Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Mar 7, 2010

आजकल

आजकल वो यूँ ही जानकर गाफिल1 रहते हैं !
ज़माने के साजिश में वो भी शामिल रहते हैं !!
किसको काटे किसे रखे ये तो पानी पर है !
दोनों बाज़ू वरना एक से साहिल2 रहते हैं !!
अजब हालत है ज़माने की अब तो हर कोई !
अधूरापन में भी अक्सर वो कामिल3 रहते हैं !!
आज यहाँ पर ज़माने की ये हालत है कि !
ज़हीनो4 के सर पर सवार जाहिल5 रहते हैं !!
कहाँ गई वो ख़ुशी जो थी कभी चेहरे पर !
आजकल वो काम के मारे काहिल6 रहते हैं !!
क्या बतलाऊँ तुझको मै कि बड़ा मशरूफ हूँ !
दिलो दिमाग में कितने मसाइल7 रहते हैं !!
इन्ही बातों पर अजीब उलझन में है 'सैल'!
कि इस तरह सारी बातें मुकाबिल8 रहते हैं !!
1. गाफिल – बे फिक्र ; 2. साहिल – किनारा ; 3. कामिल – मुकम्मल, whole, complete ; 4. ज़हीन – intelligent ; 5. जाहिल - अनपढ़, गंवार ; 6. काहिल - सुस्त, थका हुआ, tired ; 7. मसाइल – matter, मसलें ; 8. मुकाबिल - opposite

2 comments:

  1. आज यहाँ पर ज़माने की ये हालत है की !
    जहिनोके सर पर जाहिल सवार रहते है !!
    बहोत ही सुन्दर तरहसे आपने जिंदगी के सत्य को रखा है.....आज के इन्सान की तो यही फितरत है

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  2. behtrin har sher laazwaab ,aane ke liye shukriyaan

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