Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Aug 22, 2011

अन्ना तेरो नाम ...


एक मजबूत लोकपाल बिल के लिए अन्‍ना हजारे का आन्दोलन ज़ारी है । 


भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए इस आंदोलन को देशभर में व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है। लोग हजारों के तादाद में सड़कों पर उतर आए हैं। घबराई केंद्र सरकार अन्ना को गिरफ्तार करने जैसी बचकानी हरकत भी कर चुकी है । पर आखिर उनको तिहार जेल से रिहा करना पड़ा । मज़े की बात ये है कि रिहा करने के बाद भी अन्ना जेल में जमे रहे जब कि उनको अनशन करने की अनुमति न मिली । अब वो रामलीला मैदान में अपने साथियों के साथ अनशन पर बैठे हैं उनका वजन ५ किलो घट चूका है । कहते हैं कि प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह उनसे बात करना चाहते हैं । अन्ना ने कहा है कि बात करने के लिए वो भी तैयार हैं पर किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा । इधर ये भी सुनने में आ रहा है कि देशभर में जनता अपने इलाके का सांसद या विधायक के घरों के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे है, चाहे वो किसी भी पार्टी का हो, भाजपा, कांग्रेस, सपा या फिर बसपा

इसमें कोई शक नहीं है कि अन्ना का यह आन्दोलन केवल एक प्रांतीय आन्दोलन न रहके एक राष्ट्रीय आन्दोलन बन चूका है ।

सवाल ये हैं कि इस आन्दोलन का नतीजा क्या निकलने वाला है पिछले ३-४ सालों से लगातार बड़े बड़े घोटालों की खबर से त्रस्त जनता देश में बदलाव चाहती है । पर गणतंत्र में हम सरकार पूरे ५ साल के लिए चुनकर लाते हैं । और जो चुनकर आये हैं, उनमें से ही कुछ अगर घोटालों में लिप्त हो, तो ज़ाहिर है कि वो आसानी से अपनी गद्दी तो नहीं छोड़ेंगे । आखिर कौन बेवक़ूफ़ अपने ही हाथों अपनी मौत का फरमान लिखना चाहेगा ।

पासवान और राजा को कुछ समय के लिए तिहार जेल में रखा गया है ।  पर भ्रष्टाचार के आरोप क्या केवल इन दोनों के ऊपर ही है । शायद ही कोई ऐसा राजनेता होगा जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप न हो । अब तो बड़ा राजनेता बनने के लिए ये ज़रूरी हो गया है कि आपके नाम पर कई करोड के घोटाले का आरोप हो । वरना आपको राजनीती के दंगल में कोई पूछेगा ही नहीं । अब देखिये न, अगर लालू प्रसाद यादव या फिर करूणानिधि के नाम पे कई सौ करोड रुपये के घोटालों का आरोप नहीं होता तो क्या उन्हें कोई सम्मान देता ? कांग्रेस सरकार भी तो उन्ही को बचाने में अपना दिन-रात एक करते रहती है जिनके नाम पे बड़े बड़े घोटालों का आरोप हों । 


अन्ना का आन्दोलन सही दिशा में जा रहा है या नहीं या फिर आन्दोलन से हम अन्ना को ज्यादा महत्व दे रहे हैं या नहीं इस बारे में बहसबाजी शुरू हो गई है । ये तो वही बात हुई कि एक लंबे काले घने रात के बाद जब सुबह की किरण आती हो, तो कुछ लोग इस बहस में जुट जाते हैं कि इस किरण का रंग कैसा होना चाहिए । मुझे तो लगता है कि ये सब व्यर्थ की बहस हैं । ज़रूरी ये है कि एक देश-व्यापी आन्दोलन हो और इतने बड़े पैमाने पर हो कि मौजूदा भ्रष्ट तंत्र की जड़ें हिल जाय । देश और समाज की हर परत में भ्रष्टाचार इस कदर घर कर गया है कि भ्रष्टाचार को मिटाना मतलब शरीर से गन्दा खून को निकालना जैसा है । ये इतना आसान नहीं है

लोकपाल  बिल एक शुरुआत है । यदि लोकपाल बिल संसद में पारित भी हो जाय, जो होना बहुत मुश्किल लग रहा है, फिर भी भ्रष्टाचार सम्पूर्ण रूप से खतम नहीं होगा । आगे और काम करना होगा । 

भ्रष्टाचार को मिटने के लिए समाज में बदलाव ज़रूरी है । और ये बदलाव तभी संभव है जब हम सब अपनी मानसिकता में बदलाव लायेंगे । अन्यथा समाज में कोई बदलाव नहीं आ सकता और हालत फिर वही हो जायेगी जो अभी है । 

कहीं न कहीं हमारी मूलभूत मानसिकता और सोच में परिवर्तन लाना ज़रूरी है । हम जिस तरह से सोचते हैं, जिस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं वो बदलना होगा । और इसके लिए हमें कुछ मानसिक त्याग स्वीकार करने होंगे । 
क्या हम इसके लिए तैयार हैं ?
क्या हम सामाजिक उन्नति को धर्म, प्रांतीयता या जाती से ज्यादा महत्व दे पाएंगे ?
क्या हम जब वोट देने जायेंगे तो उस उम्मेदवार का धर्म या उसकी जाती के बारे में सोचना छोड़ पाएंगे ?
क्या हम धार्मिक इंसान से ज्यादा एक परिपक्व इंसान बन पाएंगे ?


