Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Feb 21, 2017

खोटा पैसा

ऐसा क्यों होता है कि आप रात को सोने की कोशिश करो  नींद न आये   ... बस न जाने कहाँ से कुछ शब्द भीड़ कर आये मन में  ....
ऐसा क्यों होता है ?

युग बीते
ये गुस्सा कैसा
दिन का उजाला
रात हो जैसा
प्यार के बढ़ते
ये दिखावे
क्या होगा
ये खोटा पैसा
कोई फर्क ना
हममें तुममें
हम हैं जैसे
तुम हो वैसा
सैल तेरे इस
ज़िद पे सबने
दिन देखा है
कैसा कैसा।

Feb 12, 2017

अनमनी सी खुशबू

बहुत दिनों से कुछ भी लिखा नहीं था। कल नींद नहीं आ रही थी तो जेहन में कुछ पंक्तियाँ यूँ ही उभर आईं । रात को उठकर कुछ लिखने की हिम्मत नहीं थी। सो सुबह उठकर सबसे पहले उन्हें लिख डाला कि कहीं भूल न जाऊं।

यादों के लिफाफे से झांकते 
कुछ सूखे बेरंग लम्हे,
टूटकर बिखरती पंखुड़ियां;
पीले पड़ चुके कागज़ को
बहुत संभलकर खोलना,
और उन परतों में लिपटी
कुछ पलों को आँख भरकर
एक एक करके चुनना;
फिर सहेजके रख देना,
कि ऐसे ही फिर से किसी दिन,
यूँ ही किसी
अनमनी सी खुशबू
के बुलावे पर
खो जायेंगे।

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