधेरे को भगाने से बड़ा कोई काम नहीं
क्यूंकि मिलता है धोखा
ReplyDeleteऔर टूटते हैं सपने मेरे
चलो दीप जलाते हैं
आशा की अग्निशिखा आँखों में ...
दोखा मिलने पर आशाओं के दीप जलाना आसान नही होता ... अच्छी रचना है ...
@ नासवा जी,
ReplyDeleteचाहे धोखा मिलने पर आशा का देपे जलाना हो, या फिर नफरत को प्यार से मिटाना हो, या दर्द को हँसते हँसते भूल जाना हो ... सभी काम दुश्वार है ... पर करना है ...
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने!
ReplyDeleteआशा से भरपूर और दिल को छू लेने वाली रचना!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
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ReplyDeleteअक्सर ऐसा ही होता है । लेकिन स्वीकार करना पड़ता है इन कटु अनुभवों को ... and the life moves on ...
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शैल जी ये अग्निशिखा मन मे जगाते रहना चाहिये जिन्दगी बहुत संघर्षमय होती है अगर य्मन मे आशा का संचार होता रहे तो तभी आदमी सुख से जी सकता है। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।
ReplyDeleteचलो प्यार करते हैं
ReplyDeleteइतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत...
बहुत अच्छी कविता है, दिल को छूने वाली.
चलो फिर से मुस्करायें
ReplyDeleteचलो फिर से दिल लगायें
जो गुज़र गयी हैं रातें
उन्हें फिर जगा के लायें
[एक पुराना फिल्मी गीत जो इस रचना को पढकर याद आ गया]
चलो मुस्कुराते हैं ...
ReplyDeleteऔर हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को
thats the spirit sir.....kudos..!!
चलो प्यार करते हैं
इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
चलो प्यार करते हैं
toooooooooooooooo good....amazing!
bohot kamaal ka likha hai sir....tooooooooo good
बिलकुल सही ..नफरत तो प्रेम की अनुपस्थिति ही है ! सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई !
ReplyDeleteचलो मुस्कुराते हैं ...
ReplyDeleteऔर हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को ....
बहुत ही सुन्दर शब्द संयोजन इस रचना में ...बेहतरीन ।
आशा का संचार करती बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
ReplyDeleteprernadayak aur behad sunder kavita.
ReplyDeleteसैल भाई, आज दूसरी बार पढी आपकी कविता, और मन चाहा कि एक बार फिर इसकी तारीफ की जाए। सचमुच बहुत सुंदर भाव हैं। बधाई।
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प्रेत साधने वाले।
रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?
क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे
ReplyDeleteचाहता नहीं है कोई मुझे
चलो प्यार करते हैं
इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
चलो प्यार करते हैं
सच लिखा आपने, प्यार से ही नफरत को भुलाया जा सकता है।
उत्तम भावों से युक्त एक उत्तम रचना।
sail ji
ReplyDeletebahut bahut hi khoob surat post tutati ummido ke saath aasha ke deep jalaye rakhna ye bhi bahut hi badi baat haiक्यूंकि मिलता है धोखा
और टूटते हैं सपने मेरे
चलो दीप जलाते हैं
आशा की अग्निशिखा आँखों में
चलो दीप जलाते हैं
bahut hi sakaratmak purn sandesh se pari purn rachna.
poonam
..bahut hu sunder likha hai.
ReplyDeletederi se pahuch ska aapk tak