जब भी कोई विप्पत्ति आती है ... हम आसानी से घबरा जाते हैं और अखबार और टीवी वाले भी आग में घी डालने का काम ही करते हैं ...
एक भयानक प्राकृतिक विप्पत्ति के कारण आज जापान में और कुछ अन्य स्थानों में विकिरण की समस्या उत्पन्न हुई ज़रूर है ... पर हमें डरने के वजाय इन बातों को अच्छी तरह समझना ज़रूरी है ...
चारों तरफ हल्ला मचा है कि परमाणु उर्जा खराब है ... कारण यह दिया जा रहा है कि जापान में रडियोधर्मी विकिरण फ़ैल गया है ... इसकी वजह से कितने लोगों को तकलीफ हुई है या होगी ये बाद में देखा जायेगा ... पहले तो ये चिल्लाओ कि पूरी दुनिया मरने वाली है ...
दरअसल बात ऐसी नहीं है जैसी कि अखबार या टीवी वाले जता रहे हैं ... बात को अच्छी तरह समझने के लिए बात की तह तक जाने की ज़रूरत है ...
चलिए आज मैं इस तथाकथित “विलेन” के बारे में आप लोगों को कुछ बताता हूँ ...
हम आज इसलिए डर रहे हैं क्यूंकि एक भयानक प्राकृतिक विप्पत्ति से जापान के नाभिकीय उर्जा संयंत्र में कुछ समस्याएं उत्पन्न हुई है जिससे जापान के लोगों को खतरा है ... और केवल जापान ही नहीं दुसरे देशों में भी यह रेडियोधर्मी विकिरण समस्या पैदा कर सकती है ऐसा कहा जा रहा है ...
पर सच क्या है ? विलेन कौन है ? जिसे विलेन बनाया जा रहा है, क्या वो सचमुच विलेन है ?
अब तक जापान में आये भूकंप और सुनामी से कितने लोग मरे हैं ? कुल १५००० से ज्यादा, ४५०००० लोग बेघर हो गए हैं, करोड़ों के संपत्ति बर्बाद हो चुकी है ... भूकंप के कारण बाँध टूटने से १०० से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं ... ये खबर अखबार वाले या टीवी वाले बड़ा-चड़ा कर पेश नहीं कर रहे हैं ... नाही बारम्बार दोहरा रहे हैं ...
अब देखते हैं कि नाभिकीय संयंत्र में उत्पन्न समस्या और रेडियोधर्मी विकिरण से कितने मारे गए है ? सच तो यह है कि अब तक एक भी मौत नहीं हुई है ... ये भी सच है कि भविष्य में विकिरण से समस्या हो सकती है ... पर यह समस्या किस तरह की होगी और इससे कितने लोगों की जान को खतरा है यह भी देखना होगा ...
कुछ सवाल ... क्या भविष्य में कोयले के खान में, ताप विद्युत केन्द्रों में और जल-विद्युत संयंत्रों के कारण लोगों की जान नहीं जायेगी ? क्या इन सब उद्योगों से पर्यावरण को हानि नहीं पहुँच रही है ? और अगर पहुँच रही है तो क्यूँ न एक बार कोई तुलनात्मक अध्ययन किया जाय ?
रेडियोधर्मी विकिरण जानलेवा हो सकता है ... पर देखना यह है कि यह कितनी मात्रा में फ़ैल रहा है ... और इससे क्या और किस तरह की समस्या आ सकती है ... रेडियोधर्मी वस्तु तो हर जगह उपस्थीत है ... क्या आपके देह में कोई रेडियोधर्मी वस्तु नहीं है ?
क्या आपको पता है कि एक साल एक परमाणु संयंत्र के पास रहने पर उससे जितना रेडियोधर्मी विकिरण आपके शरीर में जाता है उतना तो एक केला खाने से जाता है ? पड़ गए न अचरज में ? ऐसे ही कुछ तथ्य आपके सामने लाया हूँ आज ... क्यूंकि मानव प्रकृति है कि जब भी डर का कोई कारण होता है हम दिमाग से सोचना छोड़कर बस अत्यंत भयभीत होकर हर बात को नकारना शुरू कर देते हैं ...
