Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Oct 16, 2011

बिल्ली मौसी

एक बार ये हाथ में आ जाएँ, फिर तो मज़ा आ जायेगा | क्या ज़बरदस्त भोजन का इंतजाम हो जायेगा |

पर ये हाथ में आयेंगे कैसे, ये तो काफी ऊपर चढ़ बैठे हैं ...


शायद यही सोच रही है बिल्ली मौसी .... ये आज सुबह मेरे घर के बाहर का दृश्य है !


इस  चित्र को देखकर आपके मन में क्या ख्याल आ रहा है ... ज़रूर बताईएगा !

23 comments:

  1. hmmm... billi mousi yahi soch rahi hogi ki yaha se nikla kaise jaye... aur jaldi bhi hai...

    ReplyDelete
  2. बिल्ली शायद सोच रही कि बिल्ली के भाग से कभी वह शाख टूटेगी जिस पर चिड़ियाँ बैठी हैं

    ReplyDelete
  3. सब अपने-अपने स्वभाव के अनुसार कर्म करते रहते हैं।
    बिल्ली भी...पंछी भी....!

    ReplyDelete
  4. हर प्राणी अपने जीवन की रक्षा करना जानता है।

    ReplyDelete
  5. आज जाने की जिद ना करो, यूँ ही टहनी पर बैठी रहो.

    ReplyDelete
  6. मीठी-मीठी कल्पना कर रही होगी..

    ReplyDelete
  7. यही कि अब हमारा रास्ता नहीं काटेगी।

    ReplyDelete
  8. ye billi bhee bhrastaachaar ki maari hai isiliye tree pe chadh baithee hai....

    ReplyDelete
  9. मौसी रानी तेरे लिए यह पतली टहनी है और उन चिड़ियों के लिए पतली गली....

    ReplyDelete
  10. तुम डाल डाल हम पात पात... बिल्ली मौसी कहाँ तक पीछा करोगी? i

    ReplyDelete
  11. बिल्ली रानी रोज ही इंतजार करती होगी। और चिड़िया रोज ही ऐसे नखरे दिखाती होगी।

    ReplyDelete
  12. कुछ गलती हो जाय तो मजा आ जाय

    ReplyDelete
  13. बिल्ली के भाग से छींके तो टूटा करते हैं, पर पेड की डालें शायद पंछियों के साथ हैं!

    ReplyDelete
  14. बिल्‍ली के भाग से छींका टूटता है कभी कभी ..

    बढिया चित्र !!

    ReplyDelete
  15. ख्वाब देखने का अपना मजा है...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  16. बिल्ली मौसी गिर न जाएँ ...ध्यान रखियेगा ! !
    दीपावली पर आपको और परिवार को हार्दिक मंगल कामनाएं !
    सादर !

    ReplyDelete
  17. बहुत अछे एहसासात,विनोदपरक प्रस्तुति
    आपको सपरिवार दीपावली व नववर्ष की शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  18. sail ji
    main to soch rahi uhn ki ped par shikaar karne ke liye baithi billi mousikahin apna
    hi shikaar na karva baithen----;)
    hasy parak prastuti---
    kabhi -kabhi yah bhi padhna man ko bahut hi achha lagta hai.
    poonam

    ReplyDelete
  19. लगता है आप बिल्ली की खिल्ली तो नही उडा रहे
    सोच रही है उड़कर सामने वाले मकान के किस फ्लोर
    पर पहुंचूं.

    नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा जी.

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणियां एवं सुझाव बहुमूल्य हैं ...

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...