Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

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Jun 8, 2011

इर्ष्या-फूल-दोस्ती : तीन क्षणिकाएं !


१)
झोपड़े में 
दीपक की रौशनी को देख,
फिर इर्ष्या से जल गया, 
महल का
झाड़ फानूस !

२)
कुछ फूल फैलाते हैं 
खुशबू हवा में,
और कुछ,
पास बुलाते हैं भ्रमर को
चमकीले रंगों की मदद से !

३)
धर्म ने फिर साथ दिया 
भ्रष्टाचार  का,
क्या खूब दोस्ती है दोनों में !
एक जनता को बांटता है,
दूसरा लूटता है !

34 comments:

  1. झोपड़े में
    दीपक की रौशनी को देख,
    फिर इर्ष्या से जल गया,
    महल का
    झाड़ फानूस !...

    Your deep insight is reflected in it.

    .

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  2. आपकी तीनों क्षणिकाएँ अच्छी हैं. तीसरी सामयिक है और सम दृष्टि से देखती है.

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  3. बहुत सुंदर क्षणिकाएं

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  4. ....शब्दों को पिरोया है आपने

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  5. bahut badhiya kataaksh..

    kunwar ji,

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  6. झोपड़े में
    दीपक की रौशनी को देख,
    फिर इर्ष्या से जल गया,
    महल का
    झाड़ फानूस !

    यूं तो सभी अच्छी हैं...पर यह सबसे अच्छी लगी....

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  7. कुछ फूल फैलाते हैं
    खुशबू हवा में,
    और कुछ,
    पास बुलाते हैं भ्रमर को
    चमकीले रंगों की मदद से !achhi kshanikayen

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  8. धर्म ने फिर साथ दिया
    भ्रष्टाचार का,
    क्या खूब दोस्ती है दोनों में !
    एक जनता को बांटता है,
    दूसरा लूटता है !

    गहन भाव लिए सुंदर क्षणिकाएं. बधाई.

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  9. क्षणिकाएं अच्‍छी हैं। पर कुछ शब्‍द कम किए जा सकते हैं,ऐसा करने से वे और प्रभावी हो जाएंगी।

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  10. कुछ फूल फैलाते हैं
    खुशबू हवा में,
    और कुछ,
    पास बुलाते हैं भ्रमर को
    चमकीले रंगों की मदद से!

    वाह!

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  11. आपकी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    वाह! बहुत खूब लिखा है आपने! तीनों क्षणिकाएँ बहुत अच्छी लगी!

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  12. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  13. वाह ... बहुत खूब बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  14. बेहतरीन क्षणिकाएँ तीनों ही.

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  15. ये क्षणिकायें सिद्ध करती हैं उस कथन को, 'small is BIG'

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  16. খুব ভাল লাগল পড়ে।
    আপনি বাংলায় লেখেন না কেন?

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  17. आप सबको अनेक धन्यवाद ...
    @ राजेश जी, ज़रूर कोशिश रहेगी बेहतरी की ... आपके सुझाव के लिए शुक्रिया ...
    @ संजय जी, जब कोई छोटी रचना लिखता है ... तो वो बहुत कुछ पाठकों की समझ पर छोड़ देता है ... समझदार को इशारा ही काफी होता है ...
    @ Mahasweta, আমার পড়াশোনা ইংলিশ মিডিয়ামে ... তাই ইংলিশ আর হিন্দিতে স্বচ্ছন্দ অনুভব করি ... বাংলা লিখতে পড়তে জানি কিন্তু বাংলাতেই কোনো রচনা লেখা আমার পক্ষে সত্যিই খুব কঠিন ...

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  18. झोपड़े में
    दीपक की रौशनी को देख,
    फिर इर्ष्या से जल गया,
    महल का
    झाड़ फानूस !
    यह है क्षणिका सुंदर अतिसुन्दर .......

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  19. छोटी किन्तु गंभीर - बहुत सुन्दर - क्या बात है?

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  20. दमदार ... तीनों ही लाजवाब ... कुछ शब्दों में गहरी और दूर की बात कहते हुवे ...

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  21. सुंदर क्षणिकाएं...प्रभावी

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  22. धर्म ने फिर साथ दिया
    भ्रष्टाचार का,
    क्या खूब दोस्ती है दोनों में !
    एक जनता को बांटता है,
    दूसरा लूटता है !

    धर्म और भ्रष्टाचार साथ-साथ...
    वाह, सटीक है....।
    बढ़िया क्षणिकाएं।

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  23. झोपड़े में
    दीपक की रौशनी को देख,
    फिर इर्ष्या से जल गया,
    महल का
    झाड़ फानूस !

    ...बहुत सटीक टिप्पणी...सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर..

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  24. बिना सवालों के जबाब बहुत ही अछे लगे ,शुक्रिया जी

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  25. झोपड़े में
    दीपक की रौशनी को देख,
    फिर इर्ष्या से जल गया,
    महल का
    झाड़ फानूस !...

    सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर..

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  26. छोटे-छोटे बिम्बों में गहरी बात कह गए हैं. वाह !

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  27. सुन्दर भाव -कणिकाएं .

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