Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Aug 8, 2010

मौन के तीन रंग



जाते जाते एक पोस्ट ... क्यूंकि एक महीना ब्लॉग जगत से दूर रहूँगा काम के सिलसिले में ऐसी जगह जाना पड़ रहा है जहाँ इंटनेट तो छोड़िये फोन कवरेज भी नहीं है ....
देखिये भूल मत जाइयेगा ... अब एक महीने बाद ही मिलते हैं ....
कहने को तो
बहुत कुछ था
पर जवाब तुमने,
सिर्फ हाँ या ना
में माँगा था,
इसलिए चुप रहा ।
मैंने उससे पुछा
कैसी हो ?
शिकायत भरी नज़रों से,
मेरी तरफ देखकर,
वो कह गई
बहुत कुछ ।
दफ्तर से लौटकर,
मैंने उससे पुछा -
‘और बताओ
आज का दिन कैसा गया’
सोयी बच्ची कि तरफ
इशारा करके उसने कहा
शशशह्ह्ह्ह्ह्ह्ह  

चित्र गूगल सर्च से साभार ली गई है !

42 comments:

  1. आपका कार्य सफलता पूर्वक पूरा हो और आप जल्द ही वापस आयें, शुभकामनाएं !
    रहा सवाल पोस्ट का तो वह तो बेहद उम्दा लगी ! बहुत थोड़े से शब्दों में बहुत कुछ कह दिया आपने !

    ReplyDelete
  2. कविताएं ही बहुत कुछ कह देती हैं। पर उनके साथ के चित्र उन्‍हें कमजोर बना रहे हैं।

    ReplyDelete
  3. कविताएँ बहुत अच्छी हैं...इस बार छुट्टी की बात बताकर अच्छा किया!!

    ReplyDelete
  4. अच्छी पंक्तिया लिखी है !

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं ....जैसे हर लम्हे को समेट लिया हो ..

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर कविता!.... मै भी छुट्टी पर जा रही हूं!... फिर मिलेंगे!

    ReplyDelete
  7. आप सभी सुधिजनों को अनेक धन्यवाद जो आपने रचना को सराहा ...

    ReplyDelete
  8. वाह! सुन्दर है!
    "सच में" आपको मिस करेगा!

    ReplyDelete
  9. Good One!!!
    Love and Regards
    Chandar Meher
    lifemazedar.blogspot.com
    kvkrewa.blogspot.com

    ReplyDelete
  10. मर्मस्पर्शी रचना बधाई स्वीकारें।
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
    ......................
    निज व्यथा को मौन में अनुवाद करके देखिए।
    कभी अपने आप से संवाद करके देखिए।।
    जब कभी सारे सहारे आपको देदें दग़ा-
    मन ही मन माता-पिता को याद करके देखिए।।
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  11. कविताएं तीनों ही बहुत बढिया हैं.....छोटी सी कविता में गहरी बात!

    ReplyDelete
  12. बहुत सुंदर कविता! गूढ़ अर्थ परन्तु सीधी और सरल

    ReplyDelete
  13. शानदार!!

    इन्तजार रहेगा वापसी का.

    ReplyDelete
  14. सभी को मेरा शुक्रिया ... आपसब हौसला बढ़ाते रहिये तो इधर भी कलम/कीबोर्ड चलती रहेगी :)

    ReplyDelete
  15. शानदार!!

    इन्तजार रहेगा वापसी का...!

    ReplyDelete
  16. वाह अच्छी भंगिमाएं हैं

    ReplyDelete
  17. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  18. बहुत सुन्दर क्षणिकाएं .

    ReplyDelete
  19. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

    ReplyDelete
  20. बेहद ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत किया है आपने! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

    ReplyDelete
  21. सुन्दर क्षणिकाएं।

    ReplyDelete
  22. kamaal ki panktiyan...just beautiful!

    ReplyDelete
  23. आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .

    ReplyDelete
  24. Bahut achhi hai hai..padhklar hansi bhi aayi aur mazaa bhi aaya

    ReplyDelete
  25. अद्भुत तीन रंग.

    ReplyDelete
  26. आपका अन्दाज निराला लगा .जय हिन्द

    ReplyDelete
  27. ऐसे भावो को शब्द देना इतना सरल भी नहीं.
    सुंदर लिखा है. बधाई.

    ReplyDelete
  28. वाह ... खामोशी खामोशी में ही इतनी बात हो गयी ..... बहुत लाजवाब ...

    ReplyDelete
  29. खामोशी को
    खूबसूरत अलफ़ाज़ की ज़बां दे दी आपने तो
    जब कुछ न कह पाएं
    तो भी लगता है क सब कुछ कह दिया है
    सुन्दर भावपूर्ण काव्य !!

    ReplyDelete
  30. तीनों रचनाएं बेहद पसंद आयीं...

    और हाँ,

    चित्र इन्हें कमजोर नहीं कर रहे....

    और भी असरदार बना रहे हैं.....

    ReplyDelete
  31. तीनों रचनाएं बेहद पसंद आयीं...

    और हाँ,

    चित्र इन्हें कमजोर नहीं कर रहे....

    और भी असरदार बना रहे हैं.....

    ReplyDelete
  32. सुन्दर.देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर.

    ReplyDelete
  33. रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  34. लाजवाब...

    ReplyDelete
  35. जनाब-ए-आली,
    आदाब!
    मुझसे मौन ना रहा गया! बेहद उम्दा! बधाई स्वीकार करें!
    आशीष
    --
    अब मैं ट्विटर पे भी!
    https://twitter.com/professorashish

    ReplyDelete
  36. मैंने उससे पुछा
    कैसी हो ?
    शिकायत भरी नज़रों से,
    मेरी तरफ देखकर,
    वो कह गई
    बहुत कुछ ।
    क्षणिका शानदार और धारदार है....मगर ये एक महीने के लिए कहाँ जा रहे हैं...बहरहाल इन्तिज़ार रहेगा.

    ReplyDelete
  37. bahut badiya....

    Mere blog par bhi sawaagat hai aapka.....

    http://asilentsilence.blogspot.com/

    http://bannedarea.blogspot.com/

    ek Music Blog ka link share kar rahi hun hope you like...
    Download Direct Hindi Music Songs And Ghazals

    ReplyDelete
  38. ek mahine to ho gaye....

    अपनी रचना वटवृक्ष के लिए भेजिए - परिचय और तस्वीर के साथ
    '

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणियां एवं सुझाव बहुमूल्य हैं ...

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...