Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Mar 23, 2011

किसीने कहा “प्यार”

1)
जाने से पहले
हर किसीसे
कर लूँगा झगड़ा,
कि मेरे जाने के बाद
किसीको
मेरी कमी न खले

2)
झूठ के कठघड़े में
मैंने सच को हमेशा
कांपता पाया,
कि जैसा हो कोई
बलि का बकरा ।

3)
रिश्तों के चौराहे पर
खड़ा मैंने देखी 
एक शवयात्रा,
बड़ी धूम धाम से
बढ़ रही थी आगे
मैंने पूछा कौन गुज़र गया?
तो किसीने कहा प्यार



37 comments:

  1. पहला सबसे अच्छा, पर आप टैग का सही प्रयोग नहीं कर रहे हैं

    अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!

    ReplyDelete
  2. योगेन्द्र जी,
    सुझाव के लिए धन्यवाद ... मैंने आपकी पोस्ट भी देख ली है ... बढ़िया है ...
    दरअसल मैं अपने ब्लॉग के हिसाब से ही टैग करते रहता हूँ ... मेरे विषय इतने विविध नहीं है कि बहुत ज्यादा व्यवस्थित होना पड़े ... आगे जैसे जैसे ब्लॉग्गिंग आगे बढ़ेगा ... आपके सुझाये हुए रास्ते पर भी चल पडूंगा ...

    ReplyDelete
  3. ३ सरा भाग बहुत अच्छा लगा सर!

    सादर

    ReplyDelete
  4. सभी भाग बहुत सुन्दर हैं| धन्यवाद|

    ReplyDelete
  5. एक शवयात्रा,
    बड़ी धूम धाम से
    बढ़ रहा था आगे ।
    मैंने पूछा “कौन गुज़र गया”?
    तो किसीने कहा “प्यार” ।

    वाह वाह ,क्या क्षणिका है.प्यार का यही हश्र होता है.सच में.
    शब्द कम हैं मगर हैं भाव गहरे.
    बराबर प्यार पर दुश्मन के पहरे.

    ReplyDelete
  6. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

    ReplyDelete
  7. रिश्तों के चौराहे पर
    खड़ा मैंने देखा
    एक शवयात्रा,
    बड़ी धूम धाम से
    बढ़ रहा था आगे ।
    मैंने पूछा “कौन गुज़र गया”?
    तो किसीने कहा “प्यार” ।
    Wah,wah,wah! Ekse badhke ek kshanika! Nihayat sundar!

    ReplyDelete
  8. "... कि मेरे जाने के बाद किसीको मेरी कमी न खले "
    लगा की मेरे विचार आपने लिखे हों इन्द्रानिल ! शुभकामनायें आपकी संवेदना को ...

    ReplyDelete
  9. समाज को उसका सही आईना दिखा दिया है.

    ReplyDelete
  10. ओह!
    दिल छू लेने वाली रचना।

    ReplyDelete
  11. पहली क्षणिका बहुत पसन्द आई।

    ReplyDelete
  12. @ सिमरन, यशवंत, पातली, कुसुमेश जी, वन्दना जी, क्षमा जी, सतीश जी, विजि जी, मनोज जी, ktheleo जी, और अनुराग जी, आप सबको अनेक धन्यवाद कि आप सबने मेरी रचना को सराहा ...

    ReplyDelete
  13. झूठ के कठघड़े में
    मैंने सच को हमेशा
    कांपता पाया,
    कि जैसा हो कोई
    बलि का बकरा ।
    dukhad hai, per yah bhi ek sach hai

    ReplyDelete
  14. teenon ke teenon hi kamal ka likhe hain...bahut achchi lagi.

    ReplyDelete
  15. सभी क्षणिकायें लाज़वाब..अंतस को छू जाती हैं..बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  16. लगता है कि आप छोटी रचनाओं में अपने को ज्‍यादा अच्‍छे से अभिव्‍यक्‍त कर पाते हैं। थोड़ा और कसें। बढि़या और प्रभावी रचनाएं हैं।

    ReplyDelete
  17. राजेश जी, बहुत बहुत शुक्रिया पसंद करने के लिए ... इसी तरह उत्साह बढ़ाते रहिये और सुझाव देते रहिये ... ज़रूर और बेहतर करने की कोशिश करूँगा !

    ReplyDelete
  18. बहुत बढ़िया लगा! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  19. जाने से पहले
    हर किसीसे
    कर लूँगा झगड़ा,
    कि मेरे जाने के बाद
    किसीको
    मेरी कमी न खले ..

    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  20. yekse badhkar yek sunder rachnaye antim aur bhi achhi lagi.........

    ReplyDelete
  21. जाने से पहले
    हर किसीसे
    कर लूँगा झगड़ा,
    कि मेरे जाने के बाद
    किसीको
    मेरी कमी न खले ...

    ab...
    iske aage
    kuchh kehne ko reh jata hai bhala...!?!

    shaandaar !!

    ReplyDelete
  22. बहुत अच्छी रचना है. पंजाबी में कहावत है कि बिछुड़ना ही हो लड़ कर बिछुड़ना चाहिए. आप एकदम पंजाबी निकले :))

    ReplyDelete
  23. जाने से पहले
    हर किसीसे
    कर लूँगा झगड़ा,
    कि मेरे जाने के बाद
    किसीको
    मेरी कमी न खले ...

    Fantastic !

    .

    ReplyDelete
  24. वाह तीनों ही रचनाएं बहुत सुंदर हैं.

    ReplyDelete
  25. ,आपकी सोच अलग ही है । जानदार

    ReplyDelete
  26. भूषण जी, शायद दिल की बात दुनिया के हर प्रान्त में एक ही तरीके से कही जाती है ...
    राजीव जी, काजल जी, दिव्या जी, दानिश जी, सुमन जी, अमरेन्द्र जी, सबको धन्यवाद !

    ReplyDelete
  27. तीनों रचनाएँ बढ़िया.
    खासकर तीसरी तो बहुत खूब.

    ReplyDelete
  28. तीनों ही अलग-अलग स्वभाव के !
    बहुत बढ़िया !

    ReplyDelete
  29. teeno kshanikaayen bhaut sunder....


    antim waali sabse achhi lagi.........

    ReplyDelete
  30. अपने को पहली सबसे शानदार लगी।
    तीसरी क्षणिका में ’खड़ा’ के स्थान पर ’खड़े’ शायद ज्यादा मुफ़ीद लगे।

    ReplyDelete
  31. bahut achchhi lagi ...teeno hi ..sach achchha laga..

    ReplyDelete
  32. Dekhan mein choti lagen ghaav karen gambheer ... bahut lajawab ...

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणियां एवं सुझाव बहुमूल्य हैं ...

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...