tag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post5646024883711920384..comments2023-10-20T16:33:41.213+05:30Comments on जज़्बात, ज़िन्दगी और मैं: पगडण्डीIndranil Bhattacharjee ........."सैल"http://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-8441362931453803752011-08-17T17:21:00.778+05:302011-08-17T17:21:00.778+05:30बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोर...बेहद भावमयी और खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.<br />सादर,<br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-300438210473967772011-08-17T08:23:56.341+05:302011-08-17T08:23:56.341+05:30सबसे पहले तो यशवंत को धन्यवाद कि उसने मेरी इस पोस्...सबसे पहले तो यशवंत को धन्यवाद कि उसने मेरी इस पोस्ट को अपने चर्चा में स्थान दिया ... <br />वंदना जी, निधि जी और आशा जी को भी अनेक धन्यवाद जो वो आकर मेरी इस पोस्ट पर अपनी बहुमूल्य टिपण्णी दिए ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-80269794426866719082011-08-17T06:45:54.886+05:302011-08-17T06:45:54.886+05:30अच्छी पगडंडिया खासतौर पर ...
उसे बारिश में भींगना...अच्छी पगडंडिया खासतौर पर ...<br />उसे बारिश में भींगना,<br />पसंद है बहुत !<br />मुझे नहीं ।<br />बस इसी बात पे,<br />हमारे बीच<br />चमकती है बिजलियाँ ।Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-33008987934307544392011-08-17T06:41:05.723+05:302011-08-17T06:41:05.723+05:30भावपूर्ण रचना..............शुभकामनायें !भावपूर्ण रचना..............शुभकामनायें !Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-15259733611836933302011-08-17T06:20:14.628+05:302011-08-17T06:20:14.628+05:30'मैंने चुपके से सोख लिया था सन्नाटा 'बहुत ...'मैंने चुपके से सोख लिया था सन्नाटा 'बहुत सुन्दर पंक्ति \अच्छी भावपूर्ण रचना |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-43417328166396397902010-07-14T07:41:26.773+05:302010-07-14T07:41:26.773+05:30मेरी रचना को सराहने के लिए आप सबको मेरा हार्दिक धन...मेरी रचना को सराहने के लिए आप सबको मेरा हार्दिक धन्यवाद !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-15401769017313411052010-07-10T08:04:00.770+05:302010-07-10T08:04:00.770+05:30पहाड़ की पगडण्डी पर,
तुम बढ़ गए थे आगे,
और थोड़ी द...पहाड़ की पगडण्डी पर,<br />तुम बढ़ गए थे आगे,<br />और थोड़ी देर के लिए,<br />सुस्ता कर,<br />मैंने चुपके से<br />सोख लिया था<br />सन्नाटा ।<br />...सुंदर भाव बेहतरीन रचना.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-52486563824245795912010-07-10T05:03:01.602+05:302010-07-10T05:03:01.602+05:30सन्नाटे को सोखने का यह अन्दाज ... बहुत सुन्दर
और ...सन्नाटे को सोखने का यह अन्दाज ... बहुत सुन्दर <br />और फिर बिजली कडकने का कारण भी तो समझ में आ गया.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-63095759110556264352010-07-07T21:57:02.969+05:302010-07-07T21:57:02.969+05:30इन्द्रनील जी सुझाव पर विचार करने और अपनाने के लिए...इन्द्रनील जी सुझाव पर विचार करने और अपनाने के लिए शुक्रिया। तीसरी कविता में आपकी भावना मैं पहले भी समझ पा रहा था। वह बहुत स्पष्ट है। लेकिन अंतत: पीढि़यों का अंतर दिखाने के लिए आपने बेजान चीजों को ही लिया है। उससे भी ज्यादा मेरा कहना है कि स्त्रियां चीज नहीं हैं। हमें इस मानसिकता से उबरना चाहिए।