- फुकुशिमा दाईची स्थित परमाणु संयंत्र ४० साल से विद्युत उत्पन्न कर रहे थे ... बिना किसी बड़े दुर्घटना के ... बिना कोई जानमाल के नुक्सान के ... इससे कोई नुकसानदेह धुंआ या रेडियोधर्मी विकिरण पैदा नहीं हो रहा था जिससे कि किसीको इन ४० सालों में कोई नुक्सान हुआ हो ... क्या आप ऐसी बात दावे के साथ किसी कोयला खान या ताप विद्युत केन्द्र के बारे में कह सकते हैं ? दुनिया में कोई नहीं कह सकता है ...
- आज जो समस्या उत्पन्न हुई है वो एक ऐसी भयानक प्राकृतिक आपदा की वजह से हुई है जिसके कारण अब तक १५००० से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं ... पर इन नाभिकीय उर्जा संयंत्रों की वजह से या इनसे उत्पन्न रेडियोधर्मी विकिरण से अब तक एक भी जान नहीं गई है
यह तो हो गई जापान की बात ... अब मैं परमाणु उर्जा और ऐसे संयंत्रों के बारे में कुछ तथ्य आपके सामने पेश करने जा रहा हूँ ...
- एक यूरेनियम परमाणु से जितनी उर्जा मिलती है उतनी उर्जा के लिए एक करोड कार्बोन (कोयला) के परमाणु चाहिए होते हैं ... यानि कि एक टन यूरेनियम दसियों लाख टन कोयला या तेल के बराबर उर्जा पैदा कर सकती है
- १९७९ में संयुक्त राष्ट्र में स्थित Three mile Island के परमाणु उर्जा संयंत्र में जो दुर्घटना हुई थी उसके बारे में आप सबको पता ही होगा ... पर क्या आपको यह पता है कि उस संयंत्र के १५ किमी रेडियस में रहने वाले लोगों को जितनी मात्रा में रेडियोधर्मी विकिरण डोज़ मिला था उतना डोज़ हमारे शरीर में जाता है अगर हम एक बार न्यू योर्क से लोस एंजेल्स तक का वापसी यात्रा कर लें तो ...
- क्या आपको पता है कि यदि आप एक साल किसी परमाणु संयंत्र के पास रहे तो आपको जितना रेडियोधर्मी विकिरण डोज़ मिलेगा उससे ज्यादा डोज़ हमें एक साल में अपने कंप्यूटर के CRT Monitor से मिलता है ...
- कई लोग यह कहते नहीं थकते कि कि क्यूँ न हम पवन उर्जा, सौर उर्जा या फिर जैव ईंधन को अपना ले ? अब मैं आप सबके सामने एक तुलनात्मक तथ्य रखने जा रहा हूँ ... यह तथ्य एक भारत जैसे एक · अत्याधिक आबादी वाले देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ... एक १००० मेगावाट उर्जा संयंत्र के लिए कितनी जगह चाहिए होती है ? यदि यह कोई परमाणु संयंत्र है तो १-४ वर्ग किलोमीटर, सौर उर्जा संयंत्र के लिए २०-५० वर्ग किलोमीटर, पवन उर्जा संयंत्र के लिए ५०-१५० वर्ग किलोमीटर और जैव ईंधन के लिए ४००० – ६००० वर्ग किलोमीटर ...
- यूरेनियम खान में हुई दुर्घटनाओं से अब तक कितने लोग मारे गए है ? हर साल कोयले खानों में दुर्घटना के कारण हज़ारों लोग मारे जाते हैं ... क्या ये डर का कारण नहीं है ?
- परमाणु उर्जा संयंत्र से (यदि कोई भयंकर दुर्घंतना न हो तो) कोई ज़हरीली गैस नहीं फैलती है, वायुमंडल में कोई राख के धुल नहीं फैलते हैं ... कोयला खान के चारों तरफ के इलाके में कोयले के धुल उड़ते रहते हैं जिससे कितने ही लोगों को फुस्फुस की बिमारी हो जाती है ... ताप विद्युत केन्द्रों के आसपास के इलाकों में धुआं, धुल, इत्यादि के कारण फूसफूस की बीमारी, कैंसर इत्यादि आम बात है ... तो क्या हम कोयले के खान और विद्युत केन्द्र बंद कर दें ?
