Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Sep 5, 2011

शिक्षक दिवस ... कुछ ख्यालात

आज समग्र भारत देश शिक्षक दिवस मना रहा है । यह दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति, शैक्षिक और दार्शनिक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन है यह एक "उत्सव" का दिन माना जाता है, जब अपने अपने स्कूल या कॉलेज तो आना होता है पर सामान्य गतिविधियों की जगह शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है और समाज के प्रति उनके अवदान को स्मरण किया जाता है
पर शिक्षा है क्या ?
क्या शिक्षा वही है जो हम केवल स्कूल या कॉलेज में सीखते हैं या फिर वह जो, जिंदगी हमें सिखाती है । जब हम जन्म लेते हैं तो हमें कुछ भी नहीं पता होता है । हमारा दिमाग बिलकुल कोरे कागज़ के जैसे होता है जिस पर कुछ भी नहीं लिखा होता है । फिर धीरे धीरे हम बोलना सीखते हैं, चलना सीखते हैं । ये सब हमें कौन सिखाता है ? हमारे माता पिता, हमारे घर के बुज़ुर्ग, जैसे कि दादा-दादी, नाना-नानी, बुआ, मौसी, मामा, चाचा, बड़े भैया या दीदी इत्यादि । तो क्या ये लोग हमारे लिए शिक्षक नहीं हैं ?
ये सब भी दरअसल हमारे शिक्षक हैं । शिक्षक तो हर वो शख्स है, जिससे हम कुछ सीख पाते हैं । 
क्या शिक्षा कभी खतम होती है ? कई बड़े बड़े महापुरुष यही कह गए हैं, और मेरा भी यही मानना है, कि शिक्षा कभी खतम नहीं होती है । हम अपने जीवन के अंतिम दिन तक सीखते रहते हैं ।  फर्क यही है कि जब हम स्कूल-कॉलेज में पढते हैं तो किताबों से सीखते हैं और जब हम स्कूल-कॉलेज से बाहर आते हैं तो जिंदगी खुद हमें सिखाती है कि कैसे जीना है । 
जब हम किताबों की दुनिया से बाहर आते हैं, तब हमें एहसास होता है कि जिंदगी केवल वही नहीं है जो किताबों में लिखी हुई है । शब्दों को पढ़ना अलग बात होती है और जिंदगी के उंच-नीच को सहना और उनसे सीखना एक अलग बात
कई लोग ठोकर खाके सीखते हैं तो कुछ दूसरों को ठोकर खाते हुए देखकर सीख जाते हैं । खैर जो भी हो, इसे ही तजुर्बा कहते हैं । 
और तजुर्बा तो हम किसी से भी हासिल कर सकते हैं । किसी बुज़ुर्ग आदमी को हम तजुर्बेकार कहते हैं क्यूंकि वो ज्यादा दिन तक तजुर्बा हासिल करते रहा है । हाँ, इसका मतलब ये कतई नहीं है कि केवल उम्र ज्यादा होने से ही तजुर्बा या यूँ कह सकते हैं, योग्यता, ज्यादा हो । कभी कभी कई लोग कम उम्र में ही इतना तजुर्बा हासिल कर लेते हैं जितना करने में बाकियों की उम्र कट जाती है । ये इस बात पे निर्भर है कि आप किस तरह की परिस्थितिओं से होकर गुजरे हों । 
कहने का मतलब यह है कि हमारी चारों ओर जो हो रहा है, हमारा मस्तिष्क उन्ही बातों को ग्रहण करते जाता है और वही सीखता है जो देखता है और अनुभव करता है । यह बातें हमारे दिलो-दिमाग पर और नतीजतन हमारे स्वभाव पर अमिट छाप छोड़ जाती है । और धीरे धीरे हमारा व्यक्तित्व बन उठता है
कहते हैं कि स्कोटलैंड का निर्वासित राजा ब्रुस एक गुफा में एक मकड़ी की जाल बुनने की कोशिशों से उत्साहित होकर इंग्लॅण्ड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और आखिर विजय प्राप्त किया था । जब एक देश का राजा एक मकड़ी से सीख सकता है तो हम क्यूँ नहीं ?
जिंदगी हर मोड पे, हर रूप में, कुछ न कुछ सीख देती है । ये तो हम पर है कि हम किस तरह इस सीख को ग्रहण करते हैं और अपने दैनंदिन जीवन में प्रयोग करते हैं
दरअसल अक्सर ऐसा होता है कि हमारा अहंकार हमें सीख ग्रहण करने से रोकता है । जब हम छोटे थे, तब हमारे अंदर कोई अहंकार नहीं था । हमें कोई कुछ भी सिखाय हम सीख लेते थे । जैसे जैसे हम बड़े होते गए, हमारे अंदर अहंकार घर करने लगा । धीरे धीरे हमें यह लगने लगता है कि हम बहुत कुछ सीख गए हैं और बहुत ज्ञानी हो गए हैं । फिर हम ये बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं कि कोई हमसे उम्र में छोटा, या सामाजिक रूप से हमसे कमतर हमें कोई सीख दे सकता है । शिक्षा और हमारे बीच, हमारा अहंकार खड़ा हो जाता है । 
महान वैज्ञानिक आइजक न्यूटन ने कहा है कि वो ज्ञान के महासागर के किनारे खड़े होकर रेत के कुछ दाने बटोर रहे हैं । उनके इस नम्रता से हमें सीखना चाहिए । जब उनके जैसे महान वैज्ञानिक इतना विनीत हो सकते हैं, तो हमारी औकात ही क्या है ? क्यूँ हम ये सोचें कि हम बहुत कुछ सीख चुके हैं, बहुत कुछ जान गए है ? अगर न्यूटन ज्ञान के महासागर के किनारे रेत के दाने बटोर रहे थे, तो हम तो अभी उस महसागर के किनारे पहुँच भी नहीं पाए हैं । फिर कैसा घमंड, किस बात का अहंकार ?
यदि हम अपना अहंकार छोड़ दे, तो कितना कुछ है सीखने के लिए । फिर ज्ञान हर दिशा से हमारी ओर आने लगेगा । पानी सोखने के लिए स्पांज जैसा नरम बनना पड़ता है, नाकि पत्थर जैसा सख्त । दिल में विनम्रता हो तो खुद व खुद आप शिक्षा के राह में चल पड़ेंगे और आपके ज्ञान का स्तर और ऊँचा, और ऊँचा, होता जायेगा
सबसे बड़ा शिक्षक है विनम्रता !