मैं ये सवाल केवल हिंदुओं से नहीं बल्कि, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन, और सभी धर्म के लोगों से पूछ रहा हूँ । क्या आप सब केवल धार्मिक किताबों में लिखी बातों को ही समझ पाए है, या फिर इंसानियत भी सीख पाए हैं ?

मुझे जवाब देने की ज़रूरत नहीं है । खुदसे पूछिए । खुदको जवाब दीजिए । खुदको समझिए

स्वर्ग  में कोई हूर-परी आपका इंतज़ार नहीं कर रही है । कोई स्वर्ग आपका इंतज़ार नहीं कर रहा है । आपको स्वर्ग यहाँ इस धरती में बनाना होगा । ये आपके हाथ में है कि आप इस धरती को स्वर्ग बनाये या फिर नरक

जो भी है आप ही को भुगतना है । या आपके आने वाली पीढ़ी को

अन्ना  और उनके समर्थक अपना रास्ता चुन चुके हैं । उनको अपने आने वाली पीढ़ी को एक स्वर्ग देकर जाना है और वो भी इसी धरती पर । इसी समाज मे, इसी देश में । उ सके लिए वो जी-जान लगाकर लढ रहे हैं । तकलीफ सह रहे हैं । 


पर अकेला चना भार नहीं फोड़ सकता उनको पूरे देश का समर्थन चाहिए । आपका समर्थन चाहिए । अब निर्णय आपके हाथ है 

आप अपने बच्चों के लिए क्या रख जाना चाहते हैं ? स्वर्ग या नरक ?

29 comments:

  1. sabka samarthan zaroori hai....nice and thought provoking post.

    ReplyDelete
  2. इंक़लाब जिंदाबाद ...

    ReplyDelete
  3. बहुत सारगर्भित विश्लेषण ...जब तक हमारी मानसिकता नहीं बदलेगी , कुछ नहीं हो सकता..अन्ना ने एक ज्वलंत समस्या पर जन मानस का ध्यान खींचा है, लेकिन यह संघर्ष सतत चलाना होगा, सडकों पर नहीं अपने मन के अंदर.

    ReplyDelete
  4. Sawaal achha uthaya hai...lekin aksar logon kee fitrat ye rahtee hai,ki,koyee aur kuchh kar de!

    ReplyDelete
  5. मैं ये सवाल केवल हिंदुओं से नहीं बल्कि, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, जैन, और सभी धर्म के लोगों से पूछ रहा हूँ । क्या आप सब केवल धार्मिक किताबों में लिखी बातों को ही समझ पाए है, या फिर इंसानियत भी सीख पाए हैं ?
    good q. hum sabko milkar bhrashtachar ko mitana hai. aapka abhar.

    ReplyDelete
  6. आपका विश्लेषण प्रभावित करता हौ। यह एक सतत लड़ाई है।
    थमनी नहीं चाहिए, अन्ना ने जो अलख जगाई है।।

    ReplyDelete
  7. गहन चिन्तनयुक्त प्रासंगिक लेख....

    ReplyDelete
  8. खुली सोच देती बढ़िया पोस्ट.

    ReplyDelete
  9. सब साथ हैं ..
    जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!