- परमाणु उर्जा संयंत्रों से उत्पन्न अवशिष्ट पदार्थ यूँ ही हवा में उड़ते नहीं रहते हैं ... यूँ ही नदियों में बहा नहीं दिया जाता है ... यूँ ही कोई गड्ढे में नहीं डाला जाता है ... इन्हें पहले संयंत्र के अहाते में ही जमा करके रखा जाता है और फिर ९५ % फिर से इस्तमाल किया जाता है ... बाकी के अवशेष ऐसी जगह रख दिया जाता है जहाँ से आसानी से जन संपर्क में न आये ...
- परमाणु उर्जा संयंत्र खतरनाक होते हैं ... इन्हें बंद कर देना चाहिए यह कहने से पहले ज़रा सच क्या है इस बात पर गौर कीजियेगा ...
ऐसे न जाने कितने तथ्य हैं जिन्हें आम जनता नहीं जानती है ... आम जनता को अखबार या टीवी पर जो खबर आती है उससे मतलब होता है ... पर अपने मन में कोई अवधारणा बनाने से पहले कृपया सच जानने की कोशिश कीजिये ... केवल अखबार या टीवी पर आ रहे खबरों पर भरोसा करना नहीं चाहिए ... खबरों के पीछे का सच क्या है ये जानना ज्यादा ज़रूरी है ... और ये सच आपको कोई अखबार नहीं बताएगी ... कोई टीवी नहीं दिखायेगा ...
मैं जानता हूँ कि दिलासे की बातों पर भरोसा करना मुश्किल होता है जब आप स्वयम आँखों के सामने कोई दुर्घटना होते देख रहे हों ... पर उपरोक्त तथ्य केवल दिलासे के लिए नहीं है ... ये वो सच है जो TRP के लिए लड़ रहे टीवी चेनल या फिर ज्यादा बिकने के लिए पैंतरे बाजी करने वाले अखबार आपको नहीं बताएँगे ... उनका अस्तित्व लोगों के मन में जो डर है उसपे टिका हुआ है ...
मैंने जो भी तथ्य दिए हैं ये कपोलकल्पित नहीं है ... यदि आप सचमुच जानना चाहते हैं तो मैं ऐसे ढेरों लिंक आपको दे सकता हूँ जहाँ आप इन बातों के बारे में विस्तार से पढ़ पाएंगे ... इसलिए समालोचना करने से पहले ... या मेरी बातों को सीरे से खारिज करने से पहले ... एक बार सच को जानने की कोशिश ज़रूर करियेगा ...
डर के भागने से बेहतर है डर का सामना करना ... उसे समझना ...
यहाँ ज़रूरत है जापान के समस्याओं से सीख लेना, न कि परमाणु उर्जा को ही सीरे से खारिज कर देना ... कुछ प्राकृतिक दुर्घटनाओं की वजह से तो कुछ मानवीय गलितयों की वजह से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है ... हमें इनसे सीखना है और ऐसे कदम उठाने हैं कि भविष्य में ऐसी स्थिति न उत्पन्न हो ...
बहुत ही रोचकता के साथ आपने सच को सामने रखा है.
ReplyDeleteसादर
bahut sahi dhang se vistrit jaankari di hai...
ReplyDeletebahut vistrit jankari dee hai aapne. aabhar.
ReplyDeleteशानदार तुलना ’सैल’ साहब। ये सच है कि अधिकतर एक हाईप क्रियेट कर दिया जाता है और हम सब आधी अधूरी जानकारी के चलते रौ में साथ बहने लगते हैं।
ReplyDeleteएक बार फिर यह बेहतरीन पोस्ट लाकर ब्लॉग जगत पर उपकार किया मैं उम्मीद करता हूँ की लोग इससे लाभान्वित होंगे ! जो तथ्य आपने दिए वे चमत्कृत करने वाले हैं और लोगों को पता नहीं है ! कुछ प्रमाणित लिंक दे देते तो और अच्छा रहता !
