Indranil Bhattacharjee "सैल"

दुनियादारी से ज्यादा राबता कभी न था !
जज्बात के सहारे ये ज़िन्दगी कर ली तमाम !!

अपनी टिप्पणियां और सुझाव देना न भूलिएगा, एक रचनाकार के लिए ये बहुमूल्य हैं ...

Jun 26, 2010

एक बार फिर

सभी दोस्तों से, एवं समस्त सुधिजनो से माफ़ी मांगता हूँ । संव्यावसायिक व्यस्तताओं के कारण कई दिन ब्लॉग से दूर रहना पड़ा । इस बीच देश भी हो आया जहाँ इन्टरनेट की सुविधा मिल नहीं सकी ।  तिन चार दिन पहले लौटा हूँ । सोच रहा था की क्या पोस्ट किया जाये ....
आज शादी की आठवीं सालगिरह थी
।  देखते देखते आठ साल किस तरह बीत गए, पता ही नहीं चला ।  बेटी हुई, और अब तो मेरी नानी बन गई है ।  बात बात में मुझे कुछ न कुछ उपदेश दे देती है  । मेरी पत्नी के साथ कुछ  बहस हो जाए, तो  मेरी तरफ देखती है और हंस कर कहती है  ... 'ओहो  बाबा आप भी ना'  ....
पत्नी से पुछा आज क्या गिफ्ट चाहिए
।  तो वो बोली कोई गिफ्ट नहीं चाहिए ... चलो आज कोई नया कांटिनेंटल भोजन खाया जाए ।  तो हम तीन मिलकर कुछ दूर स्थित कोरियन रेस्तौरां में गए और कुछ कोरियन व्यंजन का लुत्फ़  उठाया ।  आजकी कुछ तस्वीर नीचे दे रहा हूँ और साथ ही पोस्ट कर रहा हूँ एक कविता .... मेरी प्रियतमा के लिए ....

 
तुम्हारी हँसी की खनखनाहट में
सुनाई देती है
मोत्सार्ट की सिम्फोनी नंबर चालीस ।
तुम्हारी आँखों की चमक
म्लान कर देती है
कोहिनूर को ।
हाथ फेरती हो
प्यार से बालों में,
जैसे पुरवाई हिलाती है
पत्तों को ।
और जी करता है कि,
एक बार फिर,
चुपके चुपके,
तुमसे मिलूं,
सबसे नज़रें बचाकर,
तुम्हारे हाथों को छूं लूँ ।
और कहीं बाहर जाऊं,
फिर किसी फोन बूथ से,
डरते डरते फोन करूँ,
और कहूँ ....
मुझे तुमसे प्यार है



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