फिर हाज़िर हूँ आप सबके सामने एक और छोटी सी ग़ज़ल लेकर .... बहर वही ''फायलातुन, फायलातुन, फायलुन' ...
दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे ।
इस तरह वो हर सितम ढाते रहे ॥
राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
याद जो आये थे पीछे छोड़कर ।
उस को अब हर मोड़पर पाते रहे ॥
वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
अपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
‘सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
याद उतनी वो हमें आते रहे ॥
वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
aankhen band ker ise dhun mein daala hai
gungunane ki khwaahish poori hui
bahut badhiya gazal
राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
ReplyDeleteसाथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
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सच्चाई को सामने लाती पंक्तियाँ ..पर जीवन यूँ ही चलता है ...बहुत खूब ...शुक्रिया
अरे वाल, सैल भाई आपतो बढिया गजल कहते हैं। बधाई।
ReplyDelete---------
मोबाइल चार्ज करने की लाजवाब ट्रिक्स।
वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
Wah ! Kya baat hai!
आपने बड़े ख़ूबसूरत ख़यालों से सजा कर एक निहायत उम्दा ग़ज़ल लिखी है।
ReplyDelete@ दीदी,
ReplyDeleteअगर आप गुनगुना पाई तो उसका मतलब मेरा लिखना सार्थक रहा ...
@केवल राम जी, जाकर जी, क्षमा जी और संजय भास्कर जी
ReplyDeleteआप सबका बहुत बहुत शुक्रिया कि आपको मेरी रचना पसंद आई ...
याद जो आये थे पीछे छोड़कर ।
ReplyDeleteउस को अब हर मोड़पर पाते रहे ॥
बहुत खूब कहा...ये यादें कभी पीछा नहीं छोड़तीं
अच्छा कहा है. आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.
ReplyDeleteजितनी दूर उनसे हो चले ।
ReplyDeleteयाद उतनी वो हमें आते रहे ॥
सैल जी बहुत ही गहरे जज्बात है ग़ज़ल में ........बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल
सृजन शिखर पर -- इंतजार
सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
ReplyDeleteयाद उतनी वो हमें आते रहे ॥
शायद इसी बहाने हम भी तो जिए जाते हैं
वाह!!!! बेहतरीन ग़ज़ल
wonderful poetry...very touching.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल ...
ReplyDeleteवाह...कमाल का गज़ल लिखा है .
ReplyDeleteइस ग़ज़ल के शे’र्ने मन मोह लिया।
ReplyDeleteUnki kasam khate to shayad bharosa ho paata.. unka mann bhi janta hoga k aap khud se zyada unhe ajeez maante hain :)
ReplyDeleteबहुत खूब गज़ल है,धन्यवाद।
ReplyDeletewaise kasmein khaane walo pe vishwaas kam hee karna chahiye!
ReplyDelete@ मोनाली जी
ReplyDeleteऐसे कैसे उनके सर की कसम खा लेते, कसमें झूठे भी तो होते हैं ... हैं न ? खैर, ये शेर उस स्थिति के लिए है जब किसी को ठेस पहुँचती है और दिल का विश्वास टूट जाता है ...
@ सुरेन्द्र जी,
अजी ये तो इस बात पे है कि कसम कौन खा रहा है ... :)
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ReplyDelete@-राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
साथ जो थे छोड़कर जाते रहे ....
यही होता है । जो साथ चल सकें उम्र भर ऐसा कोई होता नहीं। जाने वाले को चले जाने देना ही बेहतर। अपना होगा तो वापस मिल जाएगा किसी मोडपर। नहीं तो दूर हो जाना ही बेहतर।
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सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
ReplyDeleteयाद उतनी वो हमें आते रहे ॥
दूर हो जाने से क्या होगा, जो मन में हमेशा हों ...
वास्तविकता का चित्र भी उपस्थित करती है ये ग़ज़ल.
ReplyDeleteसादर
वो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ...बधाई इस बेहतरीन गजल के लिये ।
राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
ReplyDeleteसाथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
... bahut khoob !!!