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बहुत अच्छी जानकारी पोस्ट...... ऐसे विषयों को समझने की सबको आवश्यकता होती है ना की और भय पैदा करने की ...धन्यवाद आपका
ReplyDeleteसबको धन्यवाद इस लेख को सराहने के लिए और बात को समझने के लिए ...
ReplyDeleteजैसे कि सतीश जी ने कहा है मैं यहाँ पर कुछ लिंक दे रहा हूँ ताकि आप सब खुद इन साईट पे जाके पढ़ सकते हैं ...
मैं खुद भी बहुत कुछ लिख सकता हूँ ... पर ऐसा करना समय सापेक्ष है और अभी ये मेरे लिए संभव नहीं हो पायेगा ...
इन्टरनेट में ... और खास कर हिंदी ब्लॉग जगत में मैं ऐसे कई लोगों को देख रहा हूँ जो लोग इन विषयों पर लिख रहे हैं ... पर इन लोगों को इस विषय पर कुछ नहीं पता है ... ऐसे लोगों से सावधान रहिये ...
http://atomicinsights.com/2011/03/detectable-radiation-versus-dangerous-radiation.html
www.nrc.gov/reading-rm/doc-collections/cfr/
www.nema.ne.gov/technological/dose-limits.html
www.mitnse.com
www.bnl.gov/bnlweb/pdf/03SER/Chapter_8.pdf
http://blog.vornaskotti.com/2010/07/15/into-the-zone-chernobyl-pripyat/
http://en.wikipedia.org/wiki/Sievert
http://www.deq.idaho.gov/inl_oversight/radiation/dose_calculator.cfm
http://www.deq.idaho.gov/inl_oversight/radiation/radiation_guide.cfm
बहुत दिनों से इस विषय पर लिखने के लिए जानकारी इकट्ठा कर रहा था.. पता नहीं क्यूँ अचानक से परमाणु उर्जा का विरोध शुरू कर दिया है मीडिया ने...
ReplyDeleteखैर आपने ये लेख लिखकर मेरा काम आसान कर दिया, लोग बिना कुछ जाने समझे तिल का ताड़ बना देते हैं... ऐसे में हम जैसे विज्ञान से जुड़े लोग ही सही मायने में लोगों की मदद कर सकते हैं.... लेकिन पिछले कुछ दिनों से वर्ल्ड कप में ऐसा उलझा हूँ कि ब्लॉग से दूर ही हूँ.... आपका बहुत बहुत शुक्रिया....
Sail ji, bahut gambheer vivechan kiya hai aapne. ise SBAI pr bhi den.
ReplyDelete-----------
क्या ब्लॉगों की समीक्षा की जानी चाहिए?
क्यों हुआ था टाइटैनिक दुर्घटनाग्रस्त?
इन्द्रनील जी ,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी आपने।
आभार।
बहुत ही जरूरी मुद्दा उठाया गया है। जहां दिन होता है, वहीं रात भी होती है। हर चीज में अच्छाई और बुराई दोनों होती है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम किसी वस्तु का सदुपयोग करते हैं या दुरुपयोग। किसी भी वैज्ञानिक उपलब्धि को बुरा कह कर नकार देने से फायदा कम नुकसान ही ज्यादा होगा। कुछ तथाकथित पर्यावरण हितैषियों का यह पेशा है और हमें इस बात को समझना चाहिए। परमाणु उर्जा बुरी नहीं है, बुराई है उसका सुरक्षित उपयोग न होने में। कुछ ऐसी ही बात जेनेटिकली मोडीफाइड फसलों के बारे में भी है। कुछ लोग या तो पूरी तरह इसके पक्ष में बोलते हैं तो कुछ पूरी तरह इसके विपक्ष में। दोनों का यह पेशा है और सामान्य जनता भी उनके झांसे में आ जाती है। जीन संवर्धन तकनीक का यदि सरकारी नियंत्रण में समुचित विकास हो तो इससे पौधों की गुणवत्ता में विकास होगा और हमारी जैव विविधता को तनिक भी आंच नहीं आएगी, बल्कि वह और समृद्ध होगी। लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में इसका विकास होगा तो वे अपने फायदे के लिए जैव विविधता को नष्ट कर अपनी कंपनी द्वारा उत्पादित बीज का एकाधिकार जमाने की चेष्टा करेंगी। वे मुनाफे के लिए लोगों की सेहत का ख्याल किए बिना बीटी जीन डालकर सारे पौधों को जहरीला बना डालेंगी।.. और वे ऐसा कर भी रही हैं। जरूरी है कि लोग सही बात समझें और दूसरों को भी समझाएं। साधुवाद।
ReplyDeleteपाण्डेय जी, आपने लेख को सराहा इसके लिए शुक्रिया ! और आपने भी तो सही मुद्दे के बारे में बात की है ...
