Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Jul 10, 2012

दूसरी कोशिश .... स्टॉप मोशन फोटोग्राफी ...

कई दिनों से फोटोग्राफी में अपना हाथ आजमा रहा हूँ | काफी कुछ सीखा भी | धीरे धीरे आप सब के साथ वो ज्ञान (जो थोडा सा अर्जित हुआ है ) बांटूंगा | फ़िलहाल आप सब के लिए ला रहा हूँ स्टॉप मोशन फोटोग्राफी से लिया हुआ एक और मजेदार फिल्म | पहली कोशिश मैंने आप सबके लिए ब्लॉग पे लगाये थे | आज जो फिल्म लगाने जा रहा हूँ वो बच्चों के लिए एक और मजेदार कार्टून फिल्म है | आप अपने बच्चे को ये फिल्म दिखा सकते हैं |

Jul 8, 2012

क्या हिंदी एक निकृष्ट भाषा है ?


फेसबुक पर श्रीमान महफूज़ अली जी की एक बात पढकर मेरा मन सोचने पर विवश हो गया | महफूज़ ने लिखा है कि वो हवाई जहाज से यात्रा करते समय हिंदी ब्लॉग खोलने पर लोग उन्हें हिकारत की नज़र से देखने लगे | इससे उन्हें दुःख हुआ एवं वो इस बात पे सबकी दृष्टि आकर्षित करने के लिए फेसबुक पे इसका ज़िक्र किया | उनकी यह पोस्ट पढकर मैं भी यह सोचने लगा कि आखिर ऐसा क्यूँ है |
बहुत सोचने पर पाया कि जो भारतीय लोग हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओँ को निम्न कोटि के मानते हैं यह दरअसल उनकी गलती नहीं है | २०० साल अंग्रेजों की गुलामी के बाद यह स्वाभाविक है कि प्रभु की भाषा को प्राधान्य दी जाय और उसे ही श्रेष्ठ समझा जाय और खुद की भाषा को निकृष्ट | और फिर हिंदी के प्रचार प्रसार और उन्नति के लिए कोई काम हुआ भी तो नहीं है | जहाँ अंगरेजी में निरंतर उन्नति और बदलाव आते गए, वहीँ हिंदी एक ठहराव में फंसकर रह गई | आज ज़रूरी हो गया है कि हम भारतीय भाषाओँ में उन्नति लायें | और यह तभी संभव होगा जब हम
  1. अपनी भाषा पे गर्व करना सीखे – गुलाम मानसिकता से बाहर निकलना ज़रूरी है | अंग्रेज हमें यह सिखाकर गए हैं कि उनकी हर बात अच्छी और हमारी हर बात घटिया है | यह बात हमारे दिलो-दिमाग में रच-बस गई है | हमें इस बात को भूलना होगा | नए सीरे से अपनी भाषा से प्यार करना होगा | इस बात को समझना होगा कि जो लोग अपनी भाषा को भूलकर केवल अंगरेजी से प्यार करते हैं ... वो दरअसल आज भी मानसिक रूप से गुलाम हैं | देश में सच्ची आज़ादी तभी आ पायेगी जब हमें इन मानसिक बेड़ियों को तोड़ पाएंगे | अंगरेजी एक वैश्विक भाषा है | उसे सीखना गलत नहीं है ये यूँ कहे अंगरेजी कोई घटिया भाषा नहीं है | पर अंगरेजी सीखने का मतलब यह नहीं है कि हम अपनी भाषाओं को भूला दें |
  2. अपनी भाषा कि उन्नति के लिए कोशिश करें - यदि उसमे बदलाव कि ज़रूरत है तो वह बदलाव लाएं | तकनिकी क्षेत्र में हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं को प्रयोग करें और उसके लिए ज़रूरी शब्द बनाएँ | अंगरेजी भाषा केवल इसलिए वैश्विक भाषा नहीं बनी कि अंग्रेजों की भाषा है | बल्कि उसके पीछे कारण यह है कि अंगरेजी समय के साथ तेजी से बदलती गई और उन्नति करती गई | खासकर तकनिकी क्षेत्र में | वहीँ भारतीय भाषाओँ में केवल धर्म और प्रांतीयता से जुड़े रहने के कारण बदलाव नहीं आ पाया | आज हमें हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओँ को तकनिकी क्षेत्र में प्रयोग करने का समय आ गाय है | उसके लिए यदि ज़रूरी है तो उनमें तबदीली लायी जाय |
  3. भारतीय भाषाओँ का प्रचार प्रसार हो – सरकारी तौर पर भारतीय भाषाओँ का प्रचार प्रसार को अधिक महत्वा दिया जाय |
  4. भारतीय भाषाएँ, खासकर हिंदी में काम करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाय – इसके लिए हर दफ्तर, हर महकमे में मुहीम चले |
  5. हिंदी समाचार पत्र, पुस्तक एवं अन्य दस्तावेजों में तबदीली लाइ जाय और उन्हें बेहतर बनाई जाय – प्रचार प्रसार में सबसे ज़रूरी बात होती है गुणवत्ता की |
इस बारे में आप अपने ख्याल से मुझे अवगत करवाइए | पाठकों से अनुरोध है कि वो केवल सहमति या असहमति न जताकर, अपने विचार टिपण्णी के स्वरुप में लिखें |

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...