Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Oct 4, 2011

तीन क्षणिकाएं - नष्ट चाँद !


१)

शांत मन के झील में जो 
अक्सर उतर आता था
उज्जवल और स्पष्ट कभी,
आज इस अस्थिर चित्त 
में नहीं दिख पाता है 
अस्पष्ट चाँद !

२)

बड़ी कुटिल है
मुस्कान उसकी !
चुभती बड़ी है दिल में !
खुद झुककर मैंने 
हिला दिया पानी के 
शांत सतह को,
जाओ नहीं देखना है मुझे 
नष्ट चाँद !

३)

क्यूँ ढके रहते हो 
एक पक्ष अँधेरे में ?
कहाँ जाते हो 
अमाबस के दिन ?
इतना क्यूँ देते हो मुझे 
कष्ट चाँद ?

29 comments:

  1. अतिसुन्दर

    जय माता दी.. दुर्गा पूजा की हार्दिक शुभकामनाए...

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  2. आते-जाते-भाते चांद.

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  3. sundar rachnaa hai.. chand na tabhi amawas hoti hai... amawas par hi chand ki mahatwtaa aur badhati hai...

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  4. क्यूँ ढके रहते हो
    एक पक्ष अँधेरे में ?
    कहाँ जाते हो
    अमाबस के दिन ?
    इतना क्यूँ देते हो मुझे
    कष्ट चाँद ?

    बेहतरीन क्षणिकाएं ...।

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  5. भाव पूरी तरह संप्रेषित हुए हैं. सुंदर क्षणिकाएँ.

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  6. चाँद अर्थात चंद्रमा मन का कारक होता है और आपकी यह रचना मनभावन है।

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  7. बड़ी कुटिल है
    मुस्कान उसकी !
    चुभती बड़ी है दिल में !
    खुद झुककर मैंने
    हिला दिया पानी के
    शांत सतह को,
    जाओ नहीं देखना है मुझे
    नष्ट चाँद !

    ये क्षणिका मुझे बहुत पसंद आई

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  8. तीनो ही अद्भुत शानदार दिल को छूती हैं।

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  9. उद्वेलित करती मन को भाव कणिकाएं .अच्छे बिम्ब प्रतिबिम्ब उभरते बिगड़ते .

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  10. छा गए भाई साहब भाव कणिका एक तरफ और नैन सुख सरकार के लिए एक बायोनिक आई आपकी टिपण्णी का व्यंग्य विनोद एक तरफ .बहुत खूब .

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  11. kitni badi baat kah di -asthir chitt mein spasht chaand nahi deekhta !

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  12. चान्द के माध्यम से आपने मन की बात कही। बहुत ही स्पंदित कर गई ये क्षणिकाएं।

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  13. एक ही कविता की तीन अलग-अलग पर्तें !
    अस्पष्ट चांद, नष्ट चांद और कष्ट चांद...
    सुंदर प्रयोग।

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  14. आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

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  15. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! अद्भुत सुन्दर क्षणिकाएं ! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  16. bahut achi rachna,kum shabdon me ache bhaav sampreshit kie hain aapne,badhaai!

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  17. सुन्दर क्षणिकाएं हैं. बधाई.

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  18. सुन्दर क्षणिकाएं,शुभकामनायें आपको !

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  19. हर क्षणिका में चाँद का सौंदर्य अक्षुण्ण है.

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  20. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ ...

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  21. कहाँ जाते हो
    अमाबस के दिन ?
    बहुत अच्छा प्रश्न।अच्छी प्रस्तुती।

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  22. अच्छी प्रस्तुति ...

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  23. बहुत बहुत धन्यवाद शेखर !

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  24. इतने कम शब्दों में जो जिगाषाएं और प्रश्न प्रतुत किये ,
    अतुलनीय !

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  25. बहुत सुन्दर कविता.....
    फोटोग्राफी भी मुझे पसंद है मगर कविता की खोज में इतना पीछे आना पड़ा :-)

    अनु

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    Replies
    1. अनु जी, कविता तो आपको मेरे ब्लाग पर बहुत सारी मिल जायेगी, धन्यवाद !

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