गगन में तू कृष्णकाय बादलों की भीड़ देख ।
अश्रुजल में भग्नप्राय स्वप्न का तू नीड़ देख ॥
असहनीय यातना हो, मन में तीव्र कष्ट हो ।
दिखा ना तू दर्द हाय, बस पराई पीड़ देख ॥
गरीबों में इन्कलाब कैसे आएगा बता ।
अभावों की वेदना से झुक गई है रीढ़ देख ॥
समस्या का सामना तू ‘सैल’ करना सीख ले ।
पहाड़ों पर गर्वोन्नत सर खड़ा है चीड़ देख ॥
चित्र साभार गूगल सर्च !
बेहतरीन!
ReplyDeleteसादर
गरीबों में इन्कलाब कैसे आएगा बता ।
ReplyDeleteअभावों की वेदना से झुक गई है रीड़ देख ॥
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
यथार्थ को दर्शाती एक बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteअसहनीय यातना हो, मन में तीव्र कष्ट हो ।
ReplyDeleteदिखा ना तू दर्द हाय, बस पराई पीड़ देख ...
हिंदी में लिखी एक बेहतरीन ग़ज़ल ... सत्य लिखा है ... सच्चाई ....
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeletebahut sunder rachna
ReplyDeletemere blog par
"mai aa gyi hu lautkar"
सैल भाई बधाइयों की टोकरी स्वीकारें...इतनी अच्छी रचना है आपकी के क्या कहूँ? शब्द और भाव का अद्भुत संगम दिखाई दिया...मुश्किल लगने वाले शब्दों को जिस सरलता से आपने रचना में बाँधा है उस से आपके लेखन की श्रेष्ठता का अंदाजा हो जाता है...
ReplyDeleteनीरज
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (6/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
गरीबों में इन्कलाब कैसे आएगा बता ।
ReplyDeleteअभावों की वेदना से झुक गई है रीड़ देख ॥
हकीकत यही है
पर फिर
समस्या का सामना तू ‘सैल’ करना सीख ले ।
पहाड़ों पर गर्वोन्नत सर खड़ा है चीड़ देख ॥
की सकारात्मकता भा गयी
sail bhai kya gazab ki hindi ka prayog kiya hai bhai...mazaa aa gaya bas ek chhota sa correction mujhe lagta hai shaayad ho sakta hai...
ReplyDeletereed ki jahag shaayad REEDH hona chahiye....
DHAKKAN wala DH....
सुंदर कविता भाई साब
ReplyDeleteआभार
Surendra jee, bahut dhanyavaad galati ki taraf dhyan akarshan karne ke liye ... sudhaar liya gaya hai ...
ReplyDeleteसमस्या का सामना तू ‘सैल’ करना सीख ले ।
ReplyDeleteपहाड़ों पर गर्वोन्नत सर खड़ा है चीड़ देख ॥
vah, kya baat hai. sundar sher.
बहुत ही बढ़िया कविताई कर रहे हैं आप. पढ़ कर मज़ा आ जाता है. Keep it up.
ReplyDeleteKya kamaal ke alfaaz hain! Harek pankti lajawaab hai!
ReplyDeleteप्रकृति से प्रेरणा।
ReplyDeletewah wah ..bahut khoob
ReplyDeletehappy new year...
बेहतरीन ग़ज़ल ...
ReplyDeleteनई पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteLajawab Kya kahane!
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति... मन को छू गयी रचना
ReplyDeleteगगन में तू कृष्णकाय बादलों की भीड़ देख ।
ReplyDeleteअश्रुजल में भग्नप्राय स्वप्न का तू नीड़ देख ॥
aatmik shakti ka sanchaar tabhi hota hai...
likhne mein ek gahan jhalak kee vidyut rekha hai
असहनीय यातना हो, मन में तीव्र कष्ट हो ।
ReplyDeleteदिखा ना तू दर्द हाय, बस पराई पीड़ देख ॥
गरीबों में इन्कलाब कैसे आएगा बता ।
अभावों की वेदना से झुक गई है रीढ़ देख ॥
पूरी गज़ल ही लाजवाब है लेकिन ये शेर दोनो कमाल के बन पडे हैं। बधाई आपको।
गगन में तू कृष्णकाय बादलों की भीड़ देख ।
ReplyDeleteअश्रुजल में भग्नप्राय स्वप्न का तू नीड़ देख ॥
हिंदी में सुंदर ग़ज़ल।
शब्दों और भावों का उत्तम सामंजस्य।
अप्रतिम शब्द चयन।
वाह वा वाह वा !
ReplyDeleteअसरदार रचना के लिए बधाई !
वाह , परहित सरस धरम नहीं भाई वाली उक्ति चरितार्थ करती सुन्दर रचना .
ReplyDeleteअसहनीय यातना हो, मन में तीव्र कष्ट हो ।
ReplyDeleteदिखा ना तू दर्द हाय, बस पराई पीड़ देख ॥
waah bahut khoob ,bas yahi sahi hai,harek pankti sundar .
सुंदर प्रस्तुति| पूरी गज़ल लाजवाब है|
ReplyDeleteबहुत अच्छे भाव हैं !
ReplyDelete-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteसैल जी, बहुत अच्छी बातें कहीं। इस सार्थक गजल के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete---------
बोलने वाले पत्थर।
सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है?
bahut sundar rachana badhai
ReplyDeleteअसहनीय यातना हो, मन में तीव्र कष्ट हो ।
ReplyDeleteदिखा ना तू दर्द हाय, बस पराई पीड़ देख ॥
great......shabdon ka utkrisht samanway.....behtareen abhivyakti...
dikha na dard tu haai....bas paraai peeda dekh........kya baat hai!!!!!!
vo kehte hain ma......man ki peera man hi rakho goya.........
kya khoob likha hai sir...aur aapki hindi ek alag hi flavor deti hai yahan, bohot khoob
ReplyDeletevery nice..
ReplyDeletePlease visit my blog.
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कल 25/06/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
समस्या का सामना तू ‘सैल’ करना सीख ले ।
ReplyDeleteपहाड़ों पर गर्वोन्नत सर खड़ा है चीड़ देख ॥
बहुत बहुत धन्यवाद यशवंत ! आप सच में नई पुरानी रचनाओं को संजोकर ब्लॉग जगत के लिए सराहनीय काम कर रहे हो ....
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