Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Dec 23, 2010

दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे



फिर हाज़िर हूँ आप सबके सामने एक और छोटी सी ग़ज़ल लेकर .... बहर वही ''फायलातुन, फायलातुन, फायलुन' ... 

दर्द में दिल के ज़ख्म गाते रहे
इस तरह वो हर सितम ढाते रहे

राह में तो मुश्किलें आती रहीं
साथ जो थे छोड़कर जाते रहे

याद जो आये थे पीछे छोड़कर
उस को अब हर मोड़पर पाते रहे

वो किया न फिर यकीं हम पर कभी
अपने सर की हम कसम खाते रहे

‘सैल’ जितनी दूर उनसे हो चले
याद उतनी वो हमें आते रहे

Dec 18, 2010

आईने के पीछे रहता कौन है


दिल में न जाने कितनी बातें आती जाती रहती है । कई बात ऐसी होती है जिनको कविता में ढालना संभव नहीं हो पाता है । कई बात ऐसी होती है जिनके बारे में सोचते सोचते वो एक कविता या ग़ज़ल का रूप ले लेती है । अक्सर ऐसा होता है कि लाख कोशिश करूँ, कुछ भी नहीं लिख पाता हूँ । और कभी कभी अपने आप पंक्तियाँ बह निकलती हैं । 
तो दोस्तों फिर हाज़िर हूँ आपके सामने एक ताज़ातरीन ग़ज़ल लेकर  
इस ग़ज़ल को मैंने 'फायलातुन, फायलातुन, फायलुन' बहर में लिखने की कोशिश की है


आईने के पीछे रहता कौन है
रोज ऐसे मुझपे हँसता कौन है
पीठ पर यूँ हाथ हमदर्दी के रख
दुःख पे मेरे मुंह चिढाता कौन है
जब भी नैनो के झरोखे बंद हो
द्वार मन का खटखटाता कौन है
वार दिल पर करती है तीरे नज़र
मुंह छुपाके मुस्कुराता कौन है
आज महफ़िल में तमाशा देख लो
बिन पिए ही लड़खड़ाता कौन है
चाहिए मुझको सवेरा बस अभी
रात अँधेरे में रोता कौन है
करके बातें दीन मज़हब की यहाँ
आग बस्ती में लगाता कौन है
‘सैल’ को बोलो कि ऐसा ना करे
दिल्लगी में दिल लगाता कौन है


Dec 10, 2010

आशा की अग्निशिखा



क्यूंकि दुखी हूँ मैं,

और उदास है मन मेरा 

चलो मुस्कुराते हैं ...

और हँसते हँसते भूल जाते हैं दर्द को

चलो मुस्कुराते हैं ...

क्यूंकि थका हूँ मैं

और घायल है रूह मेरी  

चलो कुछ करते हैं

कुछ काम से मिटाते हैं थकन को

चलो कुछ करते हैं

क्यूंकि नाराज़ हूँ सबसे 

चाहता नहीं है कोई मुझे

चलो प्यार करते हैं

इतना प्यार कि भूल जाऊं नफरत 

चलो प्यार करते हैं

क्यूंकि मिलता है धोखा

और टूटते हैं सपने मेरे

चलो दीप जलाते हैं

आशा की अग्निशिखा आँखों में 

चलो दीप जलाते हैं 

चित्र साभार गूगल सर्च

Dec 4, 2010

राम को राज दिलाकर देखो


कैकयी को समझाकर देखो
राम को राज दिलाकर देखो
फासले बीच के मिट जायेंगे
हाथ से हाथ मिलाकर देखो
छोड़के बात समझदारी की
जोश में होश गवांकर देखो
खेल में और मज़ा आएगा
हार या जीत भुलाकर देखो
प्रीत की आग धधक उठेगी
दर्प की राख उड़ाकर देखो
“सैल” समाज सुधर जायेगा
जात औ पात हटाकर देखो

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...