    ReplyDelete
  10. बुख़ारी साहब का बयान इस्लाम के खि़लाफ़ है
    दिल्ली का बुख़ारी ख़ानदान जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ाता है। नमाज़ अदा करना अच्छी बात है लेकिन नमाज़ सिखाती है ख़ुदा के सामने झुक जाना और लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना।
    पहले सीनियर बुख़ारी और अब उनके सुपुत्र जी ऐसी बातें कहते हैं जिनसे लोग अगर पहले से भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हों तो वे आपस में ही सिर टकराने लगें। इस्लाम के मर्कज़ मस्जिद से जुड़े होने के बाद लोग उनकी बात को भी इस्लामी ही समझने लगते हैं जबकि उनकी बात इस्लाम की शिक्षा के सरासर खि़लाफ़ है और ऐसा वह निजी हित के लिए करते हैं। यह पहले से ही हरेक उस आदमी को पता है जो इस्लाम को जानता है।
    लोगों को इस्लाम का पता हो तो इस तरह के भटके हुए लोग क़ौम और बिरादराने वतन को गुमराह नहीं कर पाएंगे।
    अन्ना एक अच्छी मुहिम लेकर चल रहे हैं और हम उनके साथ हैं। हम चाहते हैं कि परिवर्तन चाहे कितना ही छोटा क्यों न हो लेकिन होना चाहिए।
    हम कितनी ही कम देर के लिए क्यों न सही लेकिन मिलकर साथ चलना चाहिए।
    हम सबका भला इसी में है और जो लोग इसे होते नहीं देखना चाहते वे न हिंदुओं का भला चाहते हैं और न ही मुसलमानों का।
    इस तरह के मौक़ों पर ही यह बात पता चलती है कि धर्म की गद्दी पर वे लोग विराजमान हैं जो हमारे सांसदों की ही तरह भ्रष्ट हैं। आश्रमों के साथ मस्जिद और मदरसों में भी भ्रष्टाचार फैलाकर ये लोग बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं।
    ये सारे भ्रष्टाचारी एक दूसरे के सगे हैं और एक दूसरे को मदद भी देते हैं।
    अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन पर दिए गए अहमद बुख़ारी साहब के बयान से यही बात ज़ाहिर होती है।
    ब्लॉगर्स मीट वीकली 5 में देखिए आपसी स्नेह और प्यार का माहौल।

    ReplyDelete
  11. जय अन्ना, जय जय अन्ना।

    ReplyDelete
  12. आपका विश्लेषण प्रभावित करता हैं

    ReplyDelete
  13. बिल्‍कुल सही कहा है आपने ।

    ReplyDelete
  14. sach kaha ...bas ab jaldi sarkaar ko kadam uthhana chahiye ...Anna ki sehat ke sath sath janta ke rosh ki chinta sochneey hai ...peeda to sabke dil me thi ...bas Anna kee shuruvad ne ise krantikaaree parivartan par laa khada kiya hai ...Jay Anna ...

    ReplyDelete
  15. सबको सन्मति दे भगवान. अब तो चिंता बढती जा रही है. सब शुभ हो, यही उम्मीद.

    ReplyDelete
  16. साहब.. कुछ मूढों को कौन समझाए कि अन्ना और हम प्रजातंत्र को नहीं पर भ्रष्ट-तंत्र को हिलाना चाहते हैं..
    वो प्रजातंत्र का भाल रख कर खुद को सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं..
    जंग है.. जीतना है!

    ReplyDelete
  17. @ प्रतीक
    ये मूढ़ नहीं ... इनको अच्छी तरह समझता है ... जान बूझकर कर रहे हैं ... इनकी भी टंगड़ी फंसी होगी ...

    ReplyDelete
  18. अन्ना की तबयत के बारे में हर भारतीय चिंतित है ... नहीं है तो केवल देशद्रोही लोग ...

    ReplyDelete
  19. @ anwar jamal jee
    जहाँ देशका सवाल होता है ... समाज का सवाल होता है ... वहाँ इंसान को धर्म-मज़हब भूल के केवल इंसानियत के लिए आवाज़ उठानी चाहिए

    ReplyDelete
  20. जन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.

    ReplyDelete
  21. अन्ना को उसके आंदोलन के प्रथम चरण की जीत पर हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  22. बहुत सुन्दर लिखा है आपने!शानदार प्रस्तुती!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  23. सहज सरल शब्दों में बहुत गहरी बात.
    सचिन को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए. भावनाओ से परे तार्किक विश्लेषण हेतु पढ़ें और समर्थन दें- http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/

    ReplyDelete
  24. मुझे यह लगता है कि हमें इस छोटी सी जीत के जश्न में बह नहीं जाना चाहिए ...
    कूटनीति के पारंगत खिलाडी इस जीत को हार मे बदलने में कोई कसार बाकी नहीं छोड़ेंगे ...
    भारत को सचमुच भ्रष्टाचार मुक्त करना है तो हर व्यक्ति को अपने चरित्र में बदलाव लाना होगा ... तभी इस देश का कुछ हो सकता है ...
    अन्ना जी ने तो केवल एक रास्ता दिखाया है ... इस कठिन डगर पर गुज़रना तो अब हमको है ...

    ReplyDelete
  25. @एक स्वतन्त्र नागरिक
    सच्चा भारत रत्ना तो हम सबके प्यारे अन्ना हैं ...

    ReplyDelete
  26. सारगर्भित विश्लेषण ...,बहुत सुन्दर लिखा है आपने, शानदार प्रस्तुती!

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणियां एवं सुझाव बहुमूल्य हैं ...

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...