Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Nov 29, 2010

लीजिए, आनंद लीजिए !

इससे पहले के पोस्ट में मैंने जो ग़ज़ल दी है वो जिस ग़ज़ल से प्रेरित है अब आप उसका लुत्फ़ उठाइए ... बहुत ही बेहतरीन और खुबसूरत ग़ज़ल है ...  जिसे लिखा है राजेश रेड्डी जी और उसे खुबसूरत ढंग से गाया है जगजीत सिंह जी .... सुनिए ये ग़ज़ल जगजीत सिंह जी के एल्बम "आईना" से ...


घर से निकले थे हौसला करके
लौट आए खुदा खुदा करके
दर्द ए दिल पाओगे वफा करके
हमने देखा है तजुरबा करके
जिंदगी तो कभी नही आई 
मौत आई है ज़रा ज़रा करके
लोग सुनते रहे दीवारो की बात
हम चले दिल को रहनुमा करके
किसने पाया सकून दुनीया में
जिंदगानी का सामना करके


Nov 28, 2010

क्या किया है तुने खुदा बनके


आज बैठकर एक सुन्दर ग़ज़ल सुन रहा था । सोचा क्यूँ न इसी बहर में कुछ लिखा जाये सुनते सुनते जेहन में अपने आप निम्नोक्त पंक्तियाँ आ गयी । अब आप ही बताइए कि ग़ज़ल कैसी लगी ?

क्या किया है तुने खुदा बनके
तू बता सब का आसरा बनके
जिंदगी ने छुड़ा लिया दामन
मौत आई है मेहरबां बनके
ये न पूछो कि कैसे महफ़िल में
जलते रहता हूँ मैं शमा बनके
दर्द मुझको पता न था क्या है
उसने समझाया बेवफा बनके
क्यूँ खड़ा फिर वही नज़ारा है
सामने आज इम्तहां बनके
इतने पागल हैं, आह भी दिल से
आज निकली है बस दुआ बनके
क्या तूफां से गिला है जब छोड़ा
“सैल” कश्ती को नाखुदा बनके ॥


अरे ठहरिये ठहरिये , इतनी भी जल्दी क्या है ... टिप्पणी दे दीजियेगा ... पर अभी फिलिम खतम नहीं हुई है ... कहानी अभी बाकि है मेरे भाई ...
आपको ये बताना है कि वो कौन सी ग़ज़ल है जिसे सुनकर मेरे जेहन में ये पंक्तियाँ आई है ...
हिंट दे देता हूँ ... इस ग़ज़ल को जगजीत सिंह जी ने गाई है ...
आप बहर पे ध्यान दीजिए ... सवाल बहुत आसान है ... जवाब का इंतज़ार रहेगा ...


चित्र साभार मेरी प्रियतमा तृप्ती .

Nov 25, 2010

शुरुआत नई जिंदगी की

कहीं होता है दर्द तो चल पड़ती है कलम ... मानो बनकर स्याही दर्द भर जाता है कलम में ... मानो बनकर शब्द बोल पड़ती है आंसू, मानो बनकर लकीरें बह निकलता है एहसास ...
दो क्षणिकाएं प्रस्तुत है हर उस नारी के नाम जिसने देखी है जिंदगी !

१. 
मन के किसी कोने में बैठी,
आज भी,
कोई छोटी सी बच्ची  है !
चाहो तो कह लो कल्पना, 
या कविता, 
पर बिलकुल सच्ची है ...

२. 
आपदा अपने पीछे, 
छोड़ जाती है खंडहर  ।
पर इंसान
हर आपदा के बाद,
नए सिरे से करता है निर्माण ।
बसता है नया शहर, 
होती है शुरुआत,
नई जिंदगी की ।

Nov 23, 2010

लो जी ... ये कहते हैं कि आज मिडिया मर गया ... मैं कहता हूँ, जिंदा ही कब था !

