Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Dec 10, 2010

आशा की अग्निशिखा



क्यूंकि दुखी हूँ मैं,

और उदास है मन मेरा 

चलो मुस्कुराते हैं ...

और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को

चलो मुस्कुराते हैं ...

क्यूंकि थका हूँ मैं

और घायल है रूह मेरी  

चलो कुछ करते हैं

कुछ काम से मिटाते हैं थकन को

चलो कुछ करते हैं

क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे 

चाहता नहीं है कोई मुझे

चलो प्यार करते हैं

इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत 

चलो प्यार करते हैं

क्यूंकि मिलता है धोखा

और टूटते हैं सपने मेरे

चलो दीप जलाते हैं

आशा की अग्निशिखा आँखों में 

चलो दीप जलाते हैं 

चित्र साभार गूगल सर्च

42 comments:

  1. सैल भाई, आशा की यह अग्निशिखा, दिल को भा गई।

    और हॉं, चित्र तो सचमुच कमाल का है।
    ---------
    त्रिया चरित्र : मीनू खरे
    संगीत ने तोड़ दी भाषा की ज़ंजीरें।

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  2. Behad sundar! Hamesha aashaki agnishikha jalti rahe!

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  3. बहोत ही सुन्दर रचना ......................

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  4. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| आभार|

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  5. उम्मीद का दामन हमेशा थामे रखना चाहिये।

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  6. "चलो दीप जलाते हैं" बहुत सुन्दर रचना.

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  7. बहुत खूबसूरत भावों से सजी यह अग्निशिखा ....

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  8. "चलो मुस्कुराते हैं ...

    और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को

    चलो मुस्कुराते हैं ."
    बहुत खूब लिखा है आपने.

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  9. बहुत ही सुंदर कविता. मन में ताजगी भर गयी. उम्मीद जिंदा रहनी चाहिए एही ख्याल आ रहा है..

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  10. आशा का दामन न छोड़ना शक्ति देता है. आपकी रचना भा गई.

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  11. आशा की अग्निशिखा आँखों में

    चलो दीप जलाते हैं

    वाह! अच्छा लगता है,आशावान भावों का अवतरित होना इस युग में जहाँ अंधेरा और निराशा, भेष बदल कर छल रही है!

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  12. जीवन को राह दिखाना ही होगा.
    यूँ बैठे रहने से तो काम नहीं चलता

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  13. @ kthe leo
    जब चारों ओर अँधेरा हो, निराशा हो, तभी जलाना है दीप मेरे भाई

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  14. सुंदर रचना भाई.. पसंद आयी

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  15. दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती!

    सादर

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  16. "aasha ki agnisikha"... a powerful phrase!
    sundar rachna!

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  17. बड़ी जल्दी काबू कर लेते हो अपने आप पर ...बधाई !
    याद है वह गाना
    दीप से दीप जलाते चलो
    प्यार की गंगा बहाते चलो

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  18. अरे ...
    सब जगह ढूंढ लिया ...:-(
    फालोवर नहीं चाहिए ...
    कमाल के आदमी हो अभी ब्लागर नहीं बन पाए लगता है ?
    चलो तुम्हे पढने का कोई और "जुगाड़" करता हूँ !
    बढ़िया लिखते हो यार ...

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  19. सक्सेना जी, ढूँढना क्या है ... हम तो आप ही के ब्लॉग में हैं ... ज़रा फोलोअर लिस्ट के तरफ ध्यान दीजिए ..:)
    और अच्छा ब्लॉगर बनने के गुढ़ तो आप जैसे बरिष्ठ ब्लॉगर से ही सीखना है .... कुछ ज्ञान बांटेंगे तो कृपा होगी ..
    सराहने के लिए धन्यवाद !

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  20. खूब लिखते हो आप . उम्दा अभिव्यक्ति .

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  21. बहुत सुन्दर लिखा है.......

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  22. बढ़िया प्रयास ! आज ही कर के देखते है

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  23. चलो दीप जलाते हैं

    आशा की अग्निशिखा आँखों में

    चलो दीप जलाते हैं
    क्या बात है.दीप जलाना और अँधेरे को भगाने से बड़ा कोई काम नहीं

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  24. क्यूंकि मिलता है धोखा
    और टूटते हैं सपने मेरे
    चलो दीप जलाते हैं
    आशा की अग्निशिखा आँखों में ...
    दोखा मिलने पर आशाओं के दीप जलाना आसान नही होता ... अच्छी रचना है ...

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  25. @ नासवा जी,
    चाहे धोखा मिलने पर आशा का देपे जलाना हो, या फिर नफरत को प्यार से मिटाना हो, या दर्द को हँसते हँसते भूल जाना हो ... सभी काम दुश्वार है ... पर करना है ...

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  26. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने!
    आशा से भरपूर और दिल को छू लेने वाली रचना!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  27. .

    अक्सर ऐसा ही होता है । लेकिन स्वीकार करना पड़ता है इन कटु अनुभवों को ... and the life moves on ...

    .

    ReplyDelete
  28. शैल जी ये अग्निशिखा मन मे जगाते रहना चाहिये जिन्दगी बहुत संघर्षमय होती है अगर य्मन मे आशा का संचार होता रहे तो तभी आदमी सुख से जी सकता है। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।

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  29. चलो प्यार करते हैं
    इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत...
    बहुत अच्छी कविता है, दिल को छूने वाली.

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  30. चलो फिर से मुस्करायें
    चलो फिर से दिल लगायें
    जो गुज़र गयी हैं रातें
    उन्हें फिर जगा के लायें
    [एक पुराना फिल्मी गीत जो इस रचना को पढकर याद आ गया]

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  31. चलो मुस्कुराते हैं ...
    और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को

    thats the spirit sir.....kudos..!!

    चलो प्यार करते हैं
    इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
    चलो प्यार करते हैं

    toooooooooooooooo good....amazing!

    bohot kamaal ka likha hai sir....tooooooooo good

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  32. बिलकुल सही ..नफरत तो प्रेम की अनुपस्थिति ही है ! सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई !

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  33. चलो मुस्कुराते हैं ...
    और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को ....


    बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द संयोजन इस रचना में ...बेहतरीन ।

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  34. आशा का संचार करती बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति....

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  35. सैल भाई, आज दूसरी बार पढी आपकी कविता, और मन चाहा कि एक बार फिर इसकी तारीफ की जाए। सचमुच बहुत सुंदर भाव हैं। बधाई।

    ---------
    प्रेत साधने वाले।
    रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्‍या?

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  36. क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे
    चाहता नहीं है कोई मुझे
    चलो प्यार करते हैं
    इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत
    चलो प्यार करते हैं

    सच लिखा आपने, प्यार से ही नफरत को भुलाया जा सकता है।
    उत्तम भावों से युक्त एक उत्तम रचना।

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  37. sail ji
    bahut bahut hi khoob surat post tutati ummido ke saath aasha ke deep jalaye rakhna ye bhi bahut hi badi baat haiक्यूंकि मिलता है धोखा

    और टूटते हैं सपने मेरे

    चलो दीप जलाते हैं

    आशा की अग्निशिखा आँखों में

    चलो दीप जलाते हैं
    bahut hi sakaratmak purn sandesh se pari purn rachna.
    poonam

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  38. ..bahut hu sunder likha hai.
    deri se pahuch ska aapk tak

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