ReplyDeleteसंतुलित तरीके से विज्ञानं का इस्तमाल होना ही चाहिए ... पर हर बात पे ना भी नहीं करन है ...
बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने।
ReplyDeleteनवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ| धन्यवाद|
इन्द्रनील जी, बहुत बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteइस जरूरी मुद्दे को इस लोकप्रिय मंच पर लेन के लिए ! मैं इस विषय पर टिप्पणी दे दे कर परेशां हो गया कि परमाणु ऊर्जा का आज कि परिस्थितियों में कोई विकल्प नहीं है ! लोग तो यह भी नहीं जानते कि कोयला आधारित ताप बीजली घर परमाणु संयत्र से ज्यादा विकिरण फैलाते है , ग्रीन हाउस गैसे अलग से !
परमाणु ऊर्जा का विकल्प बी परमाणु ऊर्जा है, विखंडन की जगह संलयन होगा ! लेकिन अभी इसमे देर है !
नाभिकिय विकिरण कब हानीकारक होता है ?: कुछ तथ्य
जापानी नाभिकिय दुर्घटना : तथ्यो का अभाव और समाचारो की बाढ़
श्रीवास्तव जी,
ReplyDeleteयही तो दुःख है कि ज्यादातर लोग जानकारी नहीं बस अफवाहों के आधार पर अपने मन में अवधारणा बना लेते हैं ...
मज़े की बात है कि इस विषय पर ऐसे लोग लिखते रहते हैं जिनको ज़रा सी भी ज्ञान नहीं होता है इस बारे में, ना ही वो तर्कसंगत बात करने में विश्वास रखते हैं ...
Gahraai se adhyan kar ke lajawaab jaankaari jutaai hai aapne ... saral bhaasha mein bahut kuch kah rahi hai aapki post ...
ReplyDeleteसही निष्कर्ष दिया है.आप सब को नवसंवत्सर तथा नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएं.
ReplyDeleteनव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई .
ReplyDeleteउपयोगी और विस्तृत जानकारी के लिए आपका आभार।
ReplyDeleteइन्द्रनील जी ,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी आपने।
आभार।
आपने जो तथ्य प्रस्तुत किये हैं, उनपर सोच-विचार ज़रूर किया जाना चाहिए पर मैं चाहता हूँ कि आप हमारे साथ इन तथ्यों के स्रोत को भी हमारे साथ बाँटें तो इन तथ्यों पर ज्यादा विश्वास किया जा सकेगा..
ReplyDeleteपर हाँ ये बात सत्य है कि हमें किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले गहन चिंतन और अध्ययन कर लेना चाहिए...
पढ़े-लिखे अशिक्षित पर आपके विचार का इंतज़ार है..
आभार
@ प्रतिक महेश्वरी जी
ReplyDeleteकृपया टिप्पनिओं की तरफ ध्यान दीजिए ... एक टिपण्णी में मैंने इन तथ्यों के स्रोत भी दे दिए हैं ... मैं आपसे अनुरोध करूँगा कि आप ज़रूर इन लिंक पे जाके दिए गए तथ्यों को पढ़िए ... इससे आपको पूरी बात को सही परिप्रेक्ष्य में देखने के लिए आसानी होगी ...
इनके अलावा भी बहुत सारी बातें नेट में उपलब्ध है ... कुछ बातें ऐसी भी हैं जो नेट में उपलब्ध नहीं हैं ... उन्हें किताबों से पढ़ सकते हैं ...
ReplyDeletehttp://www.amazon.com/s?ie=UTF8&rh=n%3A283155%2Ck%3ARadioactivity&page=1