मैं यह नहीं मानता हूँ कि यह आज हो रहा है । हाँ, आजकल पकडे जाते हैं ।
वो भी इसलिए कि आजकल इतना ज्यादा माध्यम हो गए हैं, खासकर अंतरजाल की उपस्थिति भी है, कि कुछ भी छुपाना मुश्किल हो गया है ।
कहीं न कहीं, कोई न कोई, अंतरजाल पर जुड रहा है, कुछ डाल रहा है या कुछ देख रहा है ।
और हाँ, हम ये कैसे, कब और कहाँ समझ लिए कि कलम बेदाग़ है ?  और क्यूँ ?
आखिर कलम चलाने वाले भी इंसान है, जैसे की हैं पुलिस, राजनेता, वकील, सरकारी नौकर, डॉक्टर और गुंडा ।
जब से इंसान पढ़ना-लिखना सीखा है तब से भ्रष्टाचार कर रहा है, कोई नई बात थोड़े न है ।
अच्छा एक बात बताएं, राजनीति में लोग जाते क्यूँ है ?
अगर कोई यह समझता है, या कहता है कि राजनीति, देश सेवा के लिए की जाती है, तो मैं उसे या तो मुर्ख समझूंगा या फिर राजनेता ।
कॉलेज के स्तर से ही छंटे हुए बदमाश राजनीती करने लग जाते है । मकसद एक ही । कैसे देश को और आम जनता को चुना लगाकर पैसा कमाया जाए । आगे चलकर इनमे से ही बनते हैं मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, या फिर कम से कम सांसद ।
तो जिस बात के लिए वो राजनीति में आये हैं, जब वो पद मिल जाए, तो उनको मौका मिलता है कि अब तक वो जो वक्त, पैसा और शक्ति व्यय किये हैं कुर्सी प्राप्त करने के लिए, उसका फायदा उठाया जाए ।
बस शुरू हो जाता है भ्रष्टाचार । और आप कहते हैं वो भ्रष्टाचार ही छोड़ दें । कमाल हैं भाई आप । ये तो सरासर मौलिक अधिकारों का हनन है जी । आखिर जिस काम के लिए वो इतने पापड़ बेले हैं ... करोड़ों खर्चा किये, इतने प्रचार किये, हज़ारों लाखों में पैसा और दारु बंटवाए ... वोही न करें ।
और इसमें योगदान देते थे, देते हैं और देते रहेंगे -
पुलिस - इनकी तनख्वाह बहुत कम है । बिचारे घर कैसे चलाएंगे ? अब भोली भली जनता और मंत्री माई-बाप के भरोसे इनका घर चलता है । यानी कि ऐश ।
सरकारी नौकर - सरकारी नौकरी मतलब बाप का माल है । आप कुछ भी करो पर काम मत करो, नौकरी कहीं नहीं जा रही है । तो खाली दिमाग क्या होता है ? अरे हाँ जी, ठीक कहा आपने । शैतान का घर । और तनख्वाह भी तो बहुत ज्यादा नहीं । पर सपने बड़े बड़े । तो ऐश कैसे हो ?  बस लग जाओ मंत्री जी के पीछे, और लेते रहो घुस ।
वकील – मेरा कंप्यूटर जब भी खराब होता है, मैं उसे IT इंजिनियर के पास ले जाता हूँ । अगर वो कहता है ये-ये पुर्जे  बदलना है, तो है । बदलना ही पड़ता है । अब वो सही कह रहा है या नहीं, इस बात की पुष्टि मैं कैसे करूं ? क़ानून भी कुछ ऐसा ही है । आपको देश के कानून के बारे में कुछ पता है ? मुझे भी नहीं । 90 प्रतिशत जनता को देश के क़ानून के बारे में कुछ भी नहीं पता है । तो हुए न हम वकीलों के हाथ के कठपुतली । जैसे नचाये वैसे नाचे । इससे बेहतर मौका और क्या हो सकता है । जनता को चुना लगाओ, शातिर अपराधी को छुडाओ, खूब माल कमाओ । और मंत्रिओं का प्रियपात्र भी बने रहो ।
