Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Mar 11, 2010

चाहत हंसने की

कहते हैं, कि ग़म से ही
होता है ख़ुशी का एहसास !
पर करो बंद मुट्ठी
तो रेत की तरह
फिसल जाता है !!

लेकर चाहत हंसने की,
रोते रोते आये,
ज़िन्दगी के आँगन में;
हंसा हंसा कर,
रुलाती है !

अब, डर लगने लगा है,
ख़ुशी की आहट से !
न जाने कितने ग़म छिपे होंगे
उसके आँचल में !!

ख़ुशी की चाहत में,
हर सितम सह रहे हैं !
अँधेरी रात के बाद
आता है,
आयेगा,
सवेरा !
बस यही उम्मीद है !!

5 comments:

  1. ab dar lagne .................aanchal men.

    bahut sunder abhivyakti.

    ReplyDelete
  2. ज़िन्दगी का अहसास ओर ख़ुशी का अहसास करना हर किसी के बस की बात नहीं ज़नाब
    .......
    वो जिन्हें अश्कों की खार नहीं मालूम,
    क्या जान देंगे जिन्हें प्यार नहीं मालूम

    ReplyDelete
  3. सवेरा जरूर आयेगा. इंतजार नही प्रयास चाहिये
    सुन्दर रचना के लिये साधुवाद

    ReplyDelete

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