खैर यह विमर्श का विषय है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-79345767932418703822010-07-07T06:03:10.693+05:302010-07-07T06:03:10.693+05:30राजेश जी, आप ने सही कहा चमकती की जगह कडकती बेहतर ल...राजेश जी, आप ने सही कहा चमकती की जगह कडकती बेहतर लगेगी ... पहले मैं भी यही सोचा था पर जाने क्या सोचकर नहीं लिखा ... अब उसे कडकती कर दिया है ...<br />जहाँ तक तीसरी कविता कि बात है, वो माँ, पत्नी और बेटी कि तुलना बेजान चीजों से नहीं की गई है ... यहाँ तीन पीढ़ी में आया बदलाव को दर्शाने की कोशिश की गई है ... अलबत्ता, सिलबट्टे से पीसी हुई मसाले से खाने में जो स्वाद आता है वो किसी भी मिक्सी से नहीं आ सकता है ....<br />विज्ञान के कारण जीवन में भी बदलाव आते जा रहे हैं ... उसे भी नकार नहीं सकते ... पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी जिंदगी बदलती जा रही है ... यह क्षणिका उसीकी तस्वीर है ... उम्मीद है अब मैं अपने विचार स्पष्ट कर पाया हूँ ....Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-26887251326064972772010-07-06T22:46:52.514+05:302010-07-06T22:46:52.514+05:30Pata nahi kitna samajh paayi...magar padh k khushi...Pata nahi kitna samajh paayi...magar padh k khushi huyi...monalihttps://www.blogger.com/profile/00644599427657644560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-91229504819331299502010-07-06T20:59:27.643+05:302010-07-06T20:59:27.643+05:30इन्द्रनील जी आपकी पहली दो कविताएं बहुत सुंदर हैं।...इन्द्रनील जी आपकी पहली दो कविताएं बहुत सुंदर हैं। मेरे हिसाब से अगर पहली कविता में चमकती की जगह आप कड़कती या तड़कती कर लें तो कविता में और गहराई आज जाएगी। दूसरी कविता लगभग चमत्कृत करती है। पर तीसरी कविता के बारे में मेरा मत कुछ भ्रिन्न है। पहली बात तो यह कि जीवन से भरी मां,पत्नी और बेटी की तुलना इन बेजान चीजों से साथ मत करिए। अव्वल तो ये चीज नहीं हैं। दूसरी बात यह अंतर समय के सापेक्ष है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-35009240258546286792010-07-06T15:07:02.264+05:302010-07-06T15:07:02.264+05:30क्या बात है ..एकदम अलग और दिलकश अंदाज ..बेहद सुन्द...क्या बात है ..एकदम अलग और दिलकश अंदाज ..बेहद सुन्दर.<br />मेरे ब्लॉग पर इज्जतअफजाई का बहुत बहुत शुक्रिया.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-6845431476586549392010-07-06T14:22:13.388+05:302010-07-06T14:22:13.388+05:30एक और बात शब्द भीगना है,भींगना नहीं। हां भींजना श...एक और बात शब्द भीगना है,भींगना नहीं। हां भींजना शब्द है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-15578678958931380992010-07-06T14:20:44.830+05:302010-07-06T14:20:44.830+05:30इन्द्रनील भाई पहली दो कविताएं बहुत सुंदर हैं। आपन...इन्द्रनील भाई पहली दो कविताएं बहुत सुंदर हैं। आपने गजब के बिम्ब लिए हैं। पहली कविता में अगर चमकती की जगह कड़कती या तड़कती हो तो मेरे हिसाब से कविता में और गहराई आएगी। <br />दूसरी कविता लगभग चमत्कृत करती है। तीसरी के बारे में मेरा मत आपसे बिलकुल अलग है। पहली बात तो यही की जीवन से भरी मां,पत्नी और बेटी को कृपया इन बेजान चीजों के साथ मत रखिए। अव्वल तो वे चीज नहीं हैं। दूसरी बात यह कि यह तुलना बेमानी है। यह अंतर समय के सापेक्ष है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-62237420807352277772010-07-06T11:26:08.932+05:302010-07-06T11:26:08.932+05:30सिलबट्टा, मिक्सी, फ़ूड-प्रोसेस्सर