डॉक्टर - अब ये भी समझाना पड़ेगा । आप भी हद करते हो भाई । अब सब लोग अगर तंदुरुस्त हो जायेंगे, तो इनकी दुकान कैसे चलेगी ?  इसलिए कोई भी मरीज को एकदम सही तरीके से स्वस्थ नहीं करना है । झूला कर रखो । बार बार दौड़ने दो । जितनी बार आयेगा, उतनी कमाई ।
गुंडा - ये न होते तो जनता मंत्रियों कि ठुकाई न कर देती । ये हैं, तभी तो राजनेताओं का बाजार चल रहा है ।  वोट आ रहे है, गद्दी सुरक्षित है, और किसीने आवाज़ उठाई, तो ... "अय छोरा, अरे वो अखबार वाली कुछ ज्यादा ही छाप रही है आजकल, तनिक उसको समझाए आओ, और उ गांव के लोगन पिछली बार वोट नहीं दिए रहे । सालो के घर जला देना, और दस बारह को ठिकाने लगा देना, अकलवा ठिकाने आ जाही"
मिडिया - अब ये क्यूँ पीछे रहे ? आप बड़े संत महात्मा हो, अच्छी और सच्ची खबर छाप रहे हो । तो कोई तो चाहिए न हमारे नेताओं के गुणगान करने वाले । पहले भी राजा महाराजाओं के गुणगान करने वाले होते थे । आज भी है । सही को गलत और गलत को सही कहकर प्रचार कौन करेगा ?
नेता – हाँ तो आप क्या कह रहे थे ? आप कहते हो कि राजा महाराजों के दिन लद गए । आप किस ग्रह में रहते हो भाई ।
अजी होश में आओ । ये लो शरबत पियो, दिमाग ठंडा होगा, कुछ समझ पाओगे ।
राजा-महाराजा कहीं नहीं गए । यहीं हैं । उनका राजत्व भी बढ़िया चल रहा है, thank you । बस नाम बदल गए हैं, भेस बदल गया है । आजकल हम इन्हें मंत्री कहते हैं और ये खादी पहनते है । गाँधी जी तो खादी और सत्य के सेवक रहे । उनको क्या पता था कि जिस महान स्वदेशी की बात वो कर रहे थे, एकदिन इसी देश में भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा प्रतीक अगर कुछ होगा तो वो खादी ही होगा ।
अब जहाँ करोड़ों रुपये की बात आ जाती है, वहां आप उम्मीद करते हैं कि सब राजा हरिश्चंद्र के औलाद बनकर सब बढ़िया से संपन्न कर दे और एक पैसा भी न खाए ! धन्य हो आप !
करोड़ों के काम में कमाई भी करोड़ों में ही होती है । पर पकडे जाने का डर किसे नहीं है । तो पकड़ने वाले कौन हैं ? हमारे fourth estate । पर अगर इनको भी मालामाल कर दिया जाए तो किसी को कुछ पता ही न चले । अब सांवादिक भी इंसान है । कोई सर पे दो सिंग तो नहीं है कि अपवाद बने । सच्चाई उजागर करो और फिर मार खाओ, उससे अच्छा है चुप चाप पैसा ले लो, और हजम कर लो । मुंह बंद रखो, जनता को समझा दो कि जो हो रहा है उनके भलाई के लिए हो रहा है ।
ज़मीर तो कब के मर चूका था । वो तो आम आदमी को पता चला तो थोड़ी हलचल हुई ।
चलो, नाच लो कब्र के इर्द गिर्द । कर लो तसल्ली । मरा हुआ जागने वाला नहीं है ।