23 comments:

  1. "शिक्षक तो हर वो शख्स है, जिससे हम कुछ सीख पाते हैं । "

    सही बात कही सर। शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ।

    सादर

    ReplyDelete
  2. ठीक कहा है आपने -यह समस्त संसार शिक्षालय है और यहाँ निरंतर शिक्षा चलती रहती है।

    ReplyDelete
  3. सत्य कहा आपने जो सिखाये वही शिक्षक और उसका सम्मान करना ही चाहिए | शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. हर एक बात सोलह आने सच और सकारात्मक सोच लिए हुए है
    बेहतरीन प्रस्तुति

    ReplyDelete
  5. सच यही है कि विनम्रता नहीं तो शेष ज्ञान व्यर्थ है. बढ़िया आलेख.

    ReplyDelete
  6. शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें

    ReplyDelete
  7. shiksha diwas par saarthak prastuti ke liye aabhar.
    shikshak diwas kee hardik shubhkamnayen..

    ReplyDelete
  8. बहुत सार्थक और सारगर्भित आलेख। आभार

    ReplyDelete
  9. bahut hi khoobsurti se asli shiksha ka zikra kiya ...

    ReplyDelete
  10. सच है, अहंकार बडी बाधा है। शिक्षक दिवस की बधाई!

    ReplyDelete
  11. सार्थक चिंतन!
    आशीष
    --
    मैंगो शेक!!!

    ReplyDelete
  12. लेख सराहने के लिए आप सबको धन्यवाद !

    ReplyDelete
  13. विनम्रता हमारे जीवन स्तर को ऊंचा करती है । बहुत सुन्दर बात कही नील जी।

    ReplyDelete
  14. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  15. Bahut hee badhiya aalekh hai! Sab guruon ke aage natmastak hun!

    ReplyDelete
  16. सही कहा है आपने सीखना सीखते रहना एक सतत प्रक्रिया है जब व्यक्ति एहंकार में आके यह समझ लेता है वह सर्व ज्ञाता है ,उसका विकास रुक जाता है विखंडन शुरु हो जाता है .सीखना एक बे -चैनी है .आज मैंने क्या नया सीखा .यह लै आदमी को ज़िंदा रखती है तनाव हीन बनाए रहती है .
    किस्मत वालों को मिलती है "तिहाड़".

    ReplyDelete
  17. सुन्दर बात कही.

    ReplyDelete
  18. शिक्षक तो हर वो शख्स है, जिससे हम कुछ सीख पाते हैं ।
    अच्छे ख़यालात,
    लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि शिक्षक तो हर वो शै है जिससे हम कुछ सीख पाते हैं।

    ReplyDelete
  19. आप सभी को अनेक धन्यवाद जो आप सबने मेरे आलेख को पढ़ा और अपनी बहुमूल्य टिप्पणिओं से इसे नवाजा ...

    ReplyDelete
  20. कल 05/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणियां एवं सुझाव बहुमूल्य हैं ...

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...