Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Mar 10, 2010

रुला गया मौसम ये हँसी का

ज़िन्दगी तू करले कितना भी सितम
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम
गैरों से कैसा गिला
किसीसे भी क्या मिला
मिला है तो बस केवल ही रंजो ग़म
हंसके सारी बातें अब सहेंगे हम

तरीका ना जाना मै ज़माने का
नाम मुझको मिला दीवाने का
करता रहा नादानी
होशियारी ना जानी
शौक था यूँ शराफत दिखाने का
नाम मुझको मिला दीवाने का

बुरा कभी चाहा ना मै किसीका
सज़ा मिली मुझे आज इसीका
मेरी बातें है झूठी
ऊँगली मुझपर उठी
रुला गया मौसम ये हँसी का
सज़ा मिली मुझे आज इसीका

(Copyright reserved by: Indranil Bhattacharjee)

1 comment:

  1. सच लिखा है आपने बस एक शेयर याद आ रहा है पर ये मेरा नही है

    यहाँ कौन किसका एतबार करता है
    यहाँ कौन किसका इंतजार करता है
    ये दुनिया ही ऐसी है मेरे दोस्त
    यहाँ मतलब के लिये हर कोई प्यार करता है

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