Nov 19, 2010

हमने देखी है ये समा अक्सर


हमने देखी है ये समा अक्सर
तन्हा महफ़िल में दिल रहा अक्सर
अश्क जो हमने यूँ छुपाया था
उससे अपना ही दिल जला अक्सर
फिर किसी बात पे न रोयेंगे
रोये हैं करके फैसला अक्सर ॥
पीठ पीछे जो चोट करता था
हंसके फिर वो गले मिला अक्सर
साथ चलने की कसमें खाई थी
वो मिला है जुदा जुदा अक्सर
अब तो मुझको भी मौत आ जाये
“सैल” मांगी है ये दुआ अक्सर ॥

Nov 14, 2010

एकदिन हकिक़त में बदलेंगे हम सपनों को

बाल दिवस के मौके पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ... खास कर उन सभी निष्पाप कलियों को जिनके रंग से रंगी है हमारी बगिया और जिनकी खुशबू से महका है ये चमन ...
साथ ही प्रस्तुत है इस मौके पर मेरी बेटी चिन्मयी द्वारा बनाई गई चाचा नेहरु की एक तस्वीर ... यह तस्वीर उसके ब्लॉग LITTLE FINGERS पर प्रकाशित की गई है ...


 
उमंगों के झोकों पर
उड़ती सपनों की पतंगें
पर है थामे हम उनकी
डोर अपने हाथों में
नन्हे मुन्ने हाथों में

बदलेंगे हम दुनिया
हम गढ़ेंगे, हम लिखेंगे
अपने देश का स्वर्णिम
भविष्य अपने हाथों से
नन्हे मुन्ने हाथों से  

एकदिन हकिक़त में
बदलेंगे हम सपनों को
देखेगी सारी दुनिया
कमाल अपने हाथों के
नन्हे मुन्ने हाथों के  

Nov 7, 2010

फिर से बधाई !

दोस्तों आप सबको फिर से बधाई दे रहा हूँ ... क्यूंकि एक और रिपोर्ट आया हुआ है ...
और इस बार हमारे देश ने पहले से और बेहतर कमाल कर दिखाया है ...
इस बार मैं बात कर रहा हूँ संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित "मानव विकास रिपोर्ट" (Human Development Report) की ....
इस रिपोर्ट में दुनिया भर के देशों को सुचिबध्ह किया गया है ... उन देशों में मानव समाज की प्रगति और विकास के स्तर के आधार पर ...
और, आपको क्या लगता है .... हमारा प्यारा देश कौन सा स्थान प्राप्त किया होगा ?
चलिए अंदाजा लगाइए ...

क्या कहा आपने, अंदाजा लगाना मुश्किल है ?
तो लीजिए हम आपको बताये देते हैं ...
169 देशों की सूचि में हमने 119 वां स्थान प्राप्त किये हैं ... 
अब तो गर्व से सर उचां हो जाना चाहिए ... है न ? 
इससे पहले मेरे इस पोस्ट "बधाई हो बंधुओं ! बधाई हो ! चलिए खुशियाँ मनाते हैं ! पार्टी करते हैं !" में मैंने ये बताया था कि Transparency  International द्वारा 2010 का Corruption Perception Index  (भ्रष्टाचार बोध सूचकांक) प्रकाश किया गया है और हम 87 वां स्थान प्राप्त किये हैं !
और  अब मानव विकास सूचकांक में 119 वां स्थान ...
बहुत जल्दी जल्दी हम उन्नती कर रहे हैं, है न ?
अब तो सच में कोई five star होटल में पार्टी होनी चाहिए जिसमें देश के बड़े बड़े अमीर लोग, और देश के नेता करोड़ों रुपये उड़ा सके, मदिरा कि नदियाँ बहे, इतना खाना बर्बाद हो जितने में कई सौ गरीब परिवार का पेट भर जाता ..... और देश में मानव विकास कार्यक्रम पर एक लंबा सा भाषण हो ...
मज़ा आ जायेगा ....