राह में तो मुश्किलें आती रहीं ।
ReplyDeleteसाथ जो थे छोड़कर जाते रहे ॥
अच्छा शेर
राह में तो मुश्किलें आती रहीं,
ReplyDeleteसाथ जो थे छोड़कर जाते रहे ।
ये पंक्तियां ख़ास तौर से पसंद आईं।
पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है।
याद जो आये थे पीछे छोड कर---- लाजवाब शेर है। पूरी गज़ल ही बहुत अच्छी लगी। शुभकामनायें।
ReplyDeleteवो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
बेहद संगीतमय पंक्तियाँ है और जबान पर चढने वाली भी ! सुंदर भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई !
लोग आते रहे. लोग जाते रहे
ReplyDeleteहम खुद को खोते रहे, पाते रहे
सैल साहब, देर से पहुंचने के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ, बहर की समझ नहीं है, कुछ चीजें अच्छी लग जाती हैं, जैसे आपकी ये गज़ल।
सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले ।
ReplyDeleteयाद उतनी वो हमें आते रहे ॥
यादों की विडम्बना तो यही है...
आपको क्रिस्मस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteक्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
ReplyDeleteआशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.
आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं
सादर
डोरोथी
बहुत सुन्दर नज़्म...
ReplyDeleteबस यूँही, एस अहि कुछ गुनगुनाने का मन हो रहा था... और आपकी ग़ज़ल मिल गयी...
शुक्रिया...
सैल भई, आप हर बहर में कमाल करते हो।
ReplyDelete---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे ।
ReplyDeleteइस तरह वो हर सितम ढाते रहे ॥
वाह,क्या बात है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
अच्छा लिखते हैं आप और बेहतर हो सकती हैं आपकी रचनाएं थोड़ा सा और ध्यान दें।
ReplyDeleteवो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे
बहुत अच्छा शेर है ...यूं कहूं कि पूरी ग़ज़ल ही बहुत अच्छी है...
वाह बहुत खूबसूरत नज़्म है और बहुत ही सुन्दर उसके भाव.
ReplyDeleteवो किया न फिर यकीं हम पर कभी ।
ReplyDeleteअपने सर की हम कसम खाते रहे ॥
वाह! बहुत खूब शेर कहा है!
अच्छी लगी ग़ज़ल .
नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं
नव वर्ष 2011
ReplyDeleteआपके एवं आपके परिवार के लिए
सुखकर, समृद्धिशाली एवं
मंगलकारी हो...
।।शुभकामनाएं।।
indraneel ji,
ReplyDeletenaye saal ki badhayi sweekar karein...
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
ReplyDeleteआपको नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें...स्वीकार करें
ReplyDeleteयाद जो आये थे पीछे छोड़कर ।
ReplyDeleteउस को अब हर मोड़पर पाते रहे ...
khoobsoort gazal है sail जी ... lajawaab har sher .....
apki ghazle bhot hio sundar h,,, main bhi likhne ka shauk rakhta hu meri likhi huyi ghazal,,,,
ReplyDeleteजब मेरी मेहनत मेरे जज्बे में रहती है,,
नाकामी फिर क्यों मेरे हिस्से में रहती है,,
मेरे खुश होने पे बढा देती है गम मेरे,,
मैं हंस न पाऊं जिंदगी इस मौके में रहती है,
मेरे गम मुझे अब ख़ुशी देने लगे है ,,
न जाने जिंदगी किस धोखे में रहती है ,,,
बड़े होते ही न जाने खो जाती है कहाँ ,,
मासूमियत जो एक बच्चे में रहती है ,,,
मैं अब भी उसको भीड़ में पहचान लेता हूँ ,,
ये और बात है क़ि वो बुरखे में रहती है ,,,,
मेरे अरमानो की जो ईमारत गिर गयी थी ,,
जिंदगी आज भी उसके मलवे में रहती है ,,vishwanath singh
meri likhi hui ek or ghazal
ReplyDeleteबात क्या है जिंदगी
लग रही है मुझसे कुछ, खफ़ा-खफ़ा सी जिंदगी
कुछ तो कह बता ज़रा कि बात क्या है जिंदगी
आ ज़रा तू पास आ, बैठकर बातें करें
...क्यों है इतना फासला कि बात क्या है जिंदगी
शिकवा नही मुझे है कुछ तेरी बेवफ़ाई का
क्यों है इतनी बेवफा, कि बात क्या है जिंदगी
एक मौका दे मुझे, मैं माना लूँगा तुझे
क्यों है इतनी तू ख़फा, कि बात क्या है जिंदगी