चिट्ठी, ईमेल और ...सिलबट्टा, मिक्सी, फ़ूड-प्रोसेस्सर<br />चिट्ठी, ईमेल और चैटिंग<br />फैन, कूलर और एसी<br />साईकिल, बस और हवाई जहाज<br />माँ, पत्नी और बेटी !<br /><br />वाह वाह वा...आपकी नूतन सोच को नमन...कमाल की रचना प्रस्तुत की है आपने...ढेरों बधाई..<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-33475961915332791232010-07-05T20:04:54.695+05:302010-07-05T20:04:54.695+05:30क्षणिकाएं गहरे विचारों से परिपूर्ण है। शैली चमत्कृ...क्षणिकाएं गहरे विचारों से परिपूर्ण है। शैली चमत्कृत और प्रभावित करती है। सर्जनात्मकता के लिए विभिन्न बिम्बों का उत्तम प्रयोग अद्भुत प्रभाव उत्पन्न करता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-36740480135642162382010-07-05T19:27:36.990+05:302010-07-05T19:27:36.990+05:30सुन्दर,बेदतरीन रचना है।सुन्दर,बेदतरीन रचना है।हर्षिताhttps://www.blogger.com/profile/04799029469213410208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-12805354468614101712010-07-05T17:54:27.991+05:302010-07-05T17:54:27.991+05:30मंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के स...मंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार <br /><br /> http://charchamanch.blogspot.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-84282080929226453272010-07-05T15:18:09.813+05:302010-07-05T15:18:09.813+05:30उसे बारिश में भींगना,
पसंद है बहुत !
मुझे नहीं ।
ब...उसे बारिश में भींगना,<br />पसंद है बहुत !<br />मुझे नहीं ।<br />बस इसी बात पे,<br />हमारे बीच<br />चमकती है बिजलियाँ ।<br /><br />adbhutt...taliyaaaaan ek dum is bat pe....baki dono bhi khub bhali hain ..par pahli lazawaab lagi /...स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-39783610246883393602010-07-05T14:38:53.414+05:302010-07-05T14:38:53.414+05:30और थोड़ी देर के लिए,
सुस्ता कर,
मैंने चुपके से
सोख ...और थोड़ी देर के लिए,<br />सुस्ता कर,<br />मैंने चुपके से<br />सोख लिया था<br />सन्नाटा ।<br /><br />Waah !...kya baat keh di.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-23956791308950412382010-07-04T22:04:38.931+05:302010-07-04T22:04:38.931+05:30Pahli aur teesari rachna niyahan sundar hai...Pahli aur teesari rachna niyahan sundar hai...kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-38366970960332814212010-07-04T21:39:13.234+05:302010-07-04T21:39:13.234+05:30khubsurat pagdandiyaan...aur ye to kamaal..
उसे ब...khubsurat pagdandiyaan...aur ye to kamaal..<br /><br />उसे बारिश में भींगना,<br />पसंद है बहुत !<br />मुझे नहीं ।<br />बस इसी बात पे,<br />हमारे बीच<br />चमकती है बिजलियाँ ।<br /><br />:)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-27080320241624760222010-07-04T18:01:06.771+05:302010-07-04T18:01:06.771+05:30बेहतरीनबेहतरीनM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-600059187850573838.post-25341109413470801232010-07-04T17:44:39.973+05:302010-07-04T17:44:39.973+05:30आपकी पगडंडीयों को पढ़ कर मुझे भी याद आ गयी कुछ लाइ...आपकी पगडंडीयों को पढ़ कर मुझे भी याद आ गयी कुछ लाइने जो अभी तक डायरी में ही क़ैद हैं ...<br /><br /><br />सर्दी में ठिठुरती <br />बरसात में नहाती <br />इक पहाड़ से दूजे पहाड़ <br />सुख दुःख ले जाती <br />मौन तपस्वी सा <br />राह दिखाती <br />गाँव से गाँव का <br />सम्बन्ध बनाती <br />खेत की मुंडेर से <br />खेत के मुंडेर तक <br />बलखाती इठलाती <br />छोटी सी <br />पथरीली सी <br />पगडण्डी.........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.com