नीचे हमेशा की तरह लिंक दिए दे रहा हूँ :
http://hdr.undp.org/en/statistics/
http://hdr.undp.org/en/countries/
http://hdr.undp.org/en/
http://hdr.undp.org/en/media/HDR_2010_EN_Complete.pdf

Nov 5, 2010

हिंदी फिल्मों के गाने - क्या आपको पता है इनके धुन कहाँ से आते हैं ?

आपको पता है हमारे चहेते संगीत निर्देशक कितनी तकलीफ झेलकर दुनिया के किस किस कोने से धुन चुराकर लाते हैं ताकि हम उनका लुत्फ़ उठा सकें ...
हमें इनको धन्यवाद देना चाहिए ... क्यूंकि इनके प्रयासों के बिना हम शायद ऐसी धुन न सुन पाते ...
आपको पाकिस्तानी, बंगलादेशी, पाश्चात्य संगीत या दुनिया का हर संगीत सुनाने का श्रेय (अलबत्ता चुराकर), हमारे इन भारत प्रसिद्द संगीतकारों को जाता है ...
मैंने अपने ब्लॉग "Copycats" में ऐसे ही बेहतरीन और मौलिक संगीतकारों को सामने लाने की कोशिश की है ...
उम्मीद है आप मेरी इस "मौलिक" कोशिश को सराहेंगे ....
आप सबका मेरे इस ब्लॉग में स्वागत है ...

Nov 2, 2010

बधाई हो बंधुओं ! बधाई हो ! चलिए खुशियाँ मनाते हैं ! पार्टी करते हैं !


बधाई हो बंधुओं ! बधाई हो ! चलिए खुशियाँ मनाते हैं ! पार्टी करते हैं !
क्यूँ ?
क्या आपको अभी तक नहीं पता ?
कमाल है ?
तो लीजिये मैं आपको बता देता हूँ ....
Transparency  International द्वारा २०१० का Corruption Perception Index  (भ्रष्टाचार बोध सूचकांक) प्रकाश किया गया है और हम ८७ वां स्थान प्राप्त किये हैं ! है न ख़ुशी की बात ?
क्या ? आप कह रहे हैं की इसमें ख़ुशी की क्या बात है ?
कमाल है, भाई हम अपने ज्यादातर पड़ोशियों से बेहतर स्थिति में हैं ... समझ गए न ?
अब देखिये ... हमारी जानी दुश्मन पाकिस्तान को १४३, नेपाल को १४६, बंगलादेश को १३४, म्यांमार को १७६, श्रीलंका को ९१ और अफगानिस्तान को भी १७६ वां स्थान मिला है .... हाँ चीन और भूटान से हम ज़रा सा पीछे हैं ... उनको क्रमानुसार ७८ और ३६
वां स्थान प्राप्त हुआ है .... है न ख़ुशी की बात ?
हम अपने पड़ोशियों से आगे निकल गए ...
क्या कहा आपने ? ये काफी नहीं है ?
क्या बात करते हैं .... अगर हम इसी तरह डटे रहे तो मुझे यकीन है कि आने वाले २००० साल में हम ५० वे स्थान पर पहुँच ही जायेंगे ... लगी शर्त ?

चलिए आपके लिए हम नीचे वो लिंक दिए देते हैं जिसको आप पढ़ सकते हैं और हमारी बात की तसल्ली कर सकते हैं ...
जय हिंद ! मेरा भारत महान !
और हाँ, मेरे जैसे कुछ आलसी लोग, जो निम्नोक्त लिंक पर जाने की ज़हमत नहीं उठाना चाहते हैं वो यहीं पर देख सकते हैं, मैंने ऊपर वो नक्शा भी दे दिया है ताकि खुदई देख सकें !

http://www.transparency.org/policy_research/surveys_indices/cpi/2010/results
http://www.transparency.org/content/download/55725/890310

आप को ये भी पसंद आएगा .....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...