Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Mar 1, 2010

बड़ी देर तक

काफिला गुज़र गया, उडती रही धूल बड़ी देर तक !
राह में उनके फिर भी पड़े रहे फूल बड़ी देर तक !!
हमभी तडपे थे बहुत उनकी गफलतो बेवफाई पर !
पछताए होंगे वो भी देख अपनी भूल बड़ी देर तक !!
(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)

4 comments:

  1. padhte rahe hum aapka ye sher badi der tak
    karte rahe ismen ulat pher badi der tak
    jiska nateeza hai char panktian ye ban gayi
    chhap rah jayegi zahan men badi der tak

    achcha likha tha jis par kuchh likhne ka lobh sanvaran na kar saka.

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  2. खूबसूरती से लिखे हैं जज़्बात....

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  3. बहुत सुन्दर ............. इन्द्रनिल जी आप मेरे ब्लोग के पाठक बने धन्यवाद 1आशा करती हूँ शब्दों के साथ साथ ये सफर अच्छा बीतेगा
    सुमन कपूर

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  4. हमभी तडपे थे बहुत उनकी गफलतो बेवफाई पर !
    पछताए होंगे वो भी देख अपनी भूल बड़ी देर तक !! bahot khub... sail ji

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