Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Feb 24, 2011

आइये मिलते हैं इनसे ....

मित्रगणों .... आइये आज आप सबको हम अपने देश का एक महान व्यक्तित्व से मिलाते हैं ... निमोक्त चरित्र चित्रण मैंने नहीं लिखा है .... यह मुझे मेरे एक दोस्त ने ईमेल द्वारा भेजा है ... मुझे यह चरित्र इतना अच्छा लगा कि मैं इसे अपने ब्लॉग पर लगाने का लोभ संवरण नहीं कर सका ....


गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

1.
सादा जीवन, उच्च विचार: उनके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाले थे .

2. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उन्हें अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उन्होंने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहते तो गर्दन भी काट सकते थे . पर उनके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.

3.
नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उनके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उनका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझते थे . बसन्ती को पकड़ने के बाद उनके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उन्होंने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ते थे .

4.
अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उन्होंने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उन्होंने  उन्हें तुरंत सज़ा दी.

5.
हास्य-रस का प्रेमी: उनमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उन्होंने उन तीनों को खूब हंसाये थे. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक युग का 'लाफिंग बुद्धा' थे .

6.
नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उन्होंने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और ही करता.

7.
भिक्षुक जीवन: उन्होंने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाये थे .  रामपुर और अन्य गाँवों से उन्हें जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करते थे, सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उन्होंने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.

8.
सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करते थे . सैकड़ों माताएं उनका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उनपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखी थी. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.

9.
महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होते तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

उपरोक्त  महानायक का चित्र गूगल से साभार लिया गया है ....

28 comments:

  1. अरे वाह क्या खूब .....

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  2. वाह! इन महा (खल) नायक को प्रणाम! व आपको बधाई चरित्र चित्रण के लिये!

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  3. @ktheleo
    अरे नहीं भाईसाब, ये मैंने नहीं लिखा है, इतना प्रतिभाशाली मैं नहीं हूँ, धन्यवाद तो उनको मिलना चाहिए जो इसको लिखा है ... मुझे नहीं पता कि इस चरित्र चित्रण को किसने लिखा है ... पर जिसने भी लिखा है ... वो खुद भी महान है ...

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  4. धन्य हैं इस महान नायक का महानतम चरित्र-चित्रण लिखने वाले महानुभाव!

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  5. सर्वप्रथम धन्यवाद इन्द्रनील जी । आपके ब्लाग पर लगे लिंक से कल ब्लाग वर्ल्ड काम
    पर सर्वाधिक विजेट हुये । 100 के लगभग परिचय के बाद लेख समीक्षा । चर्चित ब्लाग
    जैसे मुद्दों पर भी डेली प्रकाशन होगा । इस हेतु अपने सुझाव अवश्य दें । क्योंकि
    मुझे ब्लागिंग में अधिक जानकारी नहीं है । वैसे तुलनात्मक मुझे आपका इन्द्रनील
    ब्लाग अधिक अच्छा लगता है । गजल की जानकारी बहुत कम है मुझे ।

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  6. बहुत अच्छी जानकारी।धन्यवाद।

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  7. इस महान ऐतिहासिक शख्सियत से परिचय कराने का शुक्रिया।
    इस परोपकारी संत की एक और खूबी यह थी कि ये पारंपरिक भारतीय पद्धति से जठराग्नि आदि रोग को, जो नमक-मसाले की अधिक मात्रा में सेवन से होता है, गोलियां खिला कर क्षण में दूर कर दिया करते थे।

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  8. ये मेल तो मुझे भी मिला था....
    सच में जिसने भी लिखा है वो महान ही है.. :)

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  9. ये मेल तकरीबन एक महीने पहले मिला था फिर उसके बाद यही गब्बर चरित्र चित्रण दो अन्य ब्लॉग पर भी देखा था. इससे चरित्र चित्रण पोस्ट की महत्ता का अहसास हो रहा है. वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है गब्बर महिमा..... इस एंगल से आज तक सोचा ही नहीं :)

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  10. भाई इन्द्रनील जी सिर्फ़ आपकी प्रेरणा से मैंने
    ब्लाग वर्ल्ड काम का विजेट लगाने के तरीके की
    खोज की । और आखिर मिल ही गया । अब ब्लाग
    वर्ल्ड काम पर ही कोड बाक्स में उपलब्ध है । जिसका
    मैंने परीक्षण भी कर लिया है । आप वहाँ से कोड
    कापी करके आराम से लगा सकते हो । आप ऐसे ही
    समय समय पर अपने अमूल्य सुझाव देते रहना ।
    धन्यवाद ।

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  11. काबिल-ए-तारीफ़ है गब्बर महिमा| धन्यवाद ।

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  12. यह खूब रही ....
    शुभकामनायें आपको ( गब्बर को नहीं )
    :-)

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  13. बढ़िया चित्रण !
    दसवीं भी जोड़ देते, lol!

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  14. हाहाहा मज़ा आ गया साहब , लिखने वाले को बधाई और आपको साधुवाद .

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  15. दसवीं कक्षा का एक विषय फिल्म भारती की परीक्षा में पूछा गया एक प्रश्न-
    प्र. 5- महान फिल्म शोले के महान नायक के महान चरित्र का चित्रण अपने महान शब्दों में कीजिए।

    इस प्रश्न का उत्तर आपके इस पोस्ट में है।

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  16. बहुत ही बढ़िया गब्बर चित्रण.
    मुगैम्बो खुश हुआ.
    अपनी भी बारी आयेगी.

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  17. वाह वाह... बहुत खूब... ,अजा आ गया...
    बहुत पहले इसका एक छोटा सा प्रारूप पढ़ा था, परन्तु आज ये विस्तार पढ़कर उनके लिए इज्ज़त और बढ़ गई...
    और भगवान भी न, ऐसे महान व्यक्तित्व वाले इंसां कम ही बनाते हैं... और ये तो एकलौते ही थे... :)

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  18. मुस्कराने से बच नहीं सका. अच्छा चरित्र चित्रण.

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  19. 9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होते तो जय और वीरू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.
    bahut pate ki baate hai ,maza aa gaya

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  20. गब्बर सिंह की महिमा न्यारी.
    जिससे डरती दुनिया सारी.

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  21. लिखने वाले ने निसंदेह एक बढ़िया नजरिया दिया है । मैंने भी कभी इस अंदाज़ में पहले नहीं सोचा । धन्यवाद इसे पढवाने के लिए ।

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  22. बेहद नया नजरिया है :)
    आनंद आया पोस्ट को पढ़ कर :)
    धन्यवाद ......

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  23. यह चरित्र चित्रण पढ़कर स्‍कूल के दिन याद आ गए । जब किसी कहानी के पात्र का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा जाता था।
    *
    वैसे मैंने बीए की परीक्षा में हिन्‍दी के प्रश्‍नपत्र में मुहावरों को उपयोग करके वाक्‍य बनाने के प्रश्‍न में शोले के संवादों का उपयोग किया था। जी हां हिन्‍दी में प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण हुआ था।
    *
    इसीलिए कहते हैं कि हर सिक्‍के के दो पहलू होते हैं।

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  24. दशानन में भी बहुत